महिलाएं बोलीं- हम कमल को वोट देंगे तो भी कहोगे हाथी को दिया है, फिर किसी और को वोट क्यों देना
वाराणसी रेलवे स्टेशन से 11 किलोमीटर दूर और सारनाथ से महज 3 किमी दूर एक गांव है पतेरवां। दलित और राजभर वर्ग के लोग रहते हैं। यहां न कभी कोई विधायक पहुंचा न मंत्री। विकास पहुंचा भी तो आधा-अधूरा। हम उसी गांव में पहुंचे और वहां की स्थिति के बारे में जाना। आईए एक-एक करके वहां के हालत को जानते हैं।
बिजली का बिल बना महिलाओं के लिए आफत
गांव की महिला सुखदेई देवी कहती हैं कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से फ्री में बिजली का कनेक्शन तो मिल गया। मेरे घर पर 1 बल्ब जलता है जिसका बिल 32 हजार आया आया है। लेकिन एक गरीब आदमी 32 हजार रुपये का बिजली बिल कैसे भरेगा ? पति को लकवा मार दिया है और वो दिव्यांग हैं, घर पर कोई कमाने वाला नहीं है किसी तरह मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं।
गरीब को पक्के छत का सपना अधूरा है
अपने छोटे बच्चे को गोद में लिए प्रीति बताती हैं कि वो तिरपाल डालकर कच्ची झोपड़ी में रहती हैं। उनको प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने तहत आवास नहीं मिला है। कई बार गांव के प्रधान से आवास के लिए कहे लेकिन वो नहीं सुनते हैं। 3 छोटे-छोटे बच्चे हैं। उनको कैसे पढ़ाएं लिखाएं और कैसे पेट भरें ये समझ में नहीं आता। यही परेशानी किरन को भी है। अपनी मड़ई दिखाते हुए कहतीं हैं कि उनको भी रहने के लिए घर नहीं है। बरसात आती है तो काफी दिक्कत होती है कच्चे घर से बरसात का पानी टपकता है।
प्रधानमंत्री शौचालय योजना का लाभ बहुत लोगों को नहीं मिला
गांव के ही रहने वाले विनोद ने बताया कि प्रधानमंत्री शौचालय के लिए 12000 रुपया मिलता है। लेकिन बहुत लोगों को नहीं मिला और कुछ का पैसा ग्राम प्रधान ने नहीं जारी किया।
बरसात के समय पानी घर में घुस जाता है, निकासी के लिए कोई नाली नहीं
गांव में पानी के निकलने के लिए नाली नहीं बनवाई गई है बरसात आती है तो घर में पानी घुस जाता है। गली में निकलना तक मुश्किल हो जाता है। शादी-ब्याह के समय स्थिति और खस्ताहाल हो जाती है। इतना पानी भरा होता है की बारात गाँव के अंदर नहीं या सकती है। इस गांव में कोई बारात घर भी नहीं है। इन सभी समस्याओं को गिनाते हुए 60 साल के सोनू कहते हैं कि सरकार हम बस्ती वालों को इंसान समझती ही नहीं है।
महिलाएं कहती हैं कि कमल पर वोट दे भी दें तो कोई यकीन नहीं करता, सब कहते हैं मायावती को वोट दी होगी सरकार किसकी बननी चाहिए, दलित बस्ती किसके साथ है? के सवाल पर गांव कि महिला सावित्री देवी कहती हैं कि कमल पर या किसी दूसरे को वोट दे भी दें तो कोई यकीन नहीं करता है। सब कहते हैं की दलित है तो मायावती को ही वोट दी होगी इसीलिए इस बार वो बसपा के साथ हैं।
भाजपा ने कुछ नहीं किया है बदलाव होना चाहिए
सुरेंद्र ने कहा कि इस बार बदलाव होना चाहिए, अखिलेश, मायावती दोनों में से कोई आए लेकिन भाजपा नहीं आनी चाहिए। महंