मायावती दलित की नहीं दौलत की बेटी, I.N.D.I.A गठबंधन को ‘न’ पर कांग्रेस प्रवक्ता का बसपा सुप्रीमो पर तंज
बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने ट्वीट करके चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया है. मायावती ने लिखा है कि वह न NDA के साथ जा रही हैं और ना ही I.N.D.I.A के साथ. इसको कांग्रेस प्रवक्त सुरेंद्र राजपूत ने मायावती पर तंज कसा है. देखिए क्या कहा….
लखनऊः उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी आने वाले चुनावों में न एनडीए के साथ गठबंधन कर रही है और ना ही इंडिया के साथ. मायावती की इस घोषणा के बाद कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने मायावती को लेकर टिप्पणी की है. हालांकि, कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम मायावती के बचाव में खड़े दिख रहे हैं. उन्होंने इस तरह की बयानबाजी को मायावती का अपमान बताया है.
सुरेंद्र राजपूत ने मायावती को दौलत की बेटी बतायाः
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत एक वीडियो बयान ट्वीट किया है, जिसमें उनका कहना है कि “इंडिया गठबंधन या कांग्रेस पार्टी ने मायावती को कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया है कि आप हमारे साथ आईए. मायावती दलित बेटी नहीं दौलत की बेटी हैं. जिस तरफ दौलत है, जिस तरफ स्वार्थ है, उस तरफ मायावती जा रही हैं. इसके लिए उनको शुभकामना देता हूं”.
मायावती अपने नेताओं को नहीं रोक पा रहींः
सुरेंद्र राजपूत ने आगे कहा कि, “आज की डेट में मायावती अपनी पार्टी के नेता को नहीं रोक पा रही हैं, इमरान मसूद भी उनको छोड़कर चले गए. धीरे-धीरे मायावती बुआ और भतीजे की पार्टी रह जाएंगी. देश में दलितों के वोट का सौदा अब नहीं होगा. आरक्षण विरोधियों के साथ मायावती का गठबंधन खुले रूप से दिखाई दे रहा है”.
प्रमोद कृष्णम ने सुरेंद्र राजपूत के बयान को अपमान बतायाः
वहीं कांग्रेस के एक और प्रवक्ता प्रमोद कृष्णम ने सुरेंद्र राजपूत के इस बयान को रक्षाबंधन के दिन बहन जी मायावती का अपमान बताया है. उन्होंने सुरेंद्र राजपूत के ट्वीट पर लिखा है, “कांग्रेस प्रवक्ता को रक्षा बंधन के दिन बहन जी पर इतना बड़ा हमला नहीं करना चाहिए था, मायावती को दलित की बेटी की जगह दौलत की बेटी कहना पूरे दलित समाज को अपमानित करने जैसा है”.
मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का किया ऐलानः
मायावती ने कहा था कि एनडीए व इण्डिया गठबंधन में अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक व पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियां हैं, जिनकी नीतियों के विरुद्ध बसपा अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता. बसपा, विरोधियों के जुगाड़ से ज्यादा समाज के टूटे और बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को भाईचारे के आधार पर जोड़कर उनके गठबंधन से सन 2007 की तरह अकेले आगामी लोकसभा तथा चार राज्यों में विधानसभा का आमचुनाव लडे़गी.
सौजन्य : Etv bharat
नोट : समाचार मूलरूप से में etvbharat.com प्रकाशित हुआ है ! मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित !