UP: जम्मू कश्मीर के छात्रों का आगरा के वकीलों ने केस लड़ने से मना किया, HC ने सहारनपुर ट्रांसफर किया मुकदमा
“राजद्रोह के एक मामले में जम्मू कश्मीर के तीन इंजीनियरिंग छात्रों को यूपी (आगरा) में कोई वकील नहीं मिला। आगरा बार एसोसिएशन ने इन छात्रों की पैरवी करने से इंकार कर दिया। लिहाजा हाईकोर्ट ने मामले को सहारनपुर कोर्ट में ट्रांसफर किया है। मामला टी-20 क्रिकेट मैच में भारतीय खिलाड़ियों पर टिप्पणी को लेकर हिंदू संगठन द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे का है।”
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब कश्मीरी तीन इंजीनियरिंग छात्रों पर अब सहारनपुर में राजद्रोह का मुकदमा चलेगा। यह केस आगरा से सहारनपुर शिफ्ट किया गया। अक्टूबर 2021 में टी-20 क्रिकेट मैच में भारतीय खिलाड़ियों पर टिप्पणी पर मुकदमा आगरा में हिंदू संगठन ने दर्ज कराया था। दरअसल, आगरा बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित कर तीनों आरोपियों की ओर से पैरवी नहीं करने का निर्णय किया था। इस पर हाईकोर्ट ने मामले को सहारनपुर कोर्ट में स्थानांतरित किया गया है। 21 मार्च को सुनवाई होगी।
मामला आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज का है जहां के तीन कश्मीरी छात्रों को अक्टूबर 2021 में टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में भारत पर पाकिस्तान क्रिकेट टीम की जीत का जश्न मनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अब करीब 15 माह बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर उनकी केस फाइल सहारनपुर पहुंच गई है। आगरा में वकीलों ने उनके लिए लड़ने से इनकार कर दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, अभियुक्तों ने, आगरा में वकीलों द्वारा कश्मीरी छात्रों का प्रतिनिधित्व नहीं करने की घोषणा पर, मामले को आगरा के बाहर किसी स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
इस साल 11 जनवरी को हाईकोर्ट ने यह कहते हुए आदेश पारित किया, कि “जिला बार एसोसिएशन, आगरा ने एक संकल्प लिया है कि वे आवेदकों के मामले का बचाव नहीं करेंगे। आवेदकों पर राजद्रोह का आरोप है और आगरा (एसआईसी) में मुकदमे में असुविधा महसूस कर रहे हैं। उनकी दलीलों को ध्यान में रखते हुए और तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान मामले को स्थानांतरित करना उचित होगा।” कोर्ट ने आगे कहा: “मामला (अपराध संख्या 675/2021) धारा 153A (धर्म, जाति, आदि के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना), 505 (1) (बी) (दुर्भावनापूर्ण इरादों के साथ अफवाह या रिपोर्ट का प्रसार), 124A के तहत (देशद्रोह) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66एफ को कानूनानुसार निपटान के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) आगरा की अदालत से वापस लेते हुए, सीजेएम सहारनपुर की अदालत में स्थानांतरित किया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सहारनपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद कुमार शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “न्याय प्राप्त करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है।”
TOI के अनुसार, तीनों छात्रों- अर्शीद यूसुफ, इनायत अल्ताफ शेख और शौकत अहमद गनी (सभी की उम्र करीब 20 साल) के खिलाफ कथित तौर पर पाकिस्तानी खिलाड़ियों की प्रशंसा करते हुए, व्हाट्सएप स्टेटस पोस्ट करने के लिए, प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उन्हें 27 अक्टूबर 2021 में आगरा जेल भेज दिया गया था। करीब 6 माह बाद उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। लेकिन उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया था। मथुरा के वकील, मधुवन चतुर्वेदी, जिन्होंने अंततः उनका मामला उठाया, ने TOI को बताया कि “तकनीकी