सरकारी दस्तावेजों में जाति सूचक शब्द लिखने पर आक्रोश
कठुआ। सरकारी दस्तावेजों में जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल करने पर दलित समाज के लोगों में आक्रोश है। मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सोमराज मजोत्रा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोगों ने गुरु नाभादास मंदिर से जिला सचिवालय तक मार्च निकाल कर रोष जताया। साथ ही जिला सचिवालय के गेट पर धरना देकर इसे हटाने की मांग उठाई। वहीं, सरकार के खिलाफ भड़ास निकालते हुए इसे महाशा समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास बताया है।
लोगों ने बताया कि सरकारी दस्तावेजों में अब तक महाशा शब्द का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब जाति सूचक का प्रयोग किया जा रहा है, जो कतई मंजूर नहीं है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष सोम राज मजोत्रा ने कहा कि किसी भी समाज का काम महाशा बिरादरी के बिना पूरा नहीं होता। 300 साल पहले स्वाभी दयानंद ने इस समाज के लोगों को महाशय का नाम दिया।
जम्मू-कश्मीर की सरकार की ओर से 1970 में रिजर्वेशन एक्ट लागू करने के बाद कानूनी तौर पर महाशा प्रमाणपत्र दिया जाना लगा। पंजाब और हिमाचल के क्षेत्रों में महाशा लिखा गया। डीडीसी नगरी के सदस्य संदीप मजोत्रा ने भाजपा पर लोगों में फूट डालने का आरोप लगाया। मांग की गई कि दस्तावेजों में मात्र महाशा शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए।
सौजन्य : Amar ujala
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