राजस्थान के इस गांव में 14 साल बाद दलित परिवार को मिला न्याय
हिण्डौनसिटी. दबंगों द्वारा हड़पी गई भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिए 14 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे खेड़ली गुर्जर गांव के एक दलित परिवार को आखिरकार न्याय मिल गया। सोमवार को भारी पुलिस बल एवं प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में सरकारी जेसीबी ने कच्चे और पक्के कब्जों को ध्वस्त कर दिया। कब्जा मुक्त हुई भूमि को राजस्व विभाग की टीम ने नाप-जोख और सीमा ज्ञान के बाद पीडि़त खातेदार को सुपुर्द कर दिया। वर्षों बाद पुन: अपनी जमीन पर कब्जा मिलते ही पीडित परिवार के लोगों के चेहरों पर खुशी छा गई।
एसडीएम अनूप सिंह ने बताया कि खेड़ली गुर्जर गांव निवासी चौथी लाल पुत्र गिरधारी जाटव की खातेदारी की भूमि खसरा नंबर 1016 के रकबा 0.60 हैक्टेयर में से 0.10 हैक्टेयर पर गांव के कई दबंगों ने जबरन कब्जा कर लिया। लठैतों ने कब्जा की गई भूमि पर कच्चे और पक्के रिहायशी निर्माण कर एवं पत्थर, मोरम व घूड़े डाल लिए। इसको लेकर पीडि़त ने वर्ष 2014 में तहसीलदार के समक्ष धारा 183-बी के तहत परिवाद पेश किया। करीब आठ साल की कानूनी लडाई के बाद 31 अगस्त 2021 को सूरौठ तहसीलदार ने पीडित की भूमि से दबंगों के कब्जा खाली कराने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन पिछले करीब एक साल से तहसीलदार के आदेश की पालना सुनिश्चित नहीं हो पाई। पीडि़त परिवार ने फिर एसडीएम अनूप सिंह के समक्ष गुहार लगाई। जिस पर एसडीएम ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सूरौठ तहसीलदार को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
सरकारी जेसीबी लेकर पहुंचा प्रशासन-
एसडीएम ने बताया कि भूमि से कब्जे हटाने के लिए जेसीबी की जरुरत थी, लेकिन पीडि़त इसकी व्यवस्था नहीं कर पाया। इस पर एसडीएम ने नियमानुसार शुल्क जमा कर नगरपरिषद प्रशासन को जेसीबी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। सोमवार को दोपहर करीब 12 बजे सूरौठ तहसीलदार गजानंद मीणा, नई मंडी थानाप्रभारी गिर्राज प्रसाद भारी पुलिस जाप्ता और राजस्व दल के कर्मचारियों के साथ खेड़ली गुर्जर गांव पहुंचे। जहां शाम करीब चार बजे तक चली कार्रवाई के दौरान सडक़ किनारे स्थित पीडि़त भूमि को कब्जा मुक्त कराया।
कब्जे हैं तो करें शिकायत-
एसडीएम अनूप सिंह ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं अुनुसूचित की जनजाति के लोगों की भूमि पर जबरन अतिक्रमण कर कब्जा करना अपराध है। पीडि़त व्यक्ति राजस्थान टिनेंसी एक्ट-1955 की धारा 183-बी के तहत संबंधित तहसीलदार के समक्ष परिवाद दर्ज करा सकता है। इसके अन्तर्गत जिला कलक्टर से लेकर एसडीएम व तहसीलदार द्वारा मुकदमों की त्वरित समीक्षा की जाती है। समरी और ट्रायल के बाद तत्काल निर्णय भी पारित किए जाते हैं।
सौजन्य : Patrika
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