मोदी मंत्रिमंडल में यूपी से बढ़ सकती है दलित भागीदारी, मिशन-2024 को लेकर बीजेपी का सियासी प्लान
मिशन-2024 को लेकर सियासी बिसात बिछाने में जुटी भाजपा, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मोदी-2.0 का आखिरी फेरबदल करने की तैयारी में है। पार्टी सूत्रों की मानें तो यह बदलाव इसी माह होने की संभावना है। इस बदलाव पर यूपी की भी निगाहें हैं। दिल्ली का रास्ता यूपी होकर ही गुजरता है, लिहाजा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे चुनावी राज्यों से हिस्सेदारी बढ़ाने के साथ ही यूपी से दलित भागीदारी बढ़ाई जा सकती है।
विपक्षी एकता कहां तक परवान चढ़ेगी, यह अभी भविष्य के गर्भ में है। मगर भाजपा पूरी शिद्दत से वोट बैंक बढ़ाने की कवायद में लगी है। मोदी मंत्रिमंडल में होने वाले विस्तार में भी पार्टी की कसरत सामाजिक समीकरण दुरुस्त कर वोट बैंक बढ़ाने पर ही रहेगी। दरअसल, पार्टी 2014 से अब तक यूपी में लगातार अपने वोट शेयर में इजाफा करती रही है। आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा की निगाह दलित वोट बैंक पर है। पश्चिम में पार्टी का फोकस जाटव वोटों पर है, जिनकी हिस्सेदारी दलितों में सर्वाधिक है।
दलित वोट बैंक पर है नजर
विधानसभा चुनावों में बसपा जिस तरह 22.4 फीसदी से गिरकर 12.07 फीसदी वोट शेयर के आसपास पहुंच गई है, इससे भाजपा की उम्मीदें बढ़ी हैं। प्रदेश में आरक्षित सीटों की संख्या भले ही 17 हो मगर बाकी सीटों का गुणा-गणित बनाने-बिगाड़ने में भी उनकी भूमिका है। ऐसे में पार्टी दलित प्रतिनिधित्व बढ़ा सकती है। किसी जाटव चेहरे को भी केंद्र में जगह मिल सकती है।
कई ब्राह्मण चेहरे भी सक्रिय
वहीं एकाध पिछड़े चेहरे को बदलने का प्रयोग भी हो सकता है, हालांकि जातीय प्रतिनिधित्व बरकरार रखने का प्रयास होगा। इसके अलावा कई ब्राह्मण चेहरे भी सक्रिय हो गए हैं। यदि ब्राह्मण चेहरे में बदलाव होता है तो बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी भी इस दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं। वहीं गौतमबुद्ध नगर के सांसद महेश शर्मा भी वापसी को प्रयासरत हैं।
जाटों को लेकर भी पार्टी चौकन्नी
उधर, जाट वोट बैंक को साधना भी भाजपा के लिए चुनौती है। पहले 2022 के विधानसभा और फिर हालिया निकाय चुनावों में पश्चिमी यूपी में रालोद के हैंडपंप के रीबोर होने से पार्टी चौकन्नी है। मौजूदा अधिकांश जाट सांसदों के सामने भी चुनौती है क्योंकि मोदी मैजिक से वे जीत तो गए लेकिन बिरादरी में कुछ खास असर नहीं छोड़ सके हैं। हालांकि भाजपा इसी गुणा-गणित को ध्यान में रखते हुए प्रदेश संगठन की कमान पहले ही जाट नेता भूपेंद्र सिंह चौधरी को सौंप चुकी है।
सौजन्य : Live hindustan
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