भारत मे सामाजिक न्याय का सच
महाड़ का सत्याग्रह (अन्य नाम: चवदार तालाब सत्याग्रह व महाड का मुक्तिसंग्राम)
भीमराव आंबेडकर की अगुवाई में 20 मार्च 1927 को महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के महाड स्थान पर दलितों को सार्वजनिक चवदार तालाब से पानी पीने और इस्तेमाल करने का अधिकार दिलाने के लिए किया गया एक प्रभावी सत्याग्रह था। जिस सत्याग्रह के आज 95 साल बाद भी भारत मे सामाजिक न्याय की स्थिति में क्या बदलाव आया है।
इसकी समीक्षा आवश्यक है आज भी भारत का 75% दलित समाज,खटीक,पासी,धोबी, मुसहर, डोम, मेहतर आदि जजमानी व्यवस्था में लगा हुआ है जिसके कारण उनकी सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि मे कोई बड़ा बदलाव नही आ सका है।( हाँ चमार जाति के अधिकतर लोगो ने अपना जजमानी व्यवस्था के काम त्याग किया इसलिए आज वो आर्थिक शैक्षणिक तौर पर अन्य दलित जातियों से बेहतर स्थिति में हैं। चार दिन पूर्व 17 मार्च को राजस्थान में एक दलित युवा को इस लिए गोली मारकर हत्या कर दी गयी कि वो ताव वाली मूंछों को रखता था ! इसी महीने एक दलित आईपीएस अधिकारी को अपने ही शादी में घोड़ी पर बैठने के लिए पुलिष फोर्स की मदत लेनी पड़ी।( पिछले दो दशक में ऐसे मूंछों और घोड़ी वाले हज़ारो घटनाएं सामने आ चुकी हैं)
हज़ारो दलितो/आदिवासियों को फर्जी_नक्सली बता के मार दिया जाता है।।
दलित आदिवासी मांहिलाओ के साथ यौन हिंसा अन्य मांहिलाओ के तुलना में सैकड़ो गुना अधिक हर तरह का हिंसा होता है।और कोई भी महिला संगठन इसपर मुखर होकर विरोध करती नही दिखी ! आज भी लाखों दलित आदिवासी परिवार भूमिहीन है और किसी भी किसान आंदोलन की नज़र उनपर नही जाती है। न्याय व्यवस्था खासकर हाईकोर्ट एवं सुप्रीमकोर्ट मे दलित आदिवासि समाज का नेतृत्व 2% भी नही है और एक तथाकथित दलित राष्ट्रपति महोदय अपना कार्यकाल खत्म करने जा रहे हैं लेकिन कोलेजियम व्यवस्था में दलितो आदिवासियों की भागीदारी के नाम पर अबतक खामोश बैठे हैं।
एससी एसटी के लाखो बैकलॉग पद खाली हैं लेकिन देश के प्रधानमंत्री और प्रदेशो के मुख्यमंत्रीयो को कोई फर्क नही पड़ता, जितने कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई उससे हज़ारो गुना अधिक पिछले 5 दशकों में बथानी टोला जैसे नरसंहार छोटे बड़े टुकड़ो मे होते रहे हैं।देश मे लाखो दलित आदिवासि सामाजिक,आर्थिक, धार्मिक,शारीरिक और मानसिक शोषण और हिंसा के शिकार हो कर मर चुके हैं। येही नही भारत के जेलों में फर्जी मुकदमों में फसा कर हज़ारो हज़ार दलित आदिवासी बन्द पड़े है मर रहे हैं उनमें से अधिकतर का जमानत लेने वाला कोई नही है । देश मे हर साल हज़ारो सफाईकर्मी/मैला ढोने वाले(मैनुअल स्कवैजंर) सीवर मे दुर्घटना से या गंदगी के कारण उतपन्न हुए गंभीर बीमारियों से मर जाते हैं। 27 साल एससी एसटी एक्ट कानून बनने के बाद भी देश के करोड़ो दलित आदिवासी रोज जाति के आधार पर भेदभाव/छुआछूत का सामना करते रहते हैं। लेकिन अफसोस कि विवेक_अग्निहोत्री,अनुपम खेर, जैसे फिल्मी डायरेक्टो/कलाकारों को ये सब नही दिखता समाजिक न्याय के विषय पर अधिकतर फिल्मी कलाकार/निर्माता अंधे हो जाते हैं ।
वो सीर्फ इसलिए कि भारतीय मीडिया में 90% से अधिक कब्जेदारी उच्च जातियों की है जो मनुवादी सोच के गुलाम होते हैं। फीर क्यो दिखायेगें भला ऐसे लोग समाजिक न्याय पर फिल्में??? खैर इन सभी बातों के जिमेदार सही मायने में कोई है तो रीढ़ विहीन भारत के 90% बहुजन नेता है। जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए पार्टियों का पट्टा अपने गले मे डाल कर मनुवाद की गुलामी करते नज़र आते हैं। तभी पूना_पैक्ट याद आता है कि काश अम्बेडकर की डबल वोटिंग मांग दलितों से उनका सेपरेट इलेक्टोरेट यानी पृथक निर्वाचक मंडल छीन लिया गया और उन्हें रिजर्व सीटें थमा दी गईं.. जिसका परिणाम आज देश का दलित आदिवासी समाज भोग रहा है ऐसे में अगर बहुजन समाज के लोग इन तथाकथित बहुजन राजनैतिक पार्टियों से कोई उमीद लगाए बैठे हैं तो हम सामाजिक न्याय के प्रश्न पर धोखे में जी रहे हैं।। और यदि ऐसा ही चलता रहा तो मात्र एक दशक के भीतर हम आरक्षण,सरकारी शिक्षा,, सरकारी स्वास्थ,, सुरक्षित सीटो का प्रावधान,, पट्टे की जमीनों की उमीद,, न्याय व्यवस्था में भागीदारी,,एससी एसटी एक्ट का कानून सहित संविधान तक को खो देगें।। फीर उसी मनुवादी व्यवस्था के तहत जजमानी व्यवस्था में लौटना होगा क्योंकि बड़े बड़े महलों में बैठकर, साल में दो चार प्रेस वार्ता कर के ट्वीट कर के शोशल मीडिया में प्रचार कर के बहुजनो को सामाजिक न्याय नही मिलने वाला है।। अधिकार,सम्मान और सामाजिक न्याय चाहिए तो सड़को पर उतरना होगा जनता के बीच चलना होगा।
मैं तो इन बहुजन राजनैतिक पार्टियों का इंतज़ार नही करूँगा।।
बहुजनो के सवालों को लेकर उनके बीच जाऊंगा और इन्ही बहुजनो के साथ सड़क से संसद तक समाजिक न्याय के सवाल पर जनता की आवाज बनने की कोशिश करूंगा।। जिसके लिए आप जैसे अम्बेडकरवादी, संघर्षरत साथियो की साथ कि आवश्यकता है।।
धन्यवाद।
जय भीम जय भारत जय संविधान
डॉ.अनूप श्रमिक “सयोंजक” पूर्वांचल बहुजन मोर्चा
सम्पर्क 9956031010