संविधान बनानेवालों में बिहार से थे 36 लोग, पटना के पांच तो मुजफ्फरपुर से थे ये चार सदस्य
आज के ही दिन हमें हमारा संविधान मिला था. वह संविधान जो पिछले 73 वर्षों से हमारे देश में समानता और न्याय की भावनाओं को जिंदा रखे हुए है. हम जब इस संविधान के निर्माण की बात करते हैं, तो डॉ आंबेडकर और डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे गिने-चुने नाम ही जुबां पर आते हैं, लेकिन इस संविधान को तैयार करने में 299 लोगों की एक बड़ी टीम थी, जिसे अलग-अलग राज्यों से चुन कर भेजा गया था. तत्कालीन बिहार, जिसमें झारखंड भी शामिल था, से इस टीम में 36 लोग थे.
इनमें अकेले पटना जिले से पांच सदस्य का चुनाव हुआ था. दूसरे नंबर पर मुजफ्फरपुर आता है, जहां से चार सदस्य चुने गये थे. मुंगेर से तीन तो सारण, दरभंगा व औरंगाबाद से दो दो सदस्य का चुनाव हुआ था. वैसे 36 में से ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जिनका नाम भी आज लोगों को याद नहीं है. संविधान तैयार करते वक्त एक-एक मसले पर जोरदार बहस करनेवाले टीके साह हों या फिर दलित आदिवासी मसले पर बोलनेवाले जयपाल सिंह मुंडा आज किसी को कोई याद नहीं है. बिहार के इन संविधान निर्माताओं की बड़ी भूमिका रही है. आइए, जानते हैं इन विभूतियों को…
1 डॉ राजेंद्र प्रसाद
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के भी अध्यक्ष थे. सीवान जिले के जीरादेई गांव में तीन दिसंबर 1884 में जन्मे राजेंद्र बाबू एक मेधावी छात्र, एक सफल वकील थे. चंपारण सत्याग्रह के दौरान वे स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े फिर गांधी के सान्निध्य से कभी अलग नहीं हो पाये. वे बारह साल तक देश के राष्ट्रपति रहे. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित कई किताबें लिखी.
2 डॉ सच्चिदानंद सिन्हा
बिहार को स्वतंत्र राज्य बनानेमेंइनकी सबसेबड़ी भूमिका रही है. येसंविधान सभा के पहलेसदस्य थे, मगर तबीयत ठीक नहीं रहने के कारण वेइस भूमिका को निभा नहीं सके. लिहाजा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया. बक्सर मुरार गांव मेंजन्मेसच्चिदानंद सिंहा नेबिहार को स्वतंत्र राज्य बनवानेके अतिरिक्त पत्रकारिता की बेहतरीन परंपरा को भी जन्म दिया.
3 बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला
भागलपुर वासी बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला का जन्म 12 अक्तूबर 1888 को हुआ था. 1946 मेंजब वेसंविधान सभा के सदस्य चुनेगयेउस साल वेसेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य भी थे. इसके बाद वे 1950 से 52 तक अंतरिम संसद के सदस्य थे. पहली औऱ दूसरी लोकसभा मेंउन्होंनेभागलपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1966 मेंउनकी मृत्युहो गयी.
4 कमलेश्वरी प्रसाद यादव
चतरा (मधेपुरा) के बाबूकमलेश्वरी प्रसाद यादव संविधान सभा के लिए खगडिया क्षेत्र सेनिर्वाचित हुए थे. 1952 मेंवेउदा- किशनगंज क्षेत्र सेविधायक बने, 1972 मेंवेदुबारा निर्वाचित हुए. 1902 के आसपास जन्मेबाबूकमलेश्वरी प्रसाद यादव की मृत्यु 15 नवम्बर, 1989 को हुई.
5 जगजीवन राम
बाबूजी के नाम सेजाने-जानेवालेजगजीवन राम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता रहेहैं. वेआजाद भारत की पहली सरकार में देश के सबसेयुवा मंत्री के रूप मेंचयनित हुए, बाद मेंदेश के उप प्रधानमंत्री भी बने. पांच अप्रैल 1908 को इनका जन्म तत्कालीन भोजपुर जिलेके चंदवा गांव मेंहुआ था. वेताउम्र दलितों को अधिकार दिलानेके लिए संघर्षरत रहे.
