प्यार में डूबा बाड़मेर का लड़का LoC पार कर फंसा कराची की जेल में
राजस्थान के बाड़मेर जिले के दूरदराज के धूल-धक्कड़ भरे गांव कुम्हारों का टीबा में 2020 की गर्मियों के लॉकडाउन के दौरान एक दलित किशोर और उसकी पड़ोसी तथा सहपाठी ब्राह्मण किशोरी के बीच चोरी-छिपे प्यार पल रहा था. उनके परिवार और गांववाले इससे कतई खुश नहीं थे.
लेकिन मेघवाल समुदाय का तब 17 साल का गेमरा राम मेघवाल उभरी हुई आंखों वाली पड़ोसी प्रिया (बदला हुआ नाम) के प्यार में था. दो साल बाद अभागे प्रेमियों को बर्बाद करने वाली जाति नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच 3,323 किमी. लंबी बाड़बंदी वाली सीमा रास्ते में खड़ी हो गई थी.
गेमरा दो साल से कराची जेल में है और लगता है कि लगभग हर कोई सब कुछ भूलकर आगे बढ़ गया है: गांववाले, बीएसएफ, पाकिस्तान रेंजर्स और यहां तक कि प्रिया भी. अब 20 बरस का गेमरा पाकिस्तान में राज कहलाता है.
मेघवाल समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता धरमा राम कहते हैं, ‘वह जवान, गरीब लडक़ा है, जो गलती से पाकिस्तान चला गया. लेकिन उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई. किसलिए? एक ऊंची जाति की लडक़ी के प्यार में पड़ जाने से? गेमरा तय से दोगुना सजा भुगत चुका है. उसकी फौरन रिहाई का इंतजाम भारत को करना चाहिए.’
जवान रोमांस एलओसी पर खत्म
कोविड लॉकडाउन के दौरान प्रिया और गेमरा गांव वालों की घूरती आंखों से दूर वक्त चुरा लेते, जब भी वे साथ-साथ होते तो हमेशा चेहरे पर मुस्कराहट लिए बातें करते, हंसते और खेलते नजर आते. गेमरा के बड़े भाई ने कहा, ‘यह छोटा-सा गांव है और बहुत कुछ करने को नहीं है. लॉकडाउन के दौरान अक्सर वे एक साथ टहलते तो मैं भांप सकता था कि दोनों के बीच कुछ चल रहा है.
लेकिन प्रिया और गेमरा के परिवारों को ऐसा कुछ नहीं लगा. आखिर प्रेमियों को बिछुडऩा ही था. लॉकडाउन हटने लगा तो गेमरा को बढ़ई का काम करने के लिए जोधपुर भेज दिया गया. अब उनके रोमांस को दूरी नापने का इम्तहान देने था.
गेमरा 4 नवंबर 2020 को रात के अंधेरे का फायदा उठाकर प्रिया के घर में घुस गया. गेमरा के परिवार का दावा है कि प्रिया ने उसे बुलाया था. लेकिन वह कहती है, यह देर रात प्रेमियों के मिलने-जुलने जैसा नहीं था. उसमें उसकी मंजूरी नहीं थी और बग प्रिया का आरोप है कि गेमरा ने उससे बलात्कार की कोशिश की.
गेमरा जब घर में घुसा तो प्रिया की मां मदद के लिए चीखी-चिल्लाई. वह रंगे हाथ पकड़ लिया गया है. प्रिया के पिता गुस्से में आग बबूला, अपने हाथ में बल्ला उठाए, उसके पीछे भागे. लेकिन वे 17 साल के छरहरे लड़के को भला कहां पकड़ पाते, वह बेखुदी में दौड़ता-कूदता नियंत्रण रेखा की ओर बढ़ गया, जो उनके गांव से बस दो किलोमीटर की दूरी पर थी.
गेमरा जाति हिंसा की डर से जान बचाकर भाग रहा था और सीमा की बाड़बंदी को लांघ गया.
लगता है, दलित किशोर ऊंची बाड़बंदी के नीचे से दुबक कर निकल गया, जहां जगली सुअर अक्सर आर-पार निकलने के लिए गड्ढे खोद डालते हैं. सीमा पार पहुंचकर उसने पास के एक गांव में एक मेघवाल परिवार में शरण ली और आखिरकार पाकिस्तानी रेंजरों ने उसे पकड़ लिया. सीमा पार करने के पांच महीने बाद से वह कराची के लंडी जेल में बंद है. गेमरा का मामला अब दोनों देशों के बीच कटुता, लेट-लतीफी और कूटनयिक सुस्ती का शिकार हो गया है.
भारत को गेमरा चाहिए, पाकिस्तान को बकरियां
उस घटना के एक दिन बाद 5 नवंबर 2020 को भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसफ) के खोजियों ने सामान्य गश्त के दौरान देखा कि पैरों के निशान पाकिस्तान की ओर जा रहे हैं. खोजियों को बालू में पांव के निशान का पता लगा लेने की ट्रेनिंग मिली होती है. बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘दोपहर को बटालियन यह पता करने के लिए कुम्हारों का टीबा पहुंची कि कोई लापता तो नहीं है.’ उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मेघवाल परिवार का मानना था कि गेमरा राम जोधपुर में है और पाकिस्तान की ओर जाने वाला वह नहीं हो सकता.’
गेमरा के बड़े भाई जगतरा राम अभी भी यही कहते हैं कि परिवार को नहीं पता कि 4 नवंबर की रात वह गांव में था. उन्होंने कहा, ‘पिता खेत में काम कर रहे थे और मैं घर पर था, घर खाली था. प्रिया ने ही जरूर उस रात उसे बुलाया होगा, हमें पता नहीं था कि वह यहां था.’
दस दिनों तक भारत ने यह नहीं बता नहीं सका कि गेमरा सीमा पार चला गया है, क्योंकि क्या हुआ, यह साफ नहीं था. तब एक अनौपचारिक बैठक में पाकिस्तान रेंजरों ने बीएसएफ को गेमरा राम का आधार कार्ड दिखाया, ताकि यह साबित हो सके कि वह किशोर सीमा की दूसरी तरफ का है. और तब ‘लेनदेन’ की पेशकश आई.
उसी बैठक में रेंजरों ने करीब 80 बकरियों का मामला उठाया, जो भारत की ओर चली गई थीं और उनको वापस करने की मांग की.
भारत ने उस महीने बकरियों को लौटा दिया लेकिन गेमरा कभी वापस नहीं आया. बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘यह सही है कि उस वक्त हमने कुछ पाकिस्तानी बकरियां लौटाई थीं, लेकिन वह आम बात पर थी. कोई लेन देन का मामला नहीं था. पिछले साल हमने मानवीय आधार पर तीन पाकिस्तानी नागरिकों को लौटाया, जो गलती से भारत में आ गए थे, लेकिन पाकिस्तान ने बदले में ऐसा नहीं किया.’
प्रवक्ता ने कहा कि जून के आखिर में कमांडर स्तर की बैठक में बीएसएफ ने रेजंरों से गेमरा राम का मसला उठाया. प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने अपने अधिकारों में जो कुछ था, गेमरा राम की वापसी के लिए वह सब कुछ किया.’ लेकिन पहले कुछ दिनों में वह अहम खो गया, जब कोई नहीं जानता था कि गेमरा राम कहां है और क्या वह सीमा पार चला गया है.
बीएसएफ के प्रवक्ता ने कहा, ‘परिवार गेमरा के लापता होने की रिपार्ट दर्ज नहीं कराना चाहता था और यही कहता जा रहा था कि वह जोधपुर में है, पाकिस्तान में नहीं. रेंजरों ने जब हमें आधार कार्ड दिया तब हम ठीक-ठीक जान सके कि लडक़ा पाकिस्तान में है.’
