बारिश के लिए ग्रामीण महिलाएं कर रही नए-नए जतन, इंद्र देवता को खुश करने के लिए चला रही खेतों में हल
कानपुर : कानपुर में बारिश न होने के चलते सूखे जैसे हालात बन रहे हैं. आषाढ़ के मौसम में खेतों से धूल उड़ रही है. किसानों के माथे पर उड़ती हुई धूल को देखकर चिंताओं की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं. किसान इस मौसम में धान की फसल लगाने की तैयारी का कार्य करते हैं. पानी के अभाव के कारण धान की बेड़़ इस समय सूख रही है. बारिश होने के लिए महिलाएं बारिश के देवता भगवान इंद्र को खुश करने के लिए नए-नए जतन अपना रही हैं कि बारिश हो और जन आम जनमानस को इसका लाभ मिल सके.
बिना बारिश के सूखे जैसे हालात
मौसम की बेरुखी के चलते कानपुर में इन दिनों सूखे जैसे हालात बन चुके हैं . जल वर्षा न होने के चलते लोगों की बोई जाने वाली फसलों धान, तिली आदि की नई पौध बारिश के अभाव में सूख रही है, वहीं जानवरों के लिए हरा चारा भी नहीं उपलब्ध हो पा रहा है. गांव में तालाब पोखर कुएं आदि का पानी भी सूख गया है . आम जनमानस के साथ ही पशु पक्षियों को भी पीने का पानी सुगमता से नहीं मिल पा रहा है.
प्यास के चलते पशु पक्षी भी दम तोड़ते नजर आ रहे हैं . वर्षा हो इसके लिए कानपुर देहात की महिलाओं ने बारिश के देवता भगवान इंद्र को खुश करने के लिए नए-नए जतन अपना रही हैं .महिलाएं भगवान इंद्र की पूजा कर खुद खेत में हल चलाकर बारिश कर आम जनमानस को राहत देने की प्रार्थना की है.
बता दें कि कानपुर के भोगनीपुर तहसील क्षेत्र के मदनपुर गांव की महिलाएं बारिश न होने के चलते आए दिन नए-नए जतन अपना रहीं हैं . गांव की महिलाओं ने बारिश के देवता भगवान इंद्र को खुश करने के लिए जल वर्षा करने के लिए प्रार्थना की है. इसके लिए गांव की सभी महिलाएं ढोलक मंजीरा और खंजरी लेकर भगवान के मंगल गीत गाते हुए उन को प्रसन्न करने का कार्य कर रही हैं. इसके साथ ही महिलाओं ने हल का पूजन कर खुद अपने कंधे पर हल को रखकर खेत में जुताई की है.
महिलाओं ने इसके पीछे ये वजह बताई
महिलाओं को यह विश्वास है कि ऐसा करने से भगवान खुश होंगे और बारिश होगी . गांव की महिला सीमा सचान ने बताया कि हमारे धर्म और शास्त्रों में ऐसा हुआ है कि जब देव काल के राजा जनक के राज में एक बार सूखा पड़ गया था तब उनको बताया गया कि राजा और रानी मिल कर अगर खेतों में हल चलाएंगे, तो निश्चित ही भगवान खुश होंगे और जल वर्षा करेंगे उनके द्वारा किए गए कार्य से उनके राज्य में वर्षा हुई .
किसानों अन्नदाताओं की बोई गई फसलों को लाभ मिला और उनके हल चलाने से उनको मां जानकी सीता पुत्री के रूप में प्राप्त हुई . हमें ही नहीं सभी लोगों को विश्वास है कि महिलाओं के द्वारा हल चलाने से निश्चित ही भगवान खुश होंगे और वर्षा होगी. आम जनमानस में जो इस समय परेशानियां हो रही है . लोगों के खेतों में जो धूल उड़ रही है . उसमें फसल बोई जा सकेगी. जानवरों और पशु पक्षियों को भी इसका लाभ मिलेगा. बस इसी कामना के साथ हम लोग रात में रतजगा भी कर रहे हैं. ढोलक मंजीरा के साथ मंगल गीत गा रहे हैं कि भगवान खुश हो और बारिश करें.
सौजन्य : Abplive
नोट : यह समाचार मूलरूप से abplive.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !