लीबिया में पंजाबी युवक की मौत: ‘भूखा रखते थे, बेल्ट और प्लास्टिक के पाइप से मारते थे’
“मुझे अपने पोते को विदेश भेजने का बहुत दुख है, अगर मैंने उसे नहीं भेजा होता तो आज वह मेरे साथ होता.”
ये शब्द बुजुर्ग सुलोचना देवी के हैं, जिनके 22 साल के पोते टोनी की लीबिया में मौत हो गई.
आंखों से आंसू पोंछते हुए सुलोचना देवी कहती हैं कि अब तो टोनी की सिर्फ तस्वीरें ही रह गई हैं. विदेश की चकाचौंध ने उनके पोते को हमेशा के लिए उनसे छीन लिया.
सुलोचना देवी ने सरकार से अपील की है कि उनके पोते का शव भारत वापस लाया जाए, ताकि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके.
सुलोचना देवी पंजाब में मोहाली जिले के भूखड़ी गांव की रहने वाली हैं.
टोनी का विदेश जाने का सपना
एक दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले टोनी अपने सपनों को पूरा करने के लिए फरवरी में विदेश गए थे.
वह पंजाब और हरियाणा के युवाओं के उस ग्रुप का हिस्सा था, जिन्हें इटली में नौकरी का वादा कर दुबई में एजेंटों के माध्यम से लीबिया के मानव तस्करों को बेच दिया गया था.
इनमें से 17 युवक तस्करों से बचकर 20 अगस्त को देश लौटने में कामयाब रहे, लेकिन टोनी इसमें सफल नहीं हो पाए.
टोनी की मौत की खबर परिवार को मई में मिली थी और तब से परिवार लगातार उनके शव का इंतजार कर रहा है.
तब से परिवार शव को भारत लाने के सरकार से लगातार गुहार लगा रहा है.
जिंदगी बदलने का ख्वाब
सुलोचना देवी कहती हैं कि उनकी चार बेटियों और दो बेटे हैं. बेटियों की शादी हो गई और बेटों ने मेहनत-मजदूरी करके परिवार की जिम्मेदारी उठाई.
उनके मुताबिक बड़े बेटे रविंदर कुमार का बेटा टोनी 12वीं पास था. अपनी पढ़ाई पूरी करने से पहले टोनी ने सेना में नौकरी के लिए कोशिश की थी, जिसमें वह कामयाब नहीं हो पाया. इसके बाद टोनी विदेश जाने की जिद करने लगा.
सुलोचना देवी कहती हैं कि उन्होंने अपने पोते को विदेश न जाने के लिए बहुत समझाया, लेकिन उसने उनकी एक न सुनी और आखिर में उन्हें अपने पोते की बातों के सामने झुकाना पड़ा.
अपने पोते को याद करते हुए सुलोचना कहती हैं कि घर से निकलते वक्त वह बहुत खुश था और लीबिया पहुंचने के बाद भी उसने कई बार वीडियो कॉल की थी.
सुलोचना देवी कहती हैं, “टोनी ने एक दिन कहा कि यहां कुछ नहीं होगा बेबी, पहले दादा ने मजदूरी की और अब पिता भी वही काम कर रहे हैं. इस वजह से हमें विदेशी कमाई से ही घर की स्थिति ठीक करनी होगी.”
अपने पोते को याद करते हुए सुलोचना कहती हैं कि “घर से निकलते वक्त वह बहुत खुश था और लीबिया पहुंचने के बाद भी उसने कई बार वीडियो कॉल की, लेकिन किसी को पता नहीं था कि ऐसी अनहोनी हो जाएगी.”
एजेंट से संपर्क
टोनी के पिता रविंदर कुमार ने बताया कि उन्हें रिश्तेदारों से पता चला कि हरियाणा के पिहोवा का एक एजेंट विदेश भेजने का काम करता है.
उन्होंने बताया कि एजेंट ने 12 लाख रुपये में टोनी को इटली भेजने की बात कही. इसके बाद परिवार ने ज़मीन बेचकर पैसों का इंतजाम किया.
पिता के मुताबिक उन्होंने एजेंट के माध्यम से टोनी और उसके चाचा संदीप को विदेश भेजने का फैसला किया, जिसके बदले 24 लाख रुपये देने की बात हुई.
रविंदर के मुताबिक एजेंट ने इटली पहुंचकर पैसे लेने की बात कही थी.
6 फरवरी को टोनी और उसके चाचा संदीप कुमार को एजेंट ने अमृतसर हवाई अड्डे से पहले दुबई और फिर लीबिया भेज दिया.
‘मैंने अपना बेटा और पैसे दोनों खो दिए’
पिता रविंदर का कहना है कि कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन फिर उनके साथ मारपीट की जाने लगी.
