जंतर-मंतर पर आंदोलनरत पहलवानों के समर्थन में उतरा जाति उन्मूलन संगठन
जाति उन्मूलन संगठन ने बैठक कर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठी महिला पहलवानों की माँगों का पूर्ण समर्थन किया है। संगठन का कहना है, कि भारतीय समाज का एक दूसरा पहलू भी है, जिस पर हमें ध्यान रखना होगा। जाति व्यवस्था के चलते भारतीय समाज में दलित जातियों बनाम दबंग जातियों का एक बुनियादी अंतर्विरोध भी मौजूद है। गाँवों में, कृषिभूमि पर कुछ विशेष जातियों का सदियों से कब्जा है। संगठन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, हरियाणा में तो जाट जाति का कृषि भूमि पर खासतौर से कब्जा है। इस भूमि पर सदियों से बतौर मजदूर के रूप में दलित समुदाय से आने वाले लोग ही कार्यरत रहे हैं, और आज भी यह स्थिति बदली नहीं है।
इनके बीच मजदूर और मालिक के वर्गीय संबंध ही मौजूद हैं। खेतिहर मजदूर के रूप में कार्यरत इन दलित पुरुष और महिला मजदूरों के साथ ये मालिक दबंग जातियों द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार को सभी लोग जानते हैं। इन मजदूरों का जातिगत उत्पीड़ित और यौन उत्पीड़न आये दिन की घटनाएं हैं। इन दलित महिला मजदूरों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न और रेप की घटनाओं पर समाज की विभिन्न जातियां आमतौर से मौन ही रहती आयी हैं, और यह स्थिति आज भी बदली नहीं है। दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहे महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन में यह आवाज भी उठ रही है, कि केवल दबंग जातियों के महिलाओं के उत्पीड़न का ही नहीं बल्कि सभी समाज के महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों का विरोध होना चाहिए।
दबंग जातियों द्वारा दलित समुदाय के महिलाओं के यौन उत्पीड़न का भी ऐसे ही विरोध किया जाना चाहिए। जाति उन्मूलन संगठन के समन्वयक जेपी नरेला के हवाले से विज्ञप्ति में कहा गया है, कि हम जोर देकर कहना चाहते हैं, कि जाति उन्मूलन संगठन सभी जातियों और वर्गों के महिलाओं के उत्पीड़न का विरोध करता है। जाति उन्मूलन संगठन ने इसके पहले भी इस तरह की महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर विरोध प्रदर्शन किया है। मगर हमारे इन विरोध प्रदर्शनों में दबंग जातियों का सहयोग और समर्थन नहीं मिला। हम चाहते हैं, कि सभी जातियों और वर्गों की महिलाओं के उत्पीड़न का विरोध हो और महिलाओं के हितों की रक्षा की जाए।
सौजन्य : Samtamarg
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