इस गांव में लड़कियां नहीं लड़के आते हैं विदा होकर, 3 पीढ़ियों से शादी के बाद नहीं होती हैं बेटियां विदा
भारतीय सिनेमा में आपने कई फिल्में घर जमाइयों और दामादों पर देखी और सुनीं होंगी लेकिन जब परमपराएं प्रथा बनकर इतिहास बनाने लगें तो इसे क्या कहेंगे. यूपी का कानपुर देहात के इस गांव में तीन पीढ़ियों से लड़कियों की शादी में दूल्हे विदा होकर घर दामाद बनते हैं और यहीं पर रहकर बस जाते हैं. शादी में दुल्हन की विदाई तो आपने कई बार देखी होंगी लेकिन कानपुर देहात के अकबरपुर तहसील के दमादनपुरवा गांव का नाम महज इस वजह से ही पड़ गया की यहां जब भी किसी लड़की की शादी होती है तो दुल्हन विदा न होकर यहां दूल्हा बना लड़का अपने घर से विदा होकर आता है यहीं पर बसकर घर दामाद बन जाता है.
अब बन गई है ये परंपरा
लड़का अपना पूरा जीवन घर जमाई बनकर बिताता है. लड़की के घर में घर दामाद कुछ दिन रहता है और फिर लड़की के घरवाले अपने जमाई को जीवन यापन करने के लिए पक्का मकान और जमीन देते हैं ताकि उनकी लड़की अपने घरवालों के पास पूरी उम्र रह सके और दामाद घर जमाई बन जाता है. इस गांव में ये प्रथा पिछली तीन पीढ़ियों से चली आ रही है और अब ये परंपरा बन गई है.
बना है चर्चा का विषय
गांव में बना एक प्राथमिक स्कूल भी है जिसपर दमादनपुरवा नाम लिख हुआ है. दरअसल गांव में रहने वाला हर घर अमूमन घर दामादों से घिरा हुआ है और यहां बूढ़े से लेकर जवान तक शादी के बाद घर दामाद बनकर रह रहे हैं. इस गांव में लगभग 500 की आबादी है और 253 मतदाता भी हैं. दलित परिवारों से भरा ये गांव अब सुर्खियों में आ गया है. पिछले दो साल पहले इस गांव के नामकरण के बाद अब ये गांव सरकारी अभिलेखों में भी दर्ज हो गया है जिसके बाद ये चर्चा का विषय बना हुआ है.
गांव के लोगों ने क्या बताया
गांव के ही रहने वाले बुजुर्ग रामप्रसाद ने बताया कि, जब वे शादी होकर यहां आए थे तभी से इस गांव में घर दामाद बनकर रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि आर्थिक स्थिति सही न होने के चलते इस प्रथा की शुरुआत हुई थी और अब ये प्रथा परंपरा बन गई है. वहीं जब हमने गांव की ही बेटी शशि से बात की तो उन्होंने बताया कि मेरी शादी को 12 साल हो गए हैं और वे उसके बाद से ही अपने पति के साथ यहां रह रहीं हैं. उनके पति यहां घर दामाद बनकर रह रहे हैं.
मिलती है मकान और जमीन
शायद ये पहला ऐसा गांव होगा जो अपनी प्रथा और परंपरा के चलते नामचीन हो रहा है और यहां ज्यादातर लोग अपने लड़कों की शादी शायद इस वजह से भी करते हैं कि उन्हें भले ही पूरी उम्र घर दामाद बनकर रहना पड़े लेकिन शादी के एवज में उन्हें ससुराल की ओर से मकान और जमीन मिल जाती है. फिलहाल जिस जमीन पर ये सभी घर दामाद मकान बनाकर रह रहे हैं ये जमीन पट्टे की जमीन है और इन दलित परिवारों को रहने और खेती के लिए सरकार की तरफ से दी गई है.
सौजन्य : Abplive
नोट : यह समाचार मूलरूप से abplive.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !