मुफ्त बिजली का दांव चला, मूसेवाला फैक्टर बेअसर
संगरूर लोकसभा सीट का उपचुनाव हारने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए जालंधर लोकसभा सीट का उपचुनाव इमेज बचाने से कम नहीं था। दोआबा के दलित लैंड पर जालंधर में आप की जीत में सबसे बड़ा रोल हर महीने दी जाने वाली मुफ्त बिजली रहा। यहां संगरूर उपचुनाव के मुकाबले पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या का फैक्टर भी बेअसर रहा। आप की यह जीत 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान विरोधियों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
पिछले साल के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड जीत के साथ सरकार बनाने के बाद हर घर को प्रति महीने 300 यूनिट बिजली फ्री दे रही है। जालंधर दलित बाहुल्य आबादी वाला इलाका है। सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा इसी वर्ग को हुआ। खुद सरकार ने दावा किया था कि पंजाब के 75 लाख में से 61 लाख घरों के बिजली बिल जीरो हो गए। जालंधर के लोग जानते थे कि उन्हें सिर्फ 11 महीने के लिए सांसद चुनना है। उसके बाद फिर चुनाव होंगे। किसी भी दूसरी पार्टी को जिताने से उनका फायदा नहीं होगा, इसलिए उन्होंने राज्य सत्ताधारी पार्टी का सांसद चुना।
केजरीवाल ने तो प्रचार के दौरान कह भी दिया था कि अगर किसी दूसरे दल को जिताया तो वह राज्य सरकार के साथ लड़ाई में ही उलझा रहेगा।
मूसेवाला फैक्टर नहीं चल पाया
संगरूर सीट के उपचुनाव में आप की हार की वजह किसी भी दूसरे मुद्दे से ज्यादा पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या रही थी। यूथ की नाराजगी उसे भारी पड़ी। मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने जालंधर में भी इंसाफ यात्रा निकालकर आप को वोट न देने की अपील की थी।
संगरूर जाट बाहुल्य क्षेत्र है जबकि जालंधर में 48 प्रतिशत शहरी एरिया है। इसी वजह से मूसेवाला फैक्टर यहां बेअसर रहा। जालंधर सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। 1999 से 2019 के बीच हुए 5 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां से लगातार जीती। इस बार भी सबका आकलन यही था लेकिन कांग्रेस गढ़ बचाने के लिए एकजुट नहीं हो सकी। नवजोत सिद्धू, पंजाब कांग्रेस चीफ अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी अलग-अलग प्रचार करते रहे। दिल्ली से कांग्रेस का कोई बड़ा नेता वोटर को विश्वास दिलाने नहीं आया। अरविंद केजरीवाल ने इसे भी मुद्दा बनाया।
हार पर फिर फूट-फूट कर रोया नीटू शटरांवाला
जालंधर उपचुनाव में मतगणना के दौरान आजाद उम्मीदवार नीटू शटरांवाला फूट-फूट कर रोया। उपचुनाव में 4 हजार से ज्यादा वोट मिलने पर नीटू ने कहा कि आज एक बार फिर उसका दिल मतदाता ने तोड़ दिया। उसे पूरी उम्मीद थी कि वह जीत हासिल करेगा। जीत की खुशी में उसने लड्डू भी तैयार करवा रखे थे, लेकिन उसके लड्डू धरे रह गए। नीटू शटरांवाला हर बार चुनाव में खड़ा होता है और हर बार जमानत गंवा बैठता है। चाहे नगर निगम का चुनाव हो या फिर विधानसभा या लोकसभा का चुनाव, सभी में अपनी नॉमिनेशन फाइल करता है। नीटू शटरांवाला जालंधर में लोहे का काम करता है। लगभग पांच साल पहले वह गणतंत्र दिवस पर एक बमनुमा संदिग्ध चीज हाथ लगने के बाद चर्चा में आया था।
सरकारी स्कीमों पर यकीन
इस जीत से आप अब यह बात खुलकर कहेगी कि सरकार की एंटी करप्शन ड्राइव, मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल ऑफ एमिनेंस जैसी स्कीमें लोगों को पसंद आ रही हैं। जनता को सरकार के कामों पर यकीन है। इसके अलावा मियाद पूरी कर चुके 9 टोल प्लाजा को एक्सटेंशन न देकर बंद करने का फैसला भी लोगों को पसंद आ रहा है। बहरहाल, जालंधर सीट हारकर कांग्रेस जहां अपना गढ़ गंवा बैठी, वहीं कैप्टन अमरेंद्र सिंह, सुनील जाखड़ जैसे तमाम कांग्रेसी दिग्गजों को जोड़कर भी भाजपा कोई कमाल नहीं कर पाई।
सौजन्य : Dainik tribune online
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