दलित बस्ती में मुक्तिधाम नहीं, दबंगों ने एक बीघा जगह को जोत डाला
धनेला पंचायत का सिहोरी का पुरा में मुक्तिधाम नहीं है। श्मशान के लिए आरक्षित एक बीघा जमीन को दबंगाें ने जोतकर उस पर कब्जा कर लिया। इसके चलते सोमवार को वृद्ध रामहेत जाटव की अंत्येष्टि एक कोने में करना पड़ी।
सिहोरी का पुरा में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के 50 घर हैं। मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए पंचायत ने बहुत पहले एक बीघा जमीन आरक्षित की थी लेकिन उस पर टीनसैड व बाउंड्रीवॉल का निर्माण नहीं कराए जाने के कारण दबंगों को मरघट की जमीन को जोतकर अपने खेतों में मिला लिया।
इससे सिहोरी का पुरा गांव में मृतकों की अंत्येष्ट का संकट बना हुआ है। क्योंकि अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। साथ ही पक्का चबूतरा नहीं होने के कारण शव की अंत्येष्टि जमीन पर करना पड़ रही है। बारिश में जमीन गीली होने से अंतिम संस्कार की समस्या और बढ़ जाती है। सोमवार को 80 साल के वृद्ध रामहेत पुत्र लालपति जाटव के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार एक छोटे से कोने में करना पड़ा क्योंकि मुक्तिधाम के लिए जगह पर अतिक्रमण हो गया है।
सौजन्य : Dainik bhaskar
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