Rohini Ghavari: जिनेवा में पीएचडी कर रही सफाईकर्मी की बेटी, UNHRC में की देश की तारीफ, कहा- संविधान ने दलितों को दिया हक
जिनेवा. एक सरकारी स्कॉलरशिप पर स्विट्जरलैंड में पीएचडी कर रही इंदौर के एक सफाईकर्मी की बेटी ने जिनेवा (Geneva) में मानव अधिकार परिषद (UNHRC) के 52वें सत्र में हाशिये पर रहने वाले लोगों को आगे बढ़ाने के लिए देश की प्रशंसा की है. रोहिणी घावरी (Rohini Ghavri) ने कहा कि ‘यूएन की बैठक में हिस्सा लेने का उनको एक सुनहरा मौका मिला है. मैं पिछले 2 साल से जिनेवा में अपनी पीएचडी कर रही हूं. यूएन में भारत का प्रतिनिधित्व करना और भारत में दलितों की हालत के बारे में जागरूकता फैलाना मेरा सपना था. एक दलित लड़की होने के नाते इस तरह की जगह पर पहुंचने का मौका मिलना कठिन होता है.’
पीएचडी छात्रा और दलित कार्यकर्ता रोहिणी घावरी ने कहा कि ‘एक दलित लड़की होने के नाते मुझे गर्व है कि मुझे यहां आने का मौका मिला और अपनी बात रखने का मौका मिला. मैंने लोगों को बताया कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में दलितों की स्थिति काफी बेहतर है. हमारे भारत में आरक्षण नीति है. मुझे खुद भारत सरकार से 1 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली है. तो मैं खुद एक इसका उदाहरण हूं. एक सफाई कर्मचारी की बेटी होने के नाते हम यहां तक पहुंचे हैं, यह एक बड़ी उपलब्धि है.’ गौरतलब है कि पाकिस्तान लगातार भारत में अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों जैसे हाशिये के समुदायों से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाने की कोशिश करता रहता है|
रोहिणी ने कहा कि देश में बड़ा बदलाव हुआ है और आज हमारे देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी द्रौपदी मुर्मू और एक ओबीसी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं. देश की आजादी के 75 साल में दलितों के हालातों में बहुत बदलावों को देखा गया है. रोहिणी ने कहा कि हाशिये के लोगों में से शीर्ष पदों पर पहुंचने वालों की संख्या भले ही बहुत ज्यादा नहीं हो, मगर हमारे देश का संविधान बहुत मजबूत है. ये हाशिये पर रहने वाले समुदाय के हर सदस्य को ये अवसर देता है कि वो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनने का सपना देख सके. हर कोई हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड जा सकता है. भारत में इस तरह के बदलाव देखे जा सकते हैं.
सौजन्य : news18.com
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