गैर इरादतन हत्या व दलित उत्पीड़न में तीन को उम्रकैद
बलरामपुर। विशेष सत्र न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट ने गैर इरादतन हत्या व दलित उत्पीड़न के मामले में तीन अभियुक्तों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने तीनों पर 12-12 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
विशेष अभियोजक एससी-एसटी एक्ट रणधीर सिंह ने बताया कि जिगना गावं निवासी छेदी ने 6 अगस्त 2007 को पचपेड़वा थाने में प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें कहा था कि गांव के ही दयाशंकर, गोलई, बृजभान उर्फ पप्पू, चंद्रभान व सतेंद्र कुमार चौधरी ने रंजिश को लेकर पीड़ित व उसके परिवार के ऊपर हमला कर सभी को घायल कर दिया। पुलिस ने केस दर्ज कर विवेचना शुरू की। इसी बीच इलाज के दौरान छेदी की मृत्यु हो गई।
पुलिस ने सभी के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या व दलित उत्पीड़न के तहत आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। सत्र परीक्षण के दौरान सरकारी अधिवक्ता विजय आर्य ने आठ गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत किया। इस दौरान अभियुक्त दयाशंकर की मृत्यु हो गई, जिसके कारण उनका नाम पत्रावली से हटा दिया गया।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद विशेष सत्र न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट विनोद कुमार ने गोलई, बृजभान उर्फ पप्पू व चंद्रभान को गैर इरादतन हत्या व दलित उत्पीड़न का दोषी मानते हुए सजा सुनाई। न्यायाधीश ने साक्ष्यों के अभाव में सतेंद्र कुमार चौधरी को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
सौजन्य : Amar ujala
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