6 कामेश्वर सिंह, दरभंगा
28 नवंबर 1907 को दरभंगा मेंजन्मेकामेश्वर सिंह को दरभंगा राज घरानेका आखिरी उत्तराधिकारी माना जाता है. वेएक सक्रिय राजनेता, एक उद्योगपति और समाजसेवी थे. उन्होंनेदो बार गोलमेज सम्मेलन मेंभागीदारी की. बीएचयूसमेत कई प्रमुख शिक्षण संस्थानों की स्थापना मेंऔर उनकी बेहतरी के लिए मदद करनेमेंउनकी भूमिका रही है.
7 जयपाल सिंह मुंड
तीन जनवरी, 1903 को रांची मेंजन्मेजयपाल सिंह मुंडा एक मशहूर हॉकी खिलाड़ी, एक बेहतरीन लेखक और आदिवासियों के लिए घर्षकरनेवालेएक जानेमानेराजनेता था. इनका जन्म पाहन टोली गांव मेंहुआ था, जो आज खूंटी जिलेमेंपड़ता है. संविधान सभा मेंआदिवासियों के हक के लिए येकाफी मुखर रहे. इन्होंने 1938 मेंआदिवासी महासभा की स्थापना की थी.
8 श्यामनंदन सहाय
एक जनवरी, 1900 को जन्मेश्यामनंदन सहाय को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विवि, मुजफ्फरपुर के पहलेकुलपति के रूप में याद किया जाता है. वे 1930-37 तक बिहार लेजिस्लेटिव कैंसिल के मेंबर रहे. संविधान सभा के सदस्य रहनेके अतिरिक्त इन्होंने पहली औऱ दूसरी लोक सभा मेंमुजफ्फरपुर का प्रतिनिधित्व किया गया. 1957 मेंइन्हेंपद्म विभूषण सेसम्मानित किया गया.
9 रामनारायण सिंह
हजारीबाग के स्वतंत्रता सेनानी रामनारायण सिंह नेभी संविधान सभा मेंमहत्वपूर्णभूमिका निभायी थी. खास कर पंचायती राज के मसलेपर उन्होंनेप्रमुखता सेअपनी बात रखी थी. बाद मेंवेपहली लोकसभा के सदस्य भी बने. 1920-21 मेंअसहयोग आंदोलन में भाग लेनेके लिए उन्हेंजेल जाना पड़ा. भारत छोड़ो आंदोलन तक वेलगातार सक्रिय रहे. उन्हेंछोटानागपुर केसरी भी कहा जाता था.
10 सत्यनारायण सिन्हा
सत्य नारायण सिन्हा का जन्म 9 जुलाई, 1900 को दरभंगा ज़िलेमें ‘शम्भूपट्टी’ मेंहुआ था. 1920 मेंवेस्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित हुए. 1926-1930 तक इन्हेंबिहार लेजिस्लेटिव कौंसिल और 1934 और 1945 मेंसेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में निर्वाचित हुए थे. वे 1948-1952 के बीच संसदीय कार्यके राज्य मंत्री रहे. वेमध्यप्रदेश के राज्यपाल भी बने.
11 सारंगधर सिन्हा
1901 मेंजन्मेसारंगधर सिन्हा नेपहली और दूसरी लोकसभा मेंपटना लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंनेपटना, मुजफ्फरपुर और कोलकाता मेंपढ़ाई की. बिहार लेजिस्लेटिव असेंबली के भी सदस्य थे. शिक्षा, वित्त, जेल सुधार, हिंदी कमेटी और हरिजन कमेटी मेंरहतेहुए उन्होंनेसंसद को कई सुझाव दिये. वेपटना और रांची विवि के वीसी रह चुके थे.
12 श्रीकृष्ण सिंह
बिहार के पहलेमुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह को बिहार केसरी के नाम सेभी जाना जाता है. अगर द्वितीय विश्वयुद्ध की अवधि को छोड़ दिया जायेतो 1937 सेलेकर 1961 तक वेलगातार बिहार के मुख्यमंत्री बनेरहे. उनके मित्र अनुग्रह नारायण सिंह लिखतेहैंकि 1921 के बाद सेबिहार का इतिहास श्री बाबूका इतिहास रहा है. वेआधुनिक बिहार के निर्माता भी कहेजातेरहेहैं.
