मुसइतपुर कांड में 11 दोषी करार
अंबेडकरनगर। दो दशक पुराने बहुचर्चित मुसइतपुर कांड में एमपी-एमएलए कोर्ट ने 11 आरोपियों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहरा दिया है। इन सभी को अब 27 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। कोर्ट ने इसी मामले में पूर्व विधायक पवन पांडेय व एक अन्य को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
बेवाना थाना क्षेत्र का मुसइतपुर गांव 22 अक्टूबर 2002 को बड़े संघर्ष का गवाह बना था। वहां दलितों व ब्राह्मणों के बीच जमकर संघर्ष हुआ था जिसकी गूंज प्रदेश की राजधानी तक सुनाई दी थी।
पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के साथ ही लंबे समय तक यह गांव गहमागहमी का केंद्र बना रहा था। इसमें दलित पक्ष के एक व्यक्ति मंजू की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। दलित पक्ष की तरफ से रामसुमिरन ने कुल 15 लोगों पर केस दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना के बाद अकबरपुर निवासी पूर्व विधायक पवन पांडेय का भी नाम बढ़ा दिया था।
एफआईआर में आरोपी बनाए गए तत्कालीन ग्राम प्रधान धर्मेंद्र चौधरी व बेवाना निवासी चिकित्सक ओमअनादि गुप्त का नाम विवेचना में निकाल दिया गया जबकि 14 आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की गई।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिलीप सिंह ने बताया कि कुल 13 गवाह प्रस्तुत किए गए। सभी ने घटना की पुष्टि की। साक्ष्य न मिलने पर अब विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट/अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ अभिषेक श्रीवास्तव ने पूर्व विधायक पवन पांडेय व अहलादे निवासी सुभाष यादव को बरी कर दिया।
न्यायाधीश ने मुसइतपुर निवासी मुख्य आरोपी सदाशिव तिवारी, रामजीत, निन्हकू, पप्पू, रमेश, रमाशंकर व कौशलेंद्र, अहलादे निवासी सुमन तथा जगदीशपुर मुस्लिम निवासी बब्बल, भाकुर व डिंगुरी को गैर इरादतन हत्या आदि का दोषी करार दे दिया।
इन सभी को अब सोमवार को सजा सुनाई जाएगी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष इंद्रमणि शुक्ल ने बताया कि मुकदमे की प्रक्रिया के दौरान एक आरोपी उमाशंकर का निधन हो गया था।
सौजन्य : Amar ujala
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