UP: आजमगढ़ एयरपोर्ट पर किसानों के संघर्ष के दो माह पूरे, सदमे में एक और किसान की मौत, 2 माह में 10 की जान गई
आजमगढ़ खिरिया बाग में एयरपोर्ट के लिए जबरन जमीन लेने के विरोध में किसानों के संघर्ष को दो माह पूरे हो गए हैं। दो माह पूरे होने पर किसानों मजदूरों ने पदयात्रा निकाली और छात्र-युवा किसान-मजदूर पंचायत का आयोजन किया। पंचायत में फैसला दिया कि वह अपनी जमीन नहीं देंगे। सरकार एयरपोर्ट विस्तारीकरण का मास्टर प्लान रद्द करे। दूसरी ओर, एयरपोर्ट के लिए सरकार द्वारा जबरन जमीन कब्जाये जाने के सदमे से एक और किसान ने दम तोड़ दिया। बुजुर्ग किसान सुभाष उपाध्याय की हार्ट अटैक से मौत हो गई। कथित तौर पर 2 माह में 10 की जान जा चुकी है।
सोमवार को संघर्ष के दो माह पूरे होने पर खिरियाबाग से जिगिना करमनपुर, गदनपुर हिच्छनपट्टी, मंदुरी, जमुआ में नारे लगाते हुए झंडे लेकर जुलूस निकाला। इस दौरान लोग “एयरपोर्ट का मास्टर प्लान वापस लो, जमीन नहीं देंगे, एयरपोर्ट बहाना है जमीन ही निशाना है, खिरिया बाग आंदोलन जिंदाबाद, किसान-मजदूर एकता जिंदाबाद, जब-जब जुल्मी जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा इंकलाब के नारों से, अडानी-अम्बानी का यार है देश का गद्दार है, ‘जमीन हमारी आपकी नहीं, किसी के बाप की नहीं”, आदि नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे।
संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वक्ताओं ने कहा कि सरकार किसान-मजदूर की जमीन छीनकर छात्रों-युवाओं के भविष्य पर हमला करने की साजिश रच रही है। हम इस साजिश को सफल नहीं होने देंगे। देश के संस्थानों का निजीकरण कर रोजगार छीनने वाली सरकार जमीनों का अपहरण कर रही है। एयरपोर्ट से अगर विकास होता तो सालों से मंदुरी में बने एयरपोर्ट से विकास हो गया होता लेकिन न आज तक वहां से कोई विमान उड़ा न ही किसी को रोजगार मिला।
छात्र-युवा किसान-मजदूर पंचायत में वक्ताओं ने कहा कि किसानों-मजदूरों की जमीन मकान छीनने वाली सरकार ही छात्रों नौजवानों की शिक्षा-रोजगार छीन रही है। हमारा दुश्मन एक ही है इसलिए इस आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने को पूरे पूर्वांचल में छात्र-युवा किसान-मजदूर पंचायत होगी।
पूर्वांचल के गांव गांव पंचायत कर, मांगेंगे समर्थन
दो माह पूरे होने पर तय किया गया कि इस आंदोलन के समर्थन में पूरे पूर्वांचल में छात्र-युवा किसान-मजदूर पंचायत की जाएंगी और गांव गांव, कस्बों में जाकर खिरिया बाग किसान-मजदूर आंदोलन के लिए समर्थन मागेंगे। पूर्वांचल का यह आंदोलन अब तय करेगा कि विकास का नाम पर जमीन की लूट नहीं होगी। छात्र-युवा किसान-मजदूर पंचायत को रामनयन यादव, राजीव यादव, वीरेंद्र यादव, अंजली, राहुल विद्यार्थी, संदीप, राहुल, अंशदीप, अजीत, विनोद यादव, अवधेश यादव, तेज बहादुर, विमला यादव, हरिकेश यादव, संदीप यादव, राजेन्द्र यादव ने संबोधित किया। अध्यक्षता सुनीता भारती और संचालन अरविंद भारती ने की।
