चरणजीत सिंह चन्नी की सियासी पारी पर ब्रेक? दलित चेहरे को कांग्रेस ने नहीं दिया टिकट
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह लेने वाले ‘दलित चेहरे’ चरणजीत सिंह चन्नी की सियासी पारी पर ब्रेक लगने के संकेत मिल रहे हैं। हाल ही में पार्टी ने जालंधर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से उनका पत्ता काट दिया है। कहा जा रहा है कि चन्नी इस चुनाव के जरिए राजनीति में वापसी की राह देख रहे थे। खास बात है कि बीते विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर उतरे चन्नी दोनों ही सीटें हार गए थे।
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सांसद चौधरी संतोख सिंह का निधन हो गया था। इसके चलते ही सीट पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने दिवंगत नेता की पत्नी करमजीत कौर चौधरी को ही मैदान में उतारा है। हालांकि, भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से उपचुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया है। अब तक सीट से केवल कांग्रेस ने ही उम्मीदवार के नाम की घोषणा की है।
चन्नी को कैसे झटका
पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान हुई सियासी उथल पुथल के बीच जब पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर हटाए गए, तो नए सीएम के नाम पर चर्चाएं तेज हुईं। उस दौरान नवजोत सिंह सिद्धू समेत कई बड़े नामों को पीछे रखते हुए हुए चन्नी को पार्टी ने चुना। इसके साथ ही पंजाब को पहला दलित सीएम देने की चर्चाओं ने भी खूब जोर पकड़ा।
हालांकि, 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के हाथों करारी हार मिली और चन्नी भी अपनी दोनों सीटें गंवा बैठे। इस हार के साथ ही चन्नी सियासी तस्वीर से भी गायब हो गए थे।
अब दोबारा पंजाब में चुनावी वापसी की तैयारी कर रहे दलित नेता के लिए टिकट न मिलना बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल, बीते कुछ महीनों से वह लगातार क्षेत्र में सक्रिय बने हुए थे। इधर, एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि कांग्रेस सिम्पैथी वोट के चलते कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
कांग्रेस के लिए जीत अहम पर चुनौतियां भी हैं
2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव अहम है। इधर, मुख्यमंत्री भगवंत मान की संगरूर सीट पर हार के बाद आप जालंधर उपचुनाव में जीत दर्ज करना चाहती है। साल 2019 लोकसभा चुनाव में पंजाब की 13 सीटों में से कांग्रेस ने 8 और भाजपा, अकाली दल ने 2-2 और आप ने एक सीट हासिल की थी। सिंह के निधन के बाद कांग्रेस सांसदों की संख्या 7 हो गई है।
सौजन : Live hindustan
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