‘दशहरा में रावण दहन करने पर एट्रॉसिटी का केस दर्ज करें’, महाराष्ट्र के नासिक से उठी मांग
हजारों सालों से दशहरा में रावण के पुतलों के दहन की परंपरा रही है. इसे असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की जीत के तौर पर मनाया जाता रहा है. लेकिन अगर आपसे कोई कहे कि रावण दहन करने का मतलब दलित भावनाओं को ठेस पहुंचाने के समान है, तो आप इस पर क्या कहेंगे? महाराष्ट्र में ऐसा ही कहा गया है. महाराष्ट्र के नासिक जिले के आदिवासी बचाओ अभियान समिति और आदिवासी संगठन ने दशहरा के अवसर पर रावण दहन करने वालों के खिलाफ एट्रॉसिटी का केस दर्ज करने की मांग की है.
नासिक जिले के सटाणा तालुका के आदिवासी बचाओ समिति और आदिवासी संगठनों की मांग है कि दशहरा के मौके पर रावण के पुतले नहीं जलाए जाएं. अगर ऐसा किया जाएगा तो यह समझा जाएगा कि आदिवासियों के अत्याचार को बढ़ावा दिया जा रहा है और उन्हें अपमानित किया जा रहा है. ऐसा करने वालों पर एट्रॉसिटी का केस दर्ज किया जाए.
रावण दहन में दलितों का अपमान? आदिवासी संगठनों की ये कैसी मांग
हजारों सालों से चली आ रही रावण दहन की परंपरा का पहले ऐसा विरोध यहां आदिवासी संगठनों द्वारा नहीं किया गया. इन संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि रावण कई तरह के गुणों से संपन्न था. वो संगीतज्ञ था, रणनीतिकार था, राजनीति का बड़ा जानकार था, अव्वल दर्जे का शिल्पकार था, आयुर्वेदाचार्य था, शास्त्रों का ज्ञाता था, बड़ा तपस्वी था, शिवभक्त था…इतने सारे गुणों से संपन्न व्यक्तित्व के पुतलों का दहन करना उसका और उसके गुणों का अपमान करना है. यह बिलकुल गलत है और इसपर रोक लगाई जानी चाहिए.
ये क्या कर दिया, रावण को महात्मा बता दिया?
आदिवासी बचाओ अभियान समिति और आदिवासी संगठन के सदस्यों का कहना है कि दशहरा के दिन न्यायप्रिय और महात्मा राजा रावण के दहन की परंपरा को हमेशा के लिए बंद किया जाना चाहिए. इन संगठनों ने सटाणा की पुलिस से मांग की है कि वह हस्तक्षेप करे और रावण दहन को होने से रोके. यह भी मांग की गई है कि पुलिस द्वारा रोके जाने पर भी जो लोग रावण दहन करने की कोशिश करें, उनके खिलाफ एट्रॉसिटी का केस दर्ज किया जाए.
‘ब्राह्मणवादियों ने रावण को बदनाम किया, पराक्रमी का अपमान किया’
समिति और संगठन के सदस्यों ने अपने आवेदन में लिखा है कि रावण सबको न्याय देने वाला न्यायप्रिय राजा था. ब्राह्मणवादी और वर्णव्यवस्था के पोषक इतिहासकारों ने उसे खलनायक के तौर पर पेश किया. रावण दहन करते हुए ऐसे पराक्रमी राजा को अपमानित करने की कोई कसर बाकी नहीं रखी जाती है. हकीकत यह है कि रावण की तरह पराक्रमी राजा धरती पर कोई दूसरा नहीं हुआ.
सौजन्य : Tv9hindi
नोट : यह समाचार मूलरूप से tv9hindi.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !