लोकसभा चुनाव 2024 में खड़गे और खाबरी संग दलित वोटों को साधने के फेर में कांग्रेस
लखनऊ । कांग्रेस लोक सभा चुनाव 2024 की तैयारियों पर फोकस कर रही है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के साथ बृजलाल खाबरी को यूपी प्रदेश अध्यक्ष बनाने और मल्लिकार्जुन खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने को कांग्रेस दलितों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के अवसर के रूप में देख रही है।
कांग्रेस ही नहीं भाजपा और सपा का भी पिछड़ा वर्ग पर फोकस
प्रदेश में कमजोर हुई बसपा के दलित चेहरों की बदौलत कांग्रेस अनुसूचित जाति (एससी) के बीच खाली हुई जगह को भर कर अपने खिसकते जनाधार को संबल दे सकती है।
1989 के पहले दलित कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक का अहम हिस्सा होते थे।जब तक कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में रही, उसकी राजनीति का केंद्रबिंदु दलित, ब्राह्मणों और मुस्लिमों के त्रिकोण पर ही केंद्रित रहा।
प्रदेश में कांग्रेस की तुलना में कहीं अधिक मजबूत भाजपा और सपा जैसी पार्टियों का सर्वाधिक फोकस पिछड़ा वर्ग को साधने पर है। कांग्रेस के कमजोर पड़ने पर उसका दलित वोट बैंक बसपा की मुट्ठी में समा गया था।
बसपा के पराभव ने उसे अपने इस पुराने वोट बैंक को फिर से हासिल करने के लिए प्रेरित किया है। ऐसे में कांग्रेस ने सोची-समझी रणनीति के तहत अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति को 28 वर्ष बाद प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
खाबरी से पहले महावीर प्रसाद (मार्च 1991 से अगस्त 1994) दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के आखिरी प्रदेश अध्यक्ष थे।
खाबरी को उप्र की कमान सौंपने के बाद पार्टी के मुखिया के पद पर खड़गे की ताजपोशी को पार्टी इस उद्देश्य से सोने पर सुहागा के रूप में देख रही है।
पार्टी इन दो चेहरों के जरिये खुद को दलितों का हिमायती होने का बड़ा संदेश देना चाहती है। दलितों के अलावा कांग्रेस की निगाहें अपने पुराने वोट बैंक के त्रिकोण के दो और कोणों-ब्राह्मणों और मुस्लिमों पर भी टिकी हैं।
प्रांतीय अध्यक्षों में बसपा के मुस्लिम चेहरे रहे नसीमुद्दीन सिद्धकी समेत ब्राह्मणों व पिछड़ों को प्रतिनिधित्व देकर कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक की ओर लौटने का प्रयास करते दिखती है।
मायावती ने कांग्रेस पर ट्वीट कर किया था हमला
कांग्रेस के दलित प्रेम पर मायावती का हमलादलितों पर डोरे डालने के कांग्रेस के मंसूबों को भांप कर ही बसपा अध्यक्ष ने उस पर हमला बोला है। गुरुवार को ट्वीट कर मायावती ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास गवाह है कि इन्होंने दलितों व उपेक्षितों के मसीहा बाबा साहेब डा.भीमराव अंबेडकर व उनके समाज का हमेशा तिरस्कार किया।
इस पार्टी को अपने अच्छे दिनों में दलितों की सुरक्षा व सम्मान की याद नहीं आती है बल्कि बुरे दिनों में इनको बलि का बकरा बनाते हैं। एक और ट्वीट के जरिये हमला जारी रखते हुए मायावती ने कहा था कि कांग्रेस को अपने अच्छे दिनों में गैर दलितों और सत्ता से बाहर रहने पर बुरे दिनों में दलितों को आगे रखने की याद आती है। क्या यह छलावा छद्म राजनीति नहीं? लोग पूछते हैं कि क्या यही है कांग्रेस का दलितों के प्रति वास्तविक प्रेम?
सौजन्य : Punjab kesari
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