वजहों” के चलते मामला पहले ही रद्द कर दिया गया था। चतुर्वेदी ने कहा, crpc196 के प्रावधान के उल्लंघन के चलते कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के केस को खारिज कर दिया था। दरअसल इस धारा में कहा गया है कि कोई भी अदालत, राज्य या केंद्र की पूर्व मंजूरी के बिना 153ए या 124ए आदि के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान नहीं ले सकती है। और इस विशेष मामले में ऐसी कोई मंजूरी नहीं ली गई थी। यह आदेश अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 16 अप्रैल, 2022 को दिया था।”
वकील ने आगे कहा, “मई में, मामले में एक और प्रगति हुई। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में देशद्रोह के तहत चल रहे सभी आपराधिक मुकदमों को निलंबित कर दिया। इसलिए तकनीकी रूप से मामला रद्द (set aside) हो गया था। लेकिन जो भी कारण रहे हो, अंतिम तौर से केस बंद होना अभी बाकी है और फाइल को रिकॉर्ड रूम में नहीं भेजा गया है। अब मामला सहारनपुर कोर्ट में पहुंचने से उम्मीद है कि फाइल जल्द ही सौंप दी जाएगी और ज़मानत (प्रत्येक 2 लाख रुपये) का निर्वहन किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर छात्र संघ के यूपी अध्यक्ष मंज़ूर वानी ने बताया, “तीनों छात्रों में से केवल शौकत गनी ने ही अपनी पढ़ाई जारी रखी है, जबकि अन्य दो की पढ़ाई छूट गई है। इसके लिए मुख्य रूप से दो कारण हैं। सबसे पहले, उनमें से प्रत्येक को इस झंझट से निकलने के लिए 10 से 12 रुपये खर्च करने पड़े हैं और ये सभी गरीब परिवारों से हैं। दूसरे, अन्य दो आगरा लौटने से डर रहे हैं।
मंज़ूर वानी कहते हैं, हमारा विनम्र निवेदन है कि अब जब अदालत ने मामले को रद्द (set aside) कर दिया है, अगर क्लोजर रिपोर्ट दायर की जाती है, तो तीनों को 2-2 लाख रुपये के ज़मानत बांड से मुक्ति मिल सकेगी। हमें उम्मीद है कि सहारनपुर में ट्रांसफर के बाद मामले को जल्द से जल्द बंद किया जाएगा क्योंकि उन्हें अभी तक क्लीन चिट नहीं मिली है।
आरोपी छात्रों में से एक शौकत ने टीओआई को बताया, ‘हमें केस लड़ने के लिए अपनी जमीन और सभी कीमती सामान बेचना पड़ा है। मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। मैं अपने कॉलेज में टॉपर था और बीटेक के अंतिम वर्ष में था लेकिन अन्य दो इतने भाग्यशाली नहीं थे।
यह था मामला
कश्मीरी तीनों छात्र इनायत अल्ताफ शेख, अर्शीद यूसुफ और शौकत अहमद गनी आगरा के राजा बलवंत सिंह इंजीनियरिंग कॉलेज आगरा में पढ़ाई करते थे। मामला अक्टूबर 2021 का है।
इंजीनियरिंग संकाय में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्र इनायत अल्ताफ शेख, शौकत अहमद गनई और अर्शीद युसुफ पर क्रिकेट मैच में भारत की पाकिस्तान के खिलाफ हार पर खुशी मनाने का आरोप लगाया और तीनों के खिलाफ आगरा के थाना जगदीशपुरा में गौरव राजवत ने 26 अक्टूबर 2021 को राजद्रोह एवं आईटी एक्ट समेत अन्य धाराओं में अभियोग दर्ज किया गया था। तीनों पर आईपीसी के अंतर्गत 124ए (राजद्रोह), 153ए (सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करना), 505(1)(बी) लोगों को शांतिभंग करने के लिए उकसाने तथा साइबर आतंकवाद के अपराध को बनी धारा 66एफ आईटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था, तीनों ने राष्ट्र विरोधी माहौल पैदा किया है।
हालांकि इस मामले की मुख्य कड़ी टी-20 मैच से जुड़ी है, जिसमें भारत की बैटिंग के दौरान इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी। इसके बाद कुछ हिंदूवादी संगठनों ने इस मामले को उठाया और इनकी गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने 27 अक्टूबर 2021 को तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामले में इन तीनों आरोपियों को उच्च न्यायालय से 30 मार्च 2022 को सशर्त जमानत मिल गई थी।
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