काले धन से निपटने के लिए नोटबंदी के सुझाव को आरबीआई ने मार्च 2016 में ख़ारिज कर दिया था
पिछले महीने केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाख़िल करते हुए कहा था कि नोटबंदी करने का फैसला आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की विशेष सिफ़ारिश पर लिया गया था. हालांकि आरटीआई के माध्यम से सामने आए निष्कर्ष केंद्र सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में प्रस्तुत किए गए इस हलफ़नामे के विपरीत हैं|
क्योंकि लोग नकदी के उपयोग पर बैंक एकाउंट और भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक साधनों के लाभों को देखते हैं|इसलिए, बैठक के मिनटों में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बोर्ड को केवल ‘आश्वासन’ दिया गया था कि यह मामला केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच चर्चा का विषय था|
सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को यह भी बताया कि ‘निर्दिष्ट बैंक नोटों के कानूनी निविदा को वापस लेना अपने आप में एक प्रभावी उपाय था और नकली धन, आतंकवाद के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी (लेकिन केवल उन्हीं तक सीमित नहीं है) के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का भी एक हिस्सा था.
यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि 12 जनवरी, 2016 को प्रधानमंत्री को भेजे गए एक पत्र में बेंगलुरु की भूमि हड़पने वाली कार्रवाई समिति द्वारा लगभग समान चिंताओं को उठाया गया था.
समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘भारत में काले धन की समस्या से निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों’ के बारे में लिखा था. इसने इस पत्र की प्रतियां तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन को भी भेजी थीं.
पत्र में पूर्व विधायक व समिति के संयोजक एके रामास्वामी ने लिखा था कि कैसे ‘काला धन आर्थिक और सामाजिक समस्या दोनों’ है. उन्होंने कहा था कि भारत में प्रचलन में रहे काले धन के बारे में ‘गहरा देने वाली चुप्पी’ है.
इससे पहले वेंकटेश नायक द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा था कि उसे 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले की व्यवहार्यता, लागत-लाभ विश्लेषण या प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए किए गए किसी भी अध्ययन की जानकारी नहीं थी| 15 मार्च, 2019 को नायक ने आरबीआई के साथ एक आरटीआई आवेदन भी दायर किया था, जिसमें 500 और 1,000 रुपये के मूल्य-वर्ग के बैंक नोटों की कानूनी निविदा प्रकृति को समाप्त करने के भारत सरकार के निर्णय से पहले आरबीआई द्वारा किए गए या कमीशन किए गए या उपलब्ध कराए गए किसी भी व्यवहार्यता अध्ययन की फोटोकॉपी मांगी थी
|इन सभी सवालों के जवाब में, आरबीआई के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने 17 जून, 2019 को उन्हें यह कहते हुए जवाब दिया था कि ‘आरबीआई के पास ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है|
सौजन्य :thewirehindi
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