दूसरी ओर, आजमगढ़ एयरपोर्ट के लिए सरकार द्वारा जमीन कब्जाये के सदमे में रविवार को एक और किसान की मौत हो गई। कथित तौर पर दो माह में सदमे आदि से 10 लोग जान गवां चुके हैं। खिरिया बाग के आंदोलनकारियों का दावा है कि पिछले दो माह में 10 किसान-मजदूरों की आजमगढ़ एयरपोर्ट के लिए सरकार द्वारा जबरन जमीन कब्जाये के सदमे से मृत्यु हो चुकी है।
खिरिया बाग आंदोलन से जुड़े बुजुर्ग किसान सुभाष उपाध्याय की जमीन-मकान जाने के सदमे में हुई मृत्यु के बाद 61वें दिन धरने पर श्रद्धांजलि दी गई। खिरिया बाग के धरना स्थल पर आंदोलनकारियों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान खिरिया बाग के किसानों मजदूरों ने कहा कि 13 दिसंबर को प्रस्तावित वार्ता के समय परिवर्तन को लेकर हमारा आग्रह था, लेकिन अब तक कोई सूचना नहीं मिली कि कब वार्ता होगी। हमारी गुजारिश है कि इस विकट परिस्थिति में जितना जल्द हो ठोस निर्णायक वार्ता की जाए। इसका आंदोलनकारी सम्मान करेंगे।
मोर्चा के संयोजक रामनयन यादव ने कहा कि ‘जमुआ हरिराम के सुभाष उपाध्याय की जमीन जाने के सदमे से कल 11 दिसंबर की शाम को हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। इससे जमीन-मकान बचाओ आंदोलन की अपूर्णनीय क्षति हुई है। शोक को संकल्प में तब्दील कर हम इस लड़ाई को अंतिम दम तक लड़ेंगे। कहा कि पिछले दो माह में 10 किसान-मजदूरों की जमीन जाने के सदमे से मृत्यु हो चुकी है। हमारी मांग है कि सरकार असंवेदनशील न होकर किसानों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करे. किसानों-मजदूरों की मांगों का सम्मान कर अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के मास्टर प्लान को वापस ले।’
आंदोलनकारी किसान की मौत पर किसान नेता राजीव यादव कहते हैं, ‘खिरिया बाग में किसान मजदूर 2 माह से अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, मरने वाले किसान सुभाष उपाध्याय भी इस आंदोलन में हिस्सेदार रहे हैं और जमीन जाने का गम वह सह नहीं पाये। किसानों की जो जमीन पीढ़ियों से उनके पास है वह उन्हें अन्न की सुरक्षा के साथ जीवन जीने का भरोसा भी देती है। सरकार विकास के नाम पर मजदूरों किसानों का दमर कर रही है, जिसका एक बड़ा प्रमाण आजमगढ़ एयरपोर्ट के लिए बिना किसानों की अनुमति के उनकी जमीन कब्जाया जाना है।
कहा किसानों और मजदूरों की जमीन छीनकर पूजीपतियों के लिए एयरपोर्ट बनाया जा रहा है, जिसकी आम जनता को कोई आवश्यकता नहीं है। अगर सरकार सही मायने में जनता के लिए विकास करना चाहती है तो किसानों के लिए मंडियों का निर्माण क्यों नहीं कर देती। सुभाष उपाध्याय और उनके जैसे किसानों की मौत को स्वाभाविक मौत नहीं बल्कि हत्या कहना ज्यादा ठीक होगा।’ श्रद्धांजलि सभा में दुखहरन राम, राजीव यादव, राजेश आज़ाद, बलवंत यादव, मसीहुद्दीन संजरी, तारीक शफीक, ऊषा यादव, किस्मती, सुशीला, सुजय उपाध्याय आदि शामिल रहे।
सौजन्य :सबरंग
दिनाक :14 दिसंबर 20 22