जालौन में आत्महत्या के लिए उकसाने पर 2 को उम्रकैद : न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों पर लगाया 23-23 हजार का जुर्माना, एससी-एसटी कोर्ट ने सुनाया फैसला
जालौन में 4 साल पहले एक दलित को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी की कोर्ट ने दो आरोपियों को दोषी करार दिया है। इस मामले में दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उनके ऊपर 23-23 हजार रुपए का आर्थिक दंड भी कोर्ट ने लगाया है। सजा होने के बाद पुलिस ने दोनों दोषियों को हिरासत में लेकर उरई जिला कारागार भेज दिया गया।
इस मामले की पैरवी कर रहे सहायक शासकीय अधिवक्ता हृदेश पांडे ने बताया कि 28 अप्रैल 2018 को कालपी कोतवाली में रामसनेही ने मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें जोल्हूपुर के रहने वाले राम लखन पुत्र कालीचरन, शिव लखन तथा छोटे उर्फ सुरेंद्र के खिलाफ अपने भाई धीरेंद्र की आत्महत्या के मामले में उकसाने की बात कही थी। जिसमें रामसनेही ने बताया था कि राम लखन, शिव लखन और छोटे उर्फ सुरेंद्र ने उसके भाई धीरेंद्र के साथ मारपीट की थी। इसके साथ ही जातिसूचक गालियां देते हुए उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाया था। जिसके बाद धीरेंद्र ने आत्महत्या कर ली थी।
4 साल तक हुई मुकदमे की सुनवाई
इस मामले की विवेचना कॉल पीसीओ सुबोध कुमार गौतम द्वारा की गई थी। जिसमें उन्होंने राम लखन तथा छोटे उर्फ सुरेंद्र को इस मामले में दोषी पाते हुए आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया था। जबकि शिव लखन के खिलाफ कोई सबूत न मिलने के कारण उसको विवेचना में हटा दिया था। इस मामले की 4 साल तक लगातार पैरवी चलती रही।
विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट ने सुनाया फैसला
जिसमें गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट के पीठासीन शिव कुमार सिंह ने राम लखन तथा छोटे उर्फ सुरेंद्र को एससी-एसटी एक्ट, आत्महत्या के लिए उकसाने, मारपीट और जातिसूचक गाली देने के आरोप में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
सौजन्य : Dainik bhaskar
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