परिवार इससे सहमत नहीं है और उनका कहना है कि वे यह नहीं जान सके कि पाकिस्तान गया लडक़ा गेमरा ही है. आखिरकार बेटे के लापता होने के आठ दिन बाद 12 नवंबर 2020 को उसके पिता जामा राम ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. बीएसएफ का दावा है कि उसके जोर डालने पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई.
गेमरा ने जेल से चिट्ठी भेजी
अगस्त 2021 में दक्षिण कराची सेशन कोर्ट ने पाकिस्तान विदेशी कानून, 1946 के तहत गेमरा राम को छह महीने की कड़ी सजा सुनाई. लेकिन साल भर बाद भी वह वहीं सीखचों के पीछे पड़ा हुआ है.
भारत-पाकिस्तान के कैदियों के लिए काम करने वाले कराची के वकील अंसार बर्नी ने कहा, ‘भारत-पाकिस्तान के कैदी अदालती आदेशों के आधार पर रिहा नहीं किए जाते, बल्कि दोनों देशों के बीच कैदियों की अदला-बदली के दौरान होती है. मैं अपनी व्यक्तिगत हैसियत में गेमरा की रिहाई की कोशिश कर रहा हूं.’
पाकिस्तान के उसी जेल की सेल में बंद रह चुके एक गुजराती मछुआरे ने दिप्रिंट को बताया कि जेल में उसने एक नई पहचान भी अपना ली है, गेमरा खुद को ‘राज’ कहता है और कंटीन में काम करता है.
उसके कहा, ‘वह लडक़ा चुपचाप रहता है और दुबला-पतला हो गया है. वह खुद में मशगूल रहता है और कंटीन में काम करता है. उसने कभी यह नहीं बताया कि उसकी कोई प्रेमिका थी.’ यह मछुआरा जेल में करीब साल भर रहा.
जून में मछुआरे की रिहाई हुई तो वह उसके पास मेघवाल परिवार के लिए तोहफा था, गेमरा की 18 जून 2022 को लिखी चिट्ठी में गेमरा ने लिखा था कि उसे जेल में कोई मुश्किल नहीं झेलनी पड़ी और उसने अपने मां-बाप की सेहत की कुशल-क्षेम और समूचे परिवार की हालचाल के बारे पूछा और उम्मीद जताई कि जल्दी ही घर आ जाएगा.परिवार को उसकी यही एक चिट्ठी मिली है. बेहद सुंदर हैंडराइटिंग और ठीक-ठाक हिंदी में लिखी चिट्ठी की शुरुआत गणेश-वंदना से होती है, लेकिन उसमें प्रिया का कोई जिक्र नहीं है.उधर, गेमरा को नहीं पता है कि उसके पिता नहीं रहे.
बेटे के लिए लंबा इंतजार
गेमरा राम के सोशल स्टडीज की किताब के नोट अधूरे हैं, उसमें आखिरी बार मध्य अक्टूबर 2020 में लिखा गया है. कमरे की ईंट की दीवारों के एक कोने में मुड़ी-तुड़ी स्कूल की पोशाक की तरह बाकी कपड़े टंगे हैं. इसी कोने को गेमरा अपना कहता रहा है. घर में गोपनीयता का कोई खास मतलब नहीं है, उसके नौ भाई-बहन हैं. उसके बड़े भाइयों के बच्चे घर में इधर-उधर दौड़ते-भागते हैं, जबकि उनके पिता जोधपुर में बढ़ई का काम करते हैं.
गेमरा जबसे लापता हुआ है, उसकी मां अमकू ने उसकी चीजें नहीं हटाई हैं. लेकिन वे वक्त को जितना ही थाम कर रखना चाहें, चीजें बदल चुकी हैं. उनके पति जामा राम दिसंबर 2021 में हार्ट अटैक से मर चुके हैं. अमकू कहती हैं, ‘गेमरा की गुमशुदगी से उनके दिल में छेद हो गए और वे दर्द से मर गए.’
