आंबेडकरनामा के फाउंडर डॉ रतन लाल के खिलाफ FIR दर्ज़, ट्विटर पर समर्थन में उतरे हज़ारों लोग
दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रतन लाल की एक फेसबुक पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ FIR दर्ज़ कराई गई है। डॉ रतन लाल ने ज्ञानवापी मस्जिद के वज़ूखाने में मिले कथित शिवलिंग पर एक पोस्ट लिखी थी जिसे कुछ लोगों ने आपत्तिजनक कहते हुए उनके खिलाफ दिल्ली के मौरिस नगर थाने में शिकायत दर्ज़ करवाई है। डॉ लाल पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा है।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ
सोशल मीडिया पर एक ओर जहां लोग डॉ रतन लाल की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं तो वहीं बड़ी संख्या में लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं। ट्विटर पर #WesupportProfRatanlal ट्रेंड कर रहा है और इस हैशटैग के साथ 10 हज़ार से ज्यादा ट्वीट किए जा चुके हैं। लोग डॉ रतन लाल को मिल रही धमकियों का विरोध कर रहे हैं।
प्रो रतन लाल को नहीं झेल पा रहे मोदी – दिलीप मंडल
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक दिलीप सी मंडल ने ट्विटर पर लिखा ‘प्रोफ़ेसर रतनलाल को आप लोग झेल नहीं पा रहे हैं। अभी नरेंद्र मोदी के आराध्य ज्योतिबा फुले या पेरियार या बाबा साहब का लिखा और सरकार का ही छापा हुआ कोई दो पन्ना पोस्ट कर दिया तो आप लोग बाप-बाप करने लगेंगे।’
बहुजन बुद्धिजीवियों का दमन निंदनीय है – भंवर मेघवंशी
पत्रकार और जाने-माने लेखक भंवर मेघवंशी ने भी डॉ रतन लाल को निशाना बनाए जाने का विरोध किया है। उन्होंने लिखा ‘हम अम्बेडकरनामा के संपादक और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉक्टर रतन लाल जी के साथ है.जातिवादी ताक़तें जिस तरह से बहुजन बुद्धिजीवियों के अभिव्यक्ति के अधिकार का दमन कर रही है,वह निंदनीय है’
BJP-RSS की दलित विरोधी मानसिकता उजागर – सुमित चौहान
द शूद्र और द न्यूज़बीक के संपादक सुमित चौहान ने लिखा ‘जिस तरह से डॉ @ratanlal72 के खिलाफ नफरत का माहौल बनाया जा रहा है, वो बीजेपी-RSS की दलित विरोधी मानसिकता का सबूत है। एक दलित प्रोफेसर को निशाना बनाया जा रहा है इसलिए हम डॉ रतन लाल के साथ हैं।’
डॉ रतन लाल की आड़ में डॉ आंबेडकर का अपमान क्यों – डॉ लक्ष्मण यादव
दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही शिक्षक डॉ लक्ष्मण यादव ने भी डॉ रतन लाल के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी कर रहे लोगों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने लिखा ‘डीयू के प्रोफ़ेसर रतन लाल @ratanlal72 जी की भाषा से सहमत असहमत हुआ जा सकता है. उनकी बातों से भी आप असहमत हो सकते हैं. मगर उन्हें गालियां, धमकियां देकर ट्रोल करना कहाँ तक उचित है? रतन जी की आड़ में डॉ. आंबेडकर का अपमान करना क्या है? और चिंताजनक यह है कि विश्वविद्यालय से जुड़े लोग भी वाद संवाद से तार्किक प्रतिपक्ष रखने की बजाय हिंसक ट्रोल बनते जा रहे हैं, तो संवाद होगा कब और कहां? सहमति असहमति के बीच संवाद करने की बजाय अब अगर हर कहीं ‘बुलडोजर’ ही चलेगा तो फिर बचेगा कौन? ये प्रवृत्ति समाज द्रोही है’
इसी तरह सोशल मीडिया पर उनके पक्ष और विपक्ष में बड़ी संख्या में लोग लिख रहे हैं।
सौजन्य : Theshudra
नोट : यह समाचार मूलरूप से theshudra.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !