Bilkis Bano Case: स्पेशल बेंच बनाने को राजी हो गए CJI डी. वाई. चंद्रचूड़, जानें- जस्टिस बेला त्रिवेदी क्यों सुनवाई से हो गई थीं अलग
Justice Bela Trivedi: 4 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट की जज बेला एम त्रिवेदी ने गैंग रेप और हत्या मामले के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के फैसले को चुनौती देने वाली गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) बिलकिस बानो मामले (Bilkis Bano Case) की सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच (Special Bench) बनाने को राजी हो गए हैं। बिलकिस बानो ने उच्चतम न्यायालय (SUPREME COURT) में गुजरात सरकार (Government of Gujarat) के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया था।
बिलकिस बानो की तरफ से उनकी वकील शोफा गुप्ता ने मामले को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति जेबी पादरीवाला की पीठ के समक्ष रखा है। पीठ के सामने एडवोकेट गुप्ता ने इस बात को भी हाइलाइट किया कि कैसे जस्टिस बेला त्रिवेदी ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
इस प्रकार शोफा गुप्ता ने मुख्य न्यायाधीश से सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित करने का अनुरोध किया। मुख्य न्यायाधीश ने एक विशेष पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की और कहा कि वह इस मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करेंगे।
क्यों अलग हुई थीं बेला त्रिवेदी
दिसंबर 2022 में बिलकिस बानो की दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच सुनवाई कर रही थी, जिसमें जिसमें जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस अजय रस्तौगी थे। 4 जनवरी 2023 को उन्होंने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था। लाइव लॉ ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान के आधार पर बताया है कि जस्टिस त्रिवेदी सुनवाई से इसलिए अलग हो गयीं क्योंकि 2004-2006 के दौरान गुजरात सरकार के कानून सचिव के रूप में प्रतिनियुक्त थीं।
क्या है बिलकिस बानो का मामला?
साल 2002 में गुजरात दंगे के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। तब बिलकिस बानो उम्र 21 साल थी। वह पांच महीने की गर्भवती थीं। मारे गए परिवार के सात सदस्यों में बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी भी थी। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। 21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में इस सजा को बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।
सौजन्य :jansatta
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