13 बिनोदानंद झा
17 अप्रैल, 1900 को जन्मेबिनोदानंद झा देवघर के रहनेवालेथे. वे 1961-1963 के बीच बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने लोकसभा मेंदरभंगा का प्रतिनिधित्व किया था. स्वतंत्रता आंदोलन मेंभाग लेनेके लिए उन्हेंपांच बार जेल जाना पड़ा. किसानों के मसलेपर और संताल परगना के सवाल पर वेलगातार सक्रिय रहे. 1937 सेही वेबिहार लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य रहे.
14 कृष्ण बल्लभ सह
बिहार के चौथेमुख्यमंत्री कृष्ण बल्लभ सहाय का जन्म पटना जिलेके शेखपुरा में 31 दिसंबर, 1898 मेंहुआ. वे 1920 सेही स्वतंत्रता संग्राम सेजुड़ गयेथे. वेस्वतंत्रता संग्राम के दौरान चार बार जेल गये. 1937 मेंवेबिहार लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य चुनेगये. आजाद भारत मेंवेलंबेसमय तक बिहार के रेवेन्यूमिनिस्टर रहे.
15 ब्रजेश्वर प्रसाद
22 अक्तूबर, 1911 को गया मेंजन्मेब्रजेश्वर प्रसाद के पिता का नाम राय वृंदावन प्रसाद था. इन्होंनेएमए तक की पढ़ाई की थी. इनकी पत्नी का नाम संपूर्णारानी था. संविधान सभा के सदस्य रहनेके साथ-साथ उन्होंनेअंतरिम संसद, पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा मेंगया का प्रतिनिधित्व किया. सात दिसंबर 1979 को उनकी मृत्युहो गयी.
16 मोहम्मद ताहिर
1903 मेंपूर्णिया के मझगांव मेंपैदा हुए मोहम्मद ताहिर पहलेमुसलिम लीग के नेता था, बाद मेंकांग्रेस सेजुड़ गये. इन्होंने उच्चशिक्षा के लिए अलीगढ़ मुसलिम विवि सेहासिल की. कानून की पढ़ाई के बाद इन्होंनेवकालत शुरू कर दी, फिर राजनीति से जुड़कर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के चेयरमैन बन गये. येतीन बार बिहार लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य चुनेगये.
17 दीप नारायण सिंह
मुजफ्फरपुर के पुरनटांड गांव में 25 नवंबर, 1894 को जन्मेदीप नारायण सिंह 1921 मेंआजादी की लड़ाई मेंशामिल हो गये. वे पांच बार जेल गये. पहलेबिहार एंडएं उड़िसा लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य रहे, फिर बिहार लेजिस्लेटिव काउंसिल के. आजादी के बाद वेराज्य सरकार मेंमंत्री और 18 दिनों के लिए मुख्यमंत्री भी बने.
18 तजामुल हुसैन
पटना में 19 दिसंबर, 1893 को पैदा हुए तजामुल हुसैन की पहचान एक राष्ट्रवादी नेता के रूप मेंरही है, जो जिन्ना का विरोध करने के कारण अक्सर कट्टरपंथियों के निशानेपर रहतेथे. इन्होंनेअपनी पढ़ाई लंदन मेंकी और लौट कर पटना मेंवकालत शुरू कर दी. 1935 मेंवेबिहार लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य चुनेगये. संविधान सभा मेंरहतेहुए इन्होंनेकई कमिटी मेंसुझाव दिये.
19 बाबूगुप्तनाथ सिंह
कैमूर जिलेके चैनपुर विधानसभा के पहलेविधायक बाबूगुप्गुतनाथ सिंह की पहचान उनकी किताब कुरमी जमात का इतिहास की वजह सेहै. 17 जनवरी, 1900 को कैमूर के सिरहीरा गांव मेंजन्मेबाबूगुप्गुतनाथ सिंह युवावस्था मेंही सत्याग्रह मेंशामिल हो गये. बाद मेंआर्यकन्या विद्यालय, बड़ौदा मेंशिक्षक बन गए. फिर भारत छोड़ो आंदोलन मेंशामिल हो गये.
