क्यों नहीं कर सकते ट्रांसजेंडर, गे और सेक्स वर्कर्स ब्लड डोनेट, क्या है इस पर नियम
बल्ड डोनेट करना आज के समय के लिए किसी को जीवनदान देने से कम नहीं होता. क्योंकि कई बार समय पर खून न मिलने पर इंसान की मौत हो जाती है. लेकिन क्या आप जानत है कि भारत में कई लोग ऐसे है जिन्हें खून देने की मनाही है. ये रोक स्वयं भारतीय सरकार ने लगाई है. तो चलिए जानते है आखिर वह तबका कौन सा है जिसे भारत के कानून में खून देने पर लोक लगाई हुई है.
ट्रांसजेंडर, गे और सेक्स वर्कर्स इन्हें भारतीय सरकार के तरफ से खून देने पर सख्त मनाही है. क्योंकि सरकार का इस बारे में कहना है कि बीमार और जरूरत पड़ने वाले व्यक्ति को साफ बल्ड की आवश्यकता होती है ऐसे में इन तीनों को बल्ड साफ नहीं माना गया है. जिसकी वजह से इन पर बल्ड देने पर रोक लगी है.
इन बीमारियां का बढ़ेगा रिस्क
सरकार का मानना है कि अगर ट्रांसजेंडर, गे और सेक्स वर्कर्स (transgender, gay, sex workers) को बल्ड डोनेट करने की इजाजत दे दी जाय तो इंसान में HIV AIDS, हेपेटाइटिस B या C, मलेरिया और STI यानी (सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन) का खतरा बढ़ जाएगा.
क्या कहती है सरकार की गाइडलाइन
केंद्र सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बारे में जरूरी गाइडलाइन भी जारी कर रखी है। जिसके आधार पर ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुष और महिला, सेक्स वर्कर्स के ब्लड डोनेट करने पर रोक लगाई है। इस गाडलाइन को लेकर सरकार ने 2017 में नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने डॉक्टर और साइंटिफिक एक्सपर्ट की सलाह और रिसर्च से के आधार पर इस खाके को तैयार किया था .
गाइडलाइन बनाने के पीछे का तर्क
ट्रांसजेंडर, गे और सेक्स वर्कर्स को बल्ड डोनेट ना करने को लेकर सरकार ने काफी रिसर्च की थी जिसे उसने केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समाने पेश किया था जिसमें बताया गया था कि क्यों इन लोगों को बल्ड डोनेट (Blood Donation) नहीं करना चाहिए. 2021 में चेन्नई और मुंबई के उन पुरुषों पर केंद्र सरकार ने एक रिसर्च करवाई थी कि जिसमें सामने आया था कि जिनके शारारिक संबंध दूसरे पुरुषों से थे. इस रिपोर्ट में चौकाने वाला तथ्य सामने आया कि देश में MSM की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे रिश्ते में प्रिकॉशन नहीं लिया जाता, इसलिए STI और क्लैमाइडिया इन्फेक्शन जैसी बीमारी फैल रही है.
वहीं दूसरी और ट्रांसजेंडर को लेकर भी रिसर्च में सामने आया कि इनमें HIV का खतरा दूसरों के मुकाबले काफी ज्यादा होता है. वो इससे बचने के लिए किसी बी तरह के प्रीकॉशन यूज नहीं करती है. जिसका खुलासा 2021 में हुई एक स्टडी में सामने आया है. यह अपने आप में एक यूनीक स्टडी थी। इसमें 34 देशों की 98 स्टडी को एक साथ लिया गया था। इनमें 78 स्टडीज में यह बात सामने आई कि ट्रांसजेंडर पुरुष और महिला दोनों में HIV और STD का रिस्क ज्यादा है।
कौन कर सकता है एक दूसरे को बल्ड डोनेट
तक आपने जाना कि ट्रांसजेंडर, गे और सेक्स वर्कर्स बल्ड डोनेट करने की इजाजत नहीं है. O+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति A+, B+, AB+ और O+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को खून दे सकता है. O- ब्लड ग्रुप वाला डोनर किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को डोनेट कर सकता है. AB+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति सिर्फ AB+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को ब्लड दे सकता है.
इन ग्रुप वाले एक दूसरे को बल्ड देने के साथ ख्याल रखे कि एक हेल्दी पर्सन को कम से कम 3 महीने में एक बार ब्लड डोनेट करना चाहिए.अगर किसी को इससे पहले जरूरत पड़ती है तो एक महीने बाद भी रक्तदान किया जा सकता है ताकि जरूरतमंद की जान को बचाया जा सके.
सौजन्य : Zee news
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