यमुनापार की चार तहसील के 100 गांवों के हजारों किसान, मजदूर जनपद मुख्यालय रवाना
प्रयागराज के करछना, बारा, मेजा और कोरांव तहसील के तकरीबन 100 गांव के पिछड़े एवं दलित वर्ग से जुड़े हजारों महिला, पुरुष अपनी 10 सूत्रीय मांग को लेकर 20 मार्च को प्रयागराज पहुंच गए। तहसील मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन की कोई सार्थक परिणाम न मिलने के बाद किसानों मजदूरों का यह जन समूह आज जनपद स्तर पर अपनी मांग रखने के लिए पहुंचा है।
सामूहिक रूप से धरना प्रदर्शन एवं पैदल मार्च करने के लिए प्रयागराज के लिए रवाना हुए सम्यक संवैधानिक क्रांति मोर्चा के बैनर तले धरना प्रदर्शन करने के लिए निकले किसानों के इस जनसमूह को लेप्रोसी मिशन चौराहा नैनी के पास रोक दिया गया। उनकी बसों को शहर के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया गया। जिसके बाद सभी किसान बसों से उतरकर पैदल ही शहर के लिए मूव कर गए। इस दौरान अचानक से आई भीड़ के कारण लेप्रोसी मिशन चौराहा नैनी पर जाम लग गया। जिसे खाली कराने के लिए पुलिस को पसीने बहाने पड़े।
4 मार्च को व्यापक पैमाने पर किया गया था धरना प्रदर्शन
गत 4 मार्च को यमुना पार के करछना तहसील मुख्यालय में सम्यक संवैधानिक क्रांति मोर्चा की ओर से व्यापक पैमाने पर धरना प्रदर्शन किया गया था। बैकवर्ड (ओबीसी, एससी, एसटी एंड माइनॉरिटी) जन आंदोलन के तहत बेरोजगार, किसान, मजदूर, जाति जनगणना एवं जनजाति दर्जा देने व भूवितरण के लिए एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया था। संवैधानिक क्रांति मोर्चा के सब कोऑर्डिनेटर श्याम पटेल ने जिला कोआर्डिनेशन कमेटी समिक संवैधानिक क्रांति मोर्चा की ओर से 10 सूत्री मांग पत्र एसडीएम करछना डॉ. गणेश कनौजिया को सौंपा गया था।
मजदूर परिवारों को 5000 रुपए मासिक भत्ता की मांग की गई थी
मांग पत्र में सरकारी संस्थानों का हो रहा निजीकरण असंवैधानिक है। अतः निजीकरण प्रक्रिया बंद किया जाए। निजी किए गए संस्थानों का पुनः राष्ट्रीयकरण किया जाने, राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन कर किसानों की मासिक आय कम से कम चतुर्थ श्रेणी सरकारी कर्मचारी के बराबर निर्धारित करने, ओबीसी की जातिवार जनगणना कराने, सभी जाति वर्गों को आबादी के अनुपात में सभी क्षेत्रों विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और सरकारी संस्थानों में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने, क्रीमीलेयर तत्काल खत्म कर ओबीसी की 60% आरक्षण सुनिश्चित करने, उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 63 – 64 के अधीन आवासीय एवं धारा 126 के अधीन कृषि हेतु कम से कम पांच – पांच बीघे जमीन भूमिहीनों एवं कृषि मजदूरों/अपेक्षित वर्गों को देना सुनिश्चित करने औरमत्स्य पालन और बालू खनन करने वाले मजदूर परिवारों को पांच हजार रुपए मासिक भत्ता देने की मांग की गई थी।
उच्च एवं उच्चतम न्यायपालिका के जजों की नियुक्ति में ओबीसी, एससी/एसटी व माइनॉरिटी को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाने, भारत में एक राष्ट्र एक शिक्षा नीति के तहत समान अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा नीति लागू करने, कोल, मुसहर, धरकार, गोंड आज जातियों को उत्तर प्रदेश में भी जनजाति का दर्जा देकरजनजाति की सुविधाएं देना सुनिश्चित करने, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पैतृक संपत्ति एवं देश के सभी संस्थानों में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने, सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों की पेंशन व अन्य सुविधाएं तत्काल बंद करने, तहसील, ब्लाक एवम थानों में रिश्वतखोरी रोकने हेतु कमेटी बनाकर साप्ताहिक समीक्षा रिपोर्ट सार्वजनिक करने, बालू पत्थर खनन एवं मत्स्य पालन का कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी से करते चले आ रहे लोगों को अनुज्ञापत्र जारी करने और इन्हें अनुदान के रूप में प्रतिमाह पांच हजार रुपए दिए जाने की मांग की गई थी।
20 मार्च को 100 गांव से लोग पैदल मार्च पर निकले
मांग पत्र पर कोई सार्थक जवाब न मिलने से नाराज इस संगठन के लोगों ने 20 मार्च को यमुना पार के करछना कोरांव, मेजा और बारा तहसील के लगभग 100 गांव से बसों और अन्य वाहनों से हजारों की संख्या में महिला पुरुष किसान मजदूर प्रयागराज शहर में धरना प्रदर्शन करने और पैदल मार्च करने के लिए निकले। दोपहर में नैनी लेप्रोसी मिशन चौराहे के पास इनके वाहनों को शहर के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया गया। जिसके बाद सारे वाहन नए पुल एटलेन के बगल में पार्क करा दिए गए। जहां से किसान मजदूर पैदल ही प्रयागराज शहर के लिए रवाना हो गए। पुलिस प्रशासन ने इन किसान मजदूरों को बहुत समझाने का प्रयास किया लेकिन कोई माना नहीं।
इस दौरान ये लोग रहे उपस्थित
इस दौरान मोस्ट पीपुल्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयोजक रामराज आदिवासी, राष्ट्रीय प्रभारी कमलेश गुप्ता, राष्ट्रीय प्रचारक अश्वनी पटेल, राष्ट्रीय संयोजिका सुशीला आदिवासी, राष्ट्रीय सह संयोजिका संगीता कनौजिया, जिलाध्यक्ष शालिग्राम आदिवासी, जिला संयोजक ओमप्रकाश आदिवासी, तहसील अध्यक्ष रिंकू कोटार्य, किसान नेता रामराज पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता वंश बहादुर आदिवासी के अलावा एडवोकेट वीरेंद्र आदिवासी, लाल बहादुर गुप्ता, ओम शंकर आदिवासी, शकुंतला भारतीय, स्वाति भारतीय, अनीता, सुषमा कोटार्य, फूलकली पटेल, शिवपति रत्नाकर, अर्चना रत्नाकर, संजू देवी, अरविंद विश्वकर्मा, सूर्यमणि निषाद, किरण आदिवासी, भैरवलाल आदिवासी, अजय कुमार, मनीषा गौतम, प्रवीण कुमार कुशवाहा और अनामिका आदिवासी समेत हजारों लोग शामिल रहे।
सौजन्य : Dainik bhaskar
नोट : समाचार मूलरूप से bhaskar.com में प्रकाशित हुआ है| मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित है!