पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को 26 महीने बाद मिली राहत, जानें जमानत देते हुए क्या बोला हाईकोर्ट
पत्रकार सिद्दीक कप्पन के वकील बोले कि सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को 9 सितंबर को जमानत दे दी थी लेकिन जमानतदारों का सत्यापन तीन महीने के बाद भी नहीं कराया जा सका|
Siddique Kappan: इलाहाबाद हाई कोर्टी की लखनऊ पीठ ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन (Sidheeq Kappan) को धन शोधन (Money Laundering) के एक मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी. कप्पन की जमानत याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Dinesh Kumar Singh) ने पारित किया. कप्पन इस वक्त लखनऊ की जिला जेल में बंद हैं.दरअसल, कप्पन को तीन अन्य लोगों अतीक-उर-रहमान, आलम और मसूद के साथ पीएफआई से कथित तौर पर संबंध रखने और हिंसा भड़काने के षड़यंत्र का हिस्सा होने के लिए मथुरा में गिरफ्तार किया गया था. कप्पन के वकील मोहम्मद दानिश केएस ने कहा कि जमानत मिलने से औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जेल से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है.
5 हजार रुपये के अलावा और… – जज
वहीं, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि आरोपों के अलावा कि सह-आरोपी (अतीकुर रहमान) के बैंक खाते में 5000 रुपये का ट्रांसफर किए गए थे. बैंक खाते में इसके अलावा और कोई लेनदेन नहीं दिखता है.
कप्पन के वकील ने कहा…
कप्पन के वकील मोहम्मद दानिश ने कहा कि उनके मुवक्किल को शीर्ष अदालत से यूएपीए व भारतीय दंड विधान की धाराओं से जुड़े मामले में ज़मानत मिलने के बाद भी जमानतदारों का अब तब सत्यापन नहीं हुआ है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने उन्हें 9 सितंबर को जमानत दे दी थी. दानिश ने बताया, “पहले मामले (यूएपीए) में सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को 9 सितंबर को जमानत दे दी थी लेकिन जमानतदारों का सत्यापन तीन महीने के बाद भी नहीं कराया जा सका. इसलिए जेल से रिहाई के लिए यह मुख्य मुद्दा है. आज के फैसले के संबंध में हमें इसका अध्ययन करना होगा क्योंकि अभी तक यह (वेबसाइट पर) अपलोड नहीं किया गया है.”
सुप्रीम कोर्ट ने रखीं थीं ये शर्तें
कप्पन के खिलाफ भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के अलावा गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और आईटी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में ज़मानत मिलने के बाद वो धन शोधन से संबंधित मामले की वजह से जेल से बाहर नहीं आ सके थे. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की दलीलें ध्यान में रखते हुए जमानत के लिए कई शर्तें लगाई थीं जैसे जेल से रिहा होने के बाद वो अगले छह सप्ताह दिल्ली में रहेंगे और हर सप्ताह सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के निजामुद्दीन थाने में रिपोर्ट करेंगे.
विपक्षी दलों और पत्रकारों की संस्थाओं ने कप्पन को जमानत दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया था. उनका दावा है कि कप्पन को उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘बलि का बकरा’ बनाया है. दरअसल, एक दलित महिला के साथ 14 सितंबर 2022 को कथित तौर पर दुष्कर्म के एक पखवाड़े बाद दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई थी. उसके गांव में आधी रात को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था.
सौजन्य :ए बी पी
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