परिवार का कहना है कि मई महीने तक टोनी फोन के जरिए उनके साथ संपर्क में था.
पिता के मुताबिक टोनी का मई में एक फोन आया था जिसमें उसने बताया था कि उसे बुरी तरह पीटा जा रहा है और एजेंटों ने उसे कैद कर लिया है और कुछ भी करके उसे छुड़ाया जाए.
इसके बाद फिर से दो लाख रुपये एजेंट के खाते में डलवाए गए लेकिन टोनी घर नहीं लौटा.
रविंदर कुमार दुखी होकर कहते हैं, “मैंने अपना बेटा और पैसे दोनों खो दिए.”
एजेंट के ख़िलाफ़ कार्रवाई
रविंदर कुमार के मुताबिक, एजेंट ने उन्हें बताया कि टोनी एक बहुमंजिला इमारत से गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई है.
परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने हरियाणा के एजेंट के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.
टोनी के परिवार के मुताबिक़, पंजाब सरकार के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और अन्य अधिकारी उनके घर आए थे.
लेकिन अभी तक न तो टोनी का शव देश आया है और न ही एजेंट के खिलाफ कोई संतोषजनक कार्रवाई की गई है.
‘बाथरूम से पानी पीना पड़ा’
लीबिया से लौटे टोनी के चाचा संदीप कुमार ने बताया कि कुल 7 लड़कों को अमृतसर एयरपोर्ट से एजेंट ने दुबई भेजा था, जहां से इन्हें वर्क परमिट पर लीबिया भेजा गया.
संदीप ने कहा कि वे वर्क परमिट को पढ़ नहीं पाए क्योंकि वह अरबी भाषा में था.
एजेंट ने बताया था कि लीबिया में कुछ समय रखने के बाद उन्हें इटली भेज दिया जाएगा.
संदीप कुमार के बताया कि लीबिया पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और उन्हें एक कमरे में बंद कर मारपीट की गई.
उनके मुताबिक छोटे से कमरे में पहले से ही दस लड़कों को रखा हुआ था.
संदीप का कहना है कि पैसों के लिए उनके साथ रोजाना मारपीट की जाती थी और यह तब तक जारी रहा जब तक उसने घरवालों को फोन कर यह नहीं कहा कि एजेंट को पैसे दे दो.
संदीप ने बताया कि एजेंट को पैसे देने के बाद कुछ दिनों तक स्थिति ठीक रही लेकिन बाद में मारपीट का सिलसिला फिर से शुरू हो गया.
संदीप के मुताबिक, “खाने का कोई इंतजाम नहीं था, हम बाथरूम से पानी पीते थे. हमसे करीब 12-12 घंटे काम करवाया जाता था और एक भी छुट्टी नहीं दी जाती थी.”
वे कहते हैं कि उन्हें भूखा रहा जाता था और फिर बेल्ट और प्लास्टिक के पाइप से पीटा जाता था.
संदीप के मुताबिक एक दिन टोनी समेत कुल सात लड़के कमरे से भाग गए.
इसमें से 6 तो कामयाब हुए लेकिन उन्होंने टोनी को पकड़ लिया.
संदीप ने उसे छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सका.
वे लीबिया स्थित भारतीय दूतावास पहुंचे.
टोनी के साथ लीबिया में फिर क्या हुआ, इसके जानकारी उन्हें नहीं मिली.
भारत लौटने के बाद ही उन्हें टोनी की मौत के बारे में पता लग पाया.
फर्जी ट्रैवल एजेंटों के ख़िलाफ़ पंजाब सरकार की कार्रवाई
पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के मुताबिक, पंजाब सरकार फर्जी ट्रैवल एजेंटों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई कर रही है.
उन्होंने कहा कि 9 अगस्त 2023 तक उनके विभाग ने पंजाब में 7 हजार 179 इमीग्रेशन दफ्तरों की जानकारी इकट्ठा की है, जिनमें से 3 हजार 547 दफ्तरों की जांच अलग अलग जिलों की टीमों द्वारा की गई है.
धालीवाल ने बताया कि चेकिंग के दौरान 271 संस्थाएं अवैध पाई गई हैं, जिनमें से 25 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
उनका कहना है कि राज्य में चल रहे इमीग्रेशन संस्थाओं की चेकिंग का काम 10 सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा.
उन्होंने लोगों को सावधान करते हुए कहा, “एजेंटों से बात करने से पहले लोग उनके बारे में अच्छे से पड़ताल करें. सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा.”
सौजन्य : BBC
नोट : समाचार मूलरूप से bbc.com में प्रकाशित हुआ है ! मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित !