कभी बुलाया जाता था ‘जहर की पुड़िया’, आज हैं 2000 करोड़ की मालकिन!
भारत में सफलता की बहुत सी कहानियां सुनने को मिलती हैं और इनमें से कई लोगों की कहानियां सुनकर आपको पता चलता है कि सफलता सिर्फ एक रात में नहीं आती है इसके लिए आपको दिन रात मेहनत करनी पड़ती है. कई बार हमें ऐसी कहानियां भी सुनने को मिलती हैं जिनमें लोगों को गलत साबित करने या फिर लोगों के तानों के जवाब में की हुई मेहनत की बदौलत लोग सफलता के मुकाम तक पहुंचते हैं. आज हम एक ऐसी ही हस्ती की बारे में जानने वाले हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण, और प्लानिंग की बदौलत सफलता प्राप्त की है.
कल्पना सरोज की कहानी
ये कहानी कल्पना सरोज की है, जिनका जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में एक दलित परिवार में हुआ था. अपने सामजिक बैकग्राउंड की वजह से कल्पना को बहुत सी चुनौतियों और भेदभाव का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण की बदौलत अपने जीवन में जबरदस्त सफलता हासिल की है. कल्पना की वेबसाइट की मानें तो वह 7 अलग-अलग बिजनेसों की मालकिन हैं जिनका टर्नओवर लगभग 2000 करोड़ रूपए है. उनकी वेबसाइट पर लिखा है कि कल्पना सरोज के पास बिजनेस को पहचानने की काबिलियत है और उन्हें हमेशा से बिजनेस में काफी दिलचस्पी रही है. यही कारण है कि कुछ ही सालों के दौरान उन्होंने Kalpana Group Of Industries के लेबल के तले सफल रूप से 7 कंपनियों को खड़ा किया है.
कल्पना सरोज का शुरुआती जीवन
कल्पना सरोज के जीवन की शरूआत में उन्हें गरीबी और मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. 12 साल की उम्र में उनका विवाह कर दिया गया था और उनके ससुराल में उनके साथ काफी बदसलूकी की गई. लेकिन वह अपना भाग्य बदलना चाहती थीं और इसीलिए उन्होंने अपना विवाह तोड़ दिया और अपने गांव वापस आ गईं. उनके मामा उन्हें ‘जहर की पुड़िया’ कहकर बुलाते थे. अपनी थोड़ी-बहुत शिक्षा के साथ कल्पना ने खुद को सपोर्ट करने के लिए छोटी-मोटी नौकरियां करना शुरू कर दिया. उन्होंने गारमेंट फैक्ट्री में काम करने से अपने करियर की शुरुआत की और उन्हें 2 रूपए की सैलरी मिलती थी. बाद में उन्होंने मुंबई में एक नर्स के तौर पर काम करना शुरू कर दिया लेकिन उन्हें जीवन में कुछ बड़ा करना था और इसीलिए उन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत की.
कल्पना की बिजनेस यात्रा
सरोज ने अपने बिजनेस की शुरुआत सिलाई मशीनें बेचकर की थी, जिसके लिए उन्होंने बिजनेस की शुरुआत भी की थी. इस बिजनेस से हुए प्रॉफिट को उन्होंने फर्नीचर के बिजनेस में लगाया और आगे चलकर एक फिल्म प्रोडक्शन हाउस भी शुरू किया. KS फिल्म्स के बैनर तले बनने वाली पहली फिल्म 3 भाषाओं में ट्रांसलेट की गई थी. 1985 में कल्पना सरोज को Kamani Tubes नामक एक कंपनी की वजह से नुकसान झेलना पड़ा. Kamani Tubes, स्टील पाइप बनाने वाली एक कंपनी है. अपने दलित बैकग्राउंड की वजह से बहुत सी सामाजिक और वित्तीय संकट झेलने के बावजूद अपनी मेहनत की बदौलत कल्पना ने एक साम्राज्य खड़ा किया.
कल्पना को मिला है पद्मश्री
अपने बिजनेस के साथ-साथ कल्पना ने बहुत से सामाजिक कार्य भी किए हैं जिनके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है. कल्पना ने महिलाओं को सशक्त बनाने, शिक्षा को बढ़ावा देने, जाति आधारित भेदभावों जैसी चुनौतियों से लड़ने के लिए मुख्या रूप से काम किया है. उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें भारत के सबसे बड़े सिविलियन अवॉर्ड पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ ही अन्य पिछड़ी जातियों की महिलाओं के लिए कल्पना सरोज एक प्रेरणा के रोप में उभरी हैं.
सौजन्य : Bw hindi
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