टीचर की पिटाई से दलित छात्र की मौत, प्रशासन का दिया चेक हुआ बाउंस
कुछ महीनों पहले में टीचर की पिटाई से दसवीं में पढ़ने वाले दलित छात्र की मौत हो गयी थी जिसके बाद प्रशासन की तरफ से छात्र के परिवार को तीन लाख रूपए का चेक दिया गया था। जब परिवारीजनों ने चेक को बैंक में जमा करवाया तब उन्हें पता चला कि चेक बाउंस हो गया है। फिलहाल अब मामले को राजनीती की तरफ मोड़ दिया गया है क्योंकि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे के जरिये सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि, “सरकार की नकली संवेदना की तरह ही यह चेक भी नकली है।”
चार महीने पहले हुई थी मौत
यह मामला चार माह पूर्व का है जब के वैशाली इलाके में रहने वाले एक दलित छात्र को टीचर के द्वारा बुरी तरह से पीटा गया था। टीचर ने बच्चे के बाल तक नोच लिए थे और उसे जातिसूचक गालियां भी दी थीं। जब उसकी नाक से खून निकलने लगा तब जाकर टीचर ने बच्चे को छोड़ा। परिवार वालों ने छात्र को हॉस्पिटल में भर्ती करवाया और लगातार अस्पताल के चक्कर काटते रहे किन्तु 18 दिनों के बाद ही छात्र की मौत हो गयी। तब जाकर परिवार वालों ने प्रशासन के सामने जमकर हंगामा किया। काफ़ी समझाने के बाद और प्रशासन की तरफ से तीन लाख रूपए देने के बाद यह मामला शांत हुआ। लेकिन अब चेक बाउंस होने के बाद दोबारा यह मामला तूल पकड़ता हुआ दिख रहा है।
अखिलेश यादव का सरकार पर निशाना
(Auraiya District) में हुई इस निंदनीय घटना का शिकार हुए छात्र और परिवार को मिले चेक के बाउंस होने पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि, नक़ली संवेदना का नक़ली चेक। दलित बच्चे की पिटाई से हुई मौत के बदले मुआवज़े का चेक जब बैंक में ख़ारिज हो गया तो अब भाजपा का शासन-प्रशासन मुँह छिपाने के लिए कह रहा है वो चेक प्रतीकात्मक था।इससे बचकानी बात और क्या होगी। भाजपा में सब कुछ प्रतीकात्मक है, अच्छा हो कहा जाए छलात्मक है।
सौजन्य : Chetna manch
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