‘अब और उधार नहीं’— अल्पसंख्यकों की स्कॉलरशिप खत्म करने से कैसे ड्रॉपआउट बढ़ने की आशंका गहराई
पीएचडी स्कॉलर्स और प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप खत्म कर दी गई है. वित्त मंत्री ने कहा था कि 2022 से पहले चयनित लोगों को फंड मिलेगा, लेकिन छात्रों का दावा है कि पैसे नहीं दिए गए|
नई दिल्ली: फरवरी 2022 में जब अबू सूफयान को पता चला कि उसे मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप (एमएएनएफ) के लिए चुना गया है तो उसे लगा कि अगले पांच सालों तक—फेलोशिप की अवधि के दौरान—उसके रहने और पढ़ाई पर होने वाले खर्च की समस्या हल हो गई है|
बिहार के पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज़ में पीएचडी स्कॉलर सूफयान पर अब एक साल बाद दोस्तों का 1.5 लाख रुपये से अधिक का कर्ज़ है, छह महीने का मेस (हॉस्टल) चार्ज बकाया है और वे इसी उधेड़बुन में है कि अपने खर्चों को कहां से पूरा करेंगे. उनके पिता बीमार हैं और एक छोटा भाई है जिसे अभी भी परिवार से वित्तीय सहायता की ज़रूरत है|
एमएएनएफ अल्पसंख्यक छात्रों के लिए कई सरकारी छात्रवृत्ति कार्यक्रमों में से एक था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है|
सूफयान ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘जब मैंने वित्त मंत्री का बयान देखा तो इस बात को लेकर आश्वस्त था कि मौजूदा फैलोशिप जारी रहेगी, लेकिन सच्चाई यह है कि पिछले साल सितंबर से हममें से किसी को भी पैसे नहीं मिले हैं और मेरे पास तो अब दोस्तों से पैसा उधार लेने की स्थिति भी नहीं रह गई है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले छह महीनों से मेस का चार्ज बाकी है जो कि 15 मार्च तक भरना होगा…मैं नहीं जानता कि पैसे कहां से आएंगे. बहुत से दूसरे छात्र भी इसी तरह के संकट का सामना कर रहे हैं.’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि जो अल्पसंख्यक छात्र मार्च 2022 तक चुने जा चुके हैं, उन्हें अवधि पूरी होने तक फेलोशिप मिलती रहेगी.
पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा को बताया था कि एमएएनएफ को 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से बंद कर दिया गया है क्योंकि यह ‘‘सरकार की तरफ से उच्च शिक्षा के लिए लागू विभिन्न अन्य फेलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप कर रही थी और अल्पसंख्यक छात्र पहले से ही ऐसी योजनाओं के अंतर्गत आते हैं.’’
एमएएनएफ के तहत, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले अल्पसंख्यक छात्र आवधिक आकस्मिक राशि और मकान किराया भत्ता के अलावा प्रति माह 31,000 रुपये की राशि प्राप्त करने के पात्र थे, बशर्ते सरकारी छात्रावास में न रहते हों.
सूफयान ने बताया, ‘‘यह फेलोशिप जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) की तरह ही और उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी थी, जो केवल कुछ नंबरों से जेआरएफ से चूक गए हों.’’ जेआरएफ पीएचडी स्कॉलर्स की वित्तीय मदद करने वाली यूजीसी की एक योजना है.
स्मृति ईरानी की तरफ से संसद में की गई घोषणा के बाद मंत्रालय की वेबसाइट पर एक नोटिस में कहा गया कि जूनियर कक्षाओं के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति भी बंद कर दी जाएगी, क्योंकि वो भी पहले से चल रही अन्य योजनाओं के तहत कवर होती है|
सौजन्य :hindi.theprint.
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