मृत्युंजय मंदिर चौक पर लगेगी बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति
नगर निगम मंडी के मृत्युंजय मंदिर चौक पर नोलेज ऑफ सिंबल बाबा साहेब डा. भीम राव अंबेडकर की पूर्ण मूर्ति स्थापित की जाएगी। इसके लिए नगर निगम मंडी ने प्रदेश सरकार को इसका प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। प्रदेश सरकार की तरफ से जैसे ही इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करती है। नगर निगम बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति की स्थापना के लिए डीपीआर बनाकर बजट की सरकार से मांग करेगी। बता दें कि नगर निगम ने अभी तक मूर्ति स्थापना के लिए मृत्युंजय मंदिर चौक मंडी को ही चुना है, लेकिन चौक के किस स्थान पर मूर्ति की स्थापना की जाएगी।
इस संबंध में अभी नगर निगम अभी सरकार से स्वीकृति मिलने का इंतजार कर रही है, जैसे ही स्वीकृति मिलती है तो उचित जगह को भी चिन्हित कर लिया जाएगा। बता दें कि इस संबंध में जिला मंडी के विभिन्न दलित संगठन जिला प्रशासन, नगर निगम व प्रदेश सरकार से बाबा साहेब की मूर्ति को स्थापित करने के लिए मांग कर चुके हैं। जिसके बाद अब नगर निगम ने इस संबंध में उचित कदम उठाया है। वहीं, नगर निगम मंडी की महापौर दीपाली जसवाल ने कहा कि शहर मंडी के मृत्युंजय मंदिर चौक पर भारत रत्न व संविधान निर्माता डा. भीम राव अंबेडकर की पूर्ण मूर्ति स्थापित की जाएगी। इस संबंध में प्रदेश सरकार को स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही मूर्ति की लंबाई व चिह्नित स्थान को चुनने का निर्णय लिया जाएगा।
इससे पहले पांच मूर्तियां की गई स्थापित
गौर हो कि जिला मुख्यालय मंडी में गांधी चौक पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सकोठी पुल मंडी पर रानी खैर गड़ी, इंदिरा मार्केट की छत्त पर क्रांतिकारी भाई हिरदा राम, डीसी ऑफिस के बाहर पुस्तकालय के साथ क्रांतिकारी स्वामी कृष्णा नंद की मूर्ति स्थापित की गई है। अब शहर मंडी में पांच मूर्तियों की स्थापना के बाद छठीं मूर्ति बाबा साहेब डा. भीम राव अंबेडकर की स्थापित की जाएगी।
32 डिग्रियां, नौ भाषाओं के जानकार थे संविधान निर्माता
गौर हो कि डा. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्यप्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था। छह दिसंबर, 1956 को 65 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। 32 डिग्रियां और नौ भाषाओं के जानकार बीआर अंबेडकर को आजादी के बाद संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त 1947 को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। फिर उनकी अध्यक्षता में दो वर्ष, 11 माह, 18 दिन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ। कहा जाता है कि नौ भाषाओं के जानकार थे। इन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानद उपाधियां मिली थीं। इनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं। साल 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। उन्होंने विज्ञान और तकनीक के जरिये देश के विकास का सपना देखा था।
सौजन्य : Ibc24
नोट : यह समाचार मूलरूप से ibc24.in में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !