गरीब, किसान,दलित और महिलाओं के मसीहा थे, डॉ भीमराव अंबेडकर
करनाल : डीएवी पीजी कॉलेज करनाल में संविधान के शिल्पकार, महिलाओं के मुक्तिदाता,भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर अंबेडकर चेयर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में डॉ भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के समक्ष श्रृद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें श्रृद्धांजलि देते हुए कॉलेज के प्राचार्य और डॉ भीमराव अंबेडकर चेयर के मुख्य संरक्षक डॉ रामपाल सैनी ने कहा कि डॉ भीम राव अंबेडकर गरीब, किसान, दलित और महिलाओं के मुक्तिदाता थे।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं देश के निर्माण और विकास में जो योगदान बाबा साहब का रहा,वो शायद ही अन्य किसी का रहा हो। उन्होंने छुआछूत,गैर-बराबरी, असमानता, अस्पृश्यता, अंधविश्वास, उंच-,नीच और समाजिक कुरुतियों को समाज से उखाड़ फेंकने के लिए कार्य करते हुए शिक्षा को जन -जन तक पहुंचाने का कार्य किया।
उन्होंने बताया कि डॉ अंबेडकर ने संविधान निर्माता के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना,रूपये की समस्या,वित आयोग का गठन, जलनीति, औद्योगिकरण की आर्थिक नीति, नदियों का एकीकरण, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी परियोजना,सोन नदी घाटी परियोजना, राष्ट्रीय जलमार्ग, केन्द्रीय जल विद्युत परियोजनाएं, सिंचाई आयोग, केन्द्रीय रोजगार योजना, निर्वाचन आयोग, समान नागरिक संहिता, विदेशी नीति निर्माण जैसे महान कार्यों को करने के साथ महिलाओं को अधिकार दिलाने का कार्य किया। प्राचार्य ने बताया कि डॉ अंबेडकर ने देश की एक बहुत बड़ी आबादी को सम्मान से जीने का अधिकार दिलाकर, देश की विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में उनकी सहभागिता को सुनिश्चित किया।
कॉलेज में अंबेडकर चेयर के चेयरमैन डॉ विजय कुमार ने कहा कि डॉ अंबेडकर को केवल गरीबों,दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के मसिहा के रूप में देखना गलत है। उन्होंने देश के हर व्यक्ति महिला और पुरुष के लिए काम किया। उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलता है, और डॉ अंबेडकर के द्वारा लिखित संविधान से ही नागरिकों को अधिकार मिले हैं। जो उन्हें गर्व से सिर उठा कर चलने का हौंसला देते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर ने संविधान में समता, समानता,बंधुता,और मानवता और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा है।
सौजन्य : Jagmarg
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