20 सैयद जफर इमाम
सैयद जफर इमाम पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. पटना के नेउरा गांव में 18 अप्रैल 1900 को जन्मेजफर इमाम नेउच्च शिक्षा ब्रिटेन मेंहासिल की. 1922 मेंवेबैरिस्टर बनकर बिहार लौटे और पटना हाईकोर्ट मेंवकालत करनेलगे. 1943 से 1953 तक वेपटना हाईकोर्ट के जस्टिस रहेफिर उन्हेंयहांका चीफ जस्टिस बना दिया गया.
21 केटी शाह
समाजवादी नेता, गुजगु राती नाटककार औऱ लंदन स्कूल ऑफ इक़ॉनॉमिक्स के छात्र रह चुके केटी शाह बिहार सेसंविधान सभा में प्रतिनिधि के रूप मेंगयेथे. येजवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 1938 मेंगठित नेशनल प्लानिंग कमिटी के सदस्य थे. उन्होंने संविधान सभा मेंरहतेहुए दो बार सेकुलर, फेडरल और सोशलिस्ट शब्द को संविधान मेंशामिल करानेका प्रयास किया.
22 भागवत प्रसाद
मुंगेर के धरहरा के सुंदरपुर गांव के निवासी भागवत प्रसाद अपनेइलाके के जाने-मानेस्वतंत्रता सेनानी थे. वेआजादी की लड़ाई में भाग लेतेहुए कई बार जेल गये. कांग्रेस पार्टी के नेता भागवत प्रसाद बाद मेंसूर्यगढ़ा, लखीसराय-बड़हिया विधानसभा के एमएलए बनेऔर इसके बाद वेएमएलसी भी रहे. संविधान सभा मेंइन्हेंभेजा गया था.
23 जदुबंस सहाय
जदुबंस सहाय डॉल्टनगंज के अग्रिम पंक्ति के स्वतंत्रता सेनानियों मेंसेथे. भारत छोड़ो आंदोलन के वक्त मेंवेकाफी सक्रिय थे. उस वक्त उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी. बाद मेंवेसंविधान सभा के सदस्य के रूप मेंसंसद पहुंचे. जहां उन्होंनेकई विषयों पर काफी गंभीर बहस की और अपनी राय रखी.
24 डॉ रघुनंदन प्रसाद
बिहार मेंदलितों के लिए संघर्षकरनेवालेप्रमुख नेताओं मेंसेथे. जगजीवन राम द्वारा स्थापित डिप्रेस्ड क्लास लीग सेवेस्थापना के वक्त सेही जुड़े थे. बाद में 1937 मेंगठित बिहार प्रदेश दलित वर्गसंघ के वेसचिव बनायेगये. 1937 मेंही वेमुंगेर सुरक्षित क्षेत्र से चुनेगयेथे. उन्होंनेदलितों पर होनेवालेअत्याचार भेदभाव को लेकर एक पत्रिका भी निकाली थी, जिसका नाम दलित मित्र था.
25 अनुग्रह नारायण सिंह
इनके नाम के साथ बिहार विभूति का अलंकरण जुड़ा रहता है. 18 जून 1887 को वर्तमान औरंगाबाद जिलेमेंजन्मेंअनुग्रह नारायण सिंह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे. इन्होंनेचंपारण सत्याग्रह मेंमहत्वपूर्णभूमिका निभायी और बिहार विद्यापीठ मेंबतौर शिक्षक काम किया. आधुनिक बिहार के निर्माताओं मेंइनका नाम लिया जाता है.
26 चंद्रिका राम
दो जुलाई 1918 को सारण के महुआवां गांव मेंजन्मेचंद्रिका राम की पहचान दलितों-वंचितों को हक दिलानेवालेनेता के रूप में रही है. 1948-1964 तक वेबिहार स्टेट डिप्रेस्ड क्लासेज के अध्यक्ष व कृषक समाज समेत कई ट्रेड यूनियनों के सभापति रहे.
