बेहतर इलाज के अभाव में चली गई मजदूर की बेटी की जान
बीना । समय पर 108 एंबुलेंस नहीं मिलने से फसल काटने आए दो मजदूरों की तीन बेटियां बुधवार को पांच घंटे तक सिविल अस्पताल में तड़पती रहीं। समय पर बेहतर इलाज न मिलने के कारण इसमें एक की जान चली गई, जबकि दो बच्चियों की सेहत में सुधार हो चुकी है। सात साल की बच्ची की मौत के लिए परिजनों ने इलाज में देरी होने बताया है। यदि बच्चियों को समय पर सागर रेफर कर दिया जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
गौरलतब है कि ग्राम डुलका थाना मानपुर जिला उमरिया निवासी झल्लू आदिवासी परिवार के साथ बीना के चिकनौटा गांव में फसल काटने आया है। मंगलवार रात उनकी सात साल की बच्ची राजकुमार और एक अन्य मजदूर धन्नाू आदिवासी की बेटी गुनगुन ढाई साल और गुंजन 5 साल ने कोई जहरीली चीज खा ली थी। तीनों लड़कियों की हालत बिगड़ने पर उन्होंने सिविल अस्पताल में भर्ती कराया था। डाक्टर दीपक तिवारी ने बच्चियों को सागर रेफर कर दिया था। इन्हें सागर भेजने के लिए बच्ची के पिता लगाकर 108 सेवा पर फोन लगाकर एंबुलेंस की मांग करते रहे, लेकिन बीना और कुरवाई की एंबुलेंस व्यस्त होने के कारण दोपहर 1 बजे तक नहीं मिली। वहीं दूसरी और अस्पताल प्रंबंध अस्पताल की दोनों एंबुलेंस टीकाकरण अभियान में लगी होने का हवाला देकर बच्ची को सागर ले जाने में आनाकानी करते रहे। बच्ची की हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसे पांच घंटे बाद दोपहर एक बजे सिविल अस्पताल की एम्बुलें से सागर डफरिन अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन स्वास्थ्य में सुधार न होने के कारण इसे डफरिन से बीएमसी (बुंदेलखंड मेडिकल कालेज) में भर्ती किया गया, लेकिन तब तक जहरीला पदार्थ अपना पूरा असर दिखा चुका था, इसके चलते बुुधवार रात इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई। बच्ची के परिजनों ने आरोप लगाया कि यदि उनकी बेटी को समय पर अस्पताल पहुंचा दिया गया होता तो शायद वह बच सकती थी।
राजकुमारी के साथ दो और गुनगुन और गुंजन ने भी कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था। दोनों की सेहत में पूरी तरह से सुधार हो चुका है। इन बच्चियों के पिता धन्नाू आदिवासी का कहना है कि शायद उन्होंने कम मात्रा में जहरीला पदार्थ खाया होगा, इसके चलते उनकी जान बच गई, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि बच्चियों ने खेत पर ऐसी कौन सी चीज खाई है, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई।
जिन डाक्टर ने बच्ची को अटेंड किया था मेरी उनसे बात हुई थी। उन्होंने बताया था कि तीनों बच्चियों के स्वास्थ्य में सुधार है। इसके चलते 108 एंबुलेंस का इंतजार किया। लेकिन दोपहर तक एंबुलेंस न आने के कारण उसे अस्पताल की एंबुलेंस से ही सागर भेजा गया था।
डा. संजीव अग्रवाल, प्रभारी, सिविल अस्पताल, बीना
सौजन्य : Nai dunia
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