देश के पहले अर्थशास्त्री थे बाबासाहेब, दलितों की उन्नति के लिए किया कड़ा संघर्ष
14 अप्रैल, शुक्रवार को पूरा देश बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाएगा। हर भारतीय के लिए यह दिन बेहद खास है। भीमराव आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समाज के कल्याण में लगा दिया। उन्होंने छुआछूत, ऊंच-नीच, जातिवाद जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए काफी कड़ा संघर्ष किया था। इसके अलावा आजादी की लड़ाई में भी उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। भीमराव अंबेडकर से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर तक उनका सफर आसान नहीं था। इस दौरान उन्होंने कई विषम परिस्थितियों का सामना किया।
भीमराव आंबेडकर का जीवन हर उस व्यक्ति के लिए मिसाल है जो मुश्किलों से डरकर पीछे हट जाते हैं। देश को आज़ाद कराने की जिम्मेदारी उठाने के अलावा बाबासाहेब ने भारत के सविंधान का भी निर्माण किया। इस बार भीमराव आंबेडकर की 132वीं जयंती मनाई जाएगी। आइए इस मौके पर हम आपको बाबासाहेब से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।
बचपन में ही शुरू हुआ भेदभाव बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल, 1891 में मध्य भारत (आजादी से पहले) यानी मध्य प्रदेश के महू नगर सैन्य छावनी में रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई के घर हुआ था। भीमराव उनकी 14वीं संतान थे। बचपन में उनके परिजन प्यार से उन्हें भी वा बुलाते थे। महार जाति के होने के कारण बचपन से ही उन्हें छुआछूत और भेदभाव जेसी कुरीतियों को झेलना पड़ा था। भीमराव के पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन वे अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे।
भीमराव के पिता अंग्रेजी सेना में सूबेदार के पद पर थे लेकिन उन्हें भी हमेशा भेदभाव ही सहना पड़ा। अपने शिक्षक को बेहद प्रिय थे भीमराव 7 नवंबर, 1900 में भीमराव के पिता रामजी सकपाल ने सातारा की गवर्नमेंट हाई स्कूल में अपने बेटे का दाखिला करवाया था। उन्होंने अपने मूल नाम की जगह भीमराव का नाम अपने गांव आंबडवे पर उनका नाम आंबडवेकर लिखवाया था। पढ़ाई में भीमराव की रूचि और उनकी काबिलियत ने उन्हें अपने ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा केशव का प्रिय छात्र बना दिया। यही वजह थी कि कृष्णा केशव अंबेडकर ने भीमराव के नाम के साथ अपनी जाति अंबेडकर जोड़ दिया था। आज पूरी दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती है।
7 नवंबर, 1900 को इसलिए मनाते हैं विद्यार्थी दिवस साल 1897 में अंबेडकर का पूरा परिवार बंबई यानी मुंबई आ गया था। अंबेडकर ने सातारा नगर में शासकीय हाईस्कूल से 7 नवंबर 1900 को अंग्रेजी की पहली कक्षा में दाखिला लिया था। यही वजह है कि पूरे महाराष्ट्र में 7 नवंबर को हर साल विद्यार्थी दिवस मनाया जाता है। जब वे चौथी क्लास में थे तो अंग्रेजी में पास होने पर उनके समुदाय के लोगों ने खूब जश्न मनाया था। जब अंबेडकर केवल 15 वर्ष के थे तो उनका विवाह रमाबाई से हुआ।
दलित वर्ग को दिलाया समानता का दर्जा भले ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा में भीमराव अंबेडकर को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था लेकिन बावजूद इसके वे निरंतर आगे ही बढ़ते गए। 1907 में मैट्रिक पास करने के बाद वे एल्फिंस्टन कॉलेज गए। फिर साल 1912 तक बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने बड़ौदा सरकार में काम करना शुरू कर दिया। 22 साल की उम्र में वे आगे की पढ़ाई के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका गए। डॉक्टर आंबेडकर अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले देश के पहले अर्थशास्त्री भी थे। आंबेडकर छुआछूत को गुलामी से भी बदतर बताया था। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को शिक्षित होने के लिए कहा था। उनका मानना था कि शिक्षा ही सबको समानता दिला सकती है। जातिवाद और छुआछूत को खत्म करने के लिए उन्होंने कई आंदोलन भी किए थे। 15 अगस्त, 1947 को कांग्रेस सरकार ने उन्हें पहले कानून और न्याय मंत्री के तौर पर चुना था।
सौजन्य : Boldsky
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