27 देवेंद्रनाथ सामंतो
1900 ई मेंजन्मेदेवेंद्र नाथ सामंतो नेसिंहभूम जिलेमेंसक्रिय थे. 1927, 1930 और 1933 मेंवेसिंहभूम सेबिहार-उड़ीसा विधान परिषद के सदस्य चुनेगये. 1946 से 1950 तक वेबिहार लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य रहे.
28 जगत नारायण लाल
शाहाबाद जिलेके आंखगांव ग्राम मेंजगत नारायण लाल का जन्म 31 जुलाई 1896 को हुआ था. 1920 सेआजादी के आंदोलन में जुड़ कर कई बार जेल भेजेगये. राजनीति मेंवेडॉ. राजेंद्र प्रसाद और मदन मोहन मालवीय के अनुयायी थे.
29 बोनीफास लकड़ा
लोहरदगा के दोबा गांव मेंजन्मेबोनीफास लकड़ा (चार मार्च 1898 – आठ दिसंबर 1976) नेछोटानागपुर व संताल परगना (वर्तमान झारखंड) के आदिवासियों के लिए सुरक्षा प्रावधानों के निर्माण मेंमहत्वपूर्णभूमिका निभायी़.
30 महेश प्रसाद सिन्हा
सकरा, मुजफ्फरपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करनेवालेमहेश प्रसाद सिंहा का जन्म आठ जून, 1901 को हुआ. छात्र जीवन से ही येस्वतंत्रता आंदोलन सेजुड़ गये. आजादी के पहलेसेही येबिहार विधानसभा के सदस्य चुनेजातेरहेहैं.
31 रामेश्वर प्रसाद सिंह
वैशाली सेसंविधान सभा के लिए निर्वाचित रामेश्वर प्रसाद सिंह पेशेसेवकील थे. 1921 मेंवेआजादी की लड़ाई मेंशामिल हो गये. वेबिहार लेजिस्लेटिव असेम्बली के सदस्य भी रह चुके हैं. उनकी पुत्री किशोरी सिंहा दो दफा लोकसभा सदस्य रह चुकी हैं.
32 हुसैन इमाम
हुसैन इमाम नेसंविधान सभा मेंबिहार का प्रतिनिधित्व किया था. इनके बारेमेंबहुत अधिक जानकारी नहीं मिलता. कुछ अपुष्ट जानकारियों के मुताबिक येजिन्ना के करीबी मित्रों मेंसेथे. पाकिस्तान बननेके बाद वेवहीं चलेगये.
33 लतिफुर रहमान
सरदार मोहम्मद लतिफुर रहमान का जन्म 24 दिसंबर, 1900 को औरंगाबाद के नगमतिया गांव मेंहुआ था. वेमौलाना मजहरूल हक द्वारा संपादित अखबार द मदरलैंड सेजुड़ गये. उनके इंतकाल के बाद वेअखबार के प्रबंध निदेशक बन गये.
34 श्री नारायण महथा
श्रीनारायण महथा का जन्म मुजफ्फरपुर के जमीन्दार परिवार में 11 जून, 1901 को हुआ था. 1926-1945 तक डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के जरियेमुजफ्फरपुर मेंविकास का काम किया. 1942 के बाद सेवेराष्ट्रीय राजनीति मेंसक्रिय हो गये.
35 अमिय कुमार घोष
स्वतंत्रता सेनानी अमिय कुमार घोष डॉल्टनगंज के रहनेवालेथेऔर वहांके पहलेविधायक थे. वेनेताजी सुभाष चंद्र बोस के नजदीकी रहेहैं. डॉल्टनगंज मेंउनके आवास सेवा सदन पर नेताजी ठहरा करतेथे.
36 पी के सेन
बैरिस्टर पीके सेन का पूरा नाम प्रशांतो कुमार सेन था. आज जहां पटना तारामंडल हैवहीं सहाय सदन के नाम सेइनका आवास था. वेपटना हाई कोर्ट मेंवकालत करतेथेऔर इमाम बंधुहसन इमाम और अली इमाम के मित्र थे. वेब्रह्म समाज के अनुयायी थेऔर
इससेसंबंधित किताबेंलिख
सौजन्य : Prabhat khabar
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