उधर, प्रिया गेमरा से किसी तरह के रिश्ते से इनकार करती है. वह कहती है, ‘उस परिवार ने मुझे बदनाम करने के लिए अफवाह फैला दी कि वह और मैं एक-दूसरे को देखते रहे थे. यह सरासर झूठ है.’ प्रिया के परिवार ने 1 अप्रैल 2021 को एक एफआइआर में यह आरोप भी लगाया कि गेमरा ने उसका बलात्कार करना चाहा, मगर प्रिया ने दिप्रिंट से ऐसा कुछ नहीं कहा.
एफआइआर आइपीसी की धारा 460 (घर में घुसना), 376 (बलात्कार), और 384 (जबरन पैसा उगाही) के तहत दर्ज की गई है.
हालांकि, गांव के लोग कहते हैं कि लॉकडाउन के वक्त प्रिया और गेमरा के बीच गहरा रिश्ता बन गया था और रोमांस की अटकलें उड़ने लगी थीं. प्रिया इनकार करती है, ‘वह मेरा बस एक सहपाठी था, जिसके होमवर्क में मैंने कभी-कभार मदद की थी. मेरी उससे कोई और बात कतई नहीं थी.’
गेमरा तो गया, राज के घर लौटने का इंतजार अब गेमरा का क्या हुआ?
राजस्थान के पूर्व विधायक तथा कांग्रेस नेता मानवेंद्र सिंह कहते हैं, ‘गेमरा का नाम जनवरी 2022 में कैदियों की अदला-बदली की फेहरिस्त में होना चाहिए था, लेकिन वह नहीं था. मैं पाकिस्तान में जाइंट सेक्रेटरी के संपर्क में था और उन्हें गेमरा के मामले की जानकारी भी दी थी. उनके पास कराची से सभी जरूरी दस्तावेज हैं. अब हमारे विदेश मंत्रालय पर उसे लौटा लाने की जिम्मेदारी है.’
हर छह महीने में भारत और पाकिस्तान कैदियों की फेहरिस्त का आदान-प्रदान करते हैं और अमूमन दोनों देश हर छह महीने में कैदियों को रिहा कर देते हैं.
दिप्रिंट ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची को वॉट्सऐप और पाकिस्तान के जाइंट सेक्रेटरी को ईमेल के जरिए संपर्क किया, मगर रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं आया. दिप्रिंट ने पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आइएसपीआर) को भी टिप्पणी के लिए लिखा मगर उसे ब्लॉक कर दिया गया.
गेमरा के परिवार को डर है कि लौटने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वे सभी उसकी सुरक्षित वापसी के लिए अपनी मुहिम में कम उत्साह के साथ जुटे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता धरमा राम कहते हैं, ‘उसने सजा काट लिया तो उसकी घर वापसी उसका मानवाधिकार है. बाकी हम उसके लौटने के बाद देखेंगे.’ इस बीच, गेमरा कराची के लंडी जेल में हाथ में कलम के बदले कलछी-चम्मच लिए पड़ा है. वकील अंसार बर्नी कहते हैं, ‘कोई सजा काट चुका है, इसका यह मतलब नहीं कि उसे रिहा कर दिया जाएगा. गेमरा अपने देश तभी आएगा, जब कैदियों की अदला-बदली होगी और भारत तथा पाकिस्तान दोनों को यकीन दिला सकते हैं कि वह भारतीय है.’ लगता है, प्रेम कहानी खत्म हो गई है.
वहां राज नाम से जाना जाने वाला देश में किसी लडक़ी के बारे में बात नहीं करता. प्रिया भी आगे बढ़ चुकी है. ‘जैसा कि मैंने बताया, वह दूसरे सहपाठियों की ही तरह था. उसके साथ क्या हुआ, यह मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता.’
सौजन्य : Theprint
नोट : यह समाचार मूलरूप से theprint.in में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !