दलित और आदिवासी युवाओं के लिए उद्यम प्रोत्साहन योजना को मंजूरी, जानिए क्या मिलेगा फायदा
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजस्थान सरकार जल्द ही डॉ भीमराव अंबेडकर राजस्थान दलित और आदिवासी उद्यमिता प्रोत्साहन योजना शुरू करेगी। इससे दो हाशिए के युवाओं को स्वरोजगार प्राप्त करने में मदद मिल सके। अधिकारियों ने कहा कि दलितों और आदिवासियों को ध्यान में रखते हुए इस योजना का उद्देश्य इन वर्गों के युवाओं के लिए आर्थिक विकास और स्वरोजगार के अवसर खोलना है। योजना के तहत एमएसएमई क्षेत्र के ट्रेडों और उत्पादों के लिए पूर्णकालिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना के तहत स्थापित किए जा रहे चयनित उद्योगों में राज्य की 10% भागीदारी का प्रावधान होगा। जो अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति यूनिट होगा। साथ ही 7 साल की अवधि के लिए राज्य वस्तु और सेवा कर (एसजीएसटी) की 100% प्रतिपूर्ति होगी।
विकास से परिचित एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने योजना के मसौदे को मंजूरी दे दी है। जो दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) और भारतीय परिसंघ के सहयोग से एमएसएमइ क्षेत्र के विभिन्न ट्रेडों और उत्पादों के लिए पूर्णकालिक प्रशिक्षण सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा, ‘इसके लिए एक इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा। जहां प्रशिक्षुओं को उद्यम की स्थापना, परियोजना के चयन, परियोजना रिपोर्ट तैयार करने, उद्यम स्थापित करने के लिए उन्नत मशीनों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण, तकनीकी से संबंधित आवश्यक जानकारी दी जाएगी। दक्षता वृद्धि, उद्यम का संचालन, उत्पादों का विपणन, वित्तीय लेनदेन फॉर्म और प्रक्रिया, खाता रखरखाव आदि में आवासीय प्रशिक्षण होगा।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत स्थापित किए जा रहे चयनित उद्योगों में रीको/राजस्थान वेंचर कैपिटल फंड की 10% भागीदारी का प्रावधान होगा। जो अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति यूनिट होगा। इस साझेदारी से युवा उद्यमियों को तकनीकी और विभिन्न स्वीकृतियां प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
रीको औद्योगिक क्षेत्रों में दलित एवं आदिवासी वर्ग के उद्यमियों को आवंटित किए जाने वाले भूखण्डों की निर्धारित सीमा 2000 वर्गमीटर से बढ़ाकर 4000 वर्गमीटर की जायेगी। उन्हें भूमि परिवर्तन शुल्क में शत-प्रतिशत छूट दी जाएगी। इसमें भूमि खरीद पर स्टाम्प शुल्क, पट्टे और ऋण दस्तावेज शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘यह योजना सात साल की अवधि के लिए दलित और आदिवासी वर्ग से संबंधित उद्यमियों द्वारा स्थापित इकाइयों के लिए राज्य वस्तु और सेवा कर (एसजीएसटी) की 100% प्रतिपूर्ति भी प्रदान करेगी।’ अधिकारियों ने कहा कि अगले पांच वित्तीय वर्षों में मार्जिन मनी, सीजीएसटी और ब्याज जैसे अनुदानों से राज्य सरकार पर कुल 525 करोड़ रुपये का बोझ आएगा।
योजना पर टिप्पणी करते हुए राजनीतिक विश्लेषक मनीष गोधा ने कहा कि राजस्थान में दलित और आदिवासी बड़े वोट बैंक हैं। विधानसभा में उनके लिए 30 से अधिक आरक्षित सीटें हैं। इसलिए उनके लिए कल्याणकारी योजनाओं पर विशेष जोर चुनावी बिंदु से महत्वपूर्ण है। एक उद्यमिता विकास योजना वास्तव में एक स्वागत योग्य कदम है जिसे सफलतापूर्वक लागू करने पर कांग्रेस को लाभ हो सकता है।
सौजन्य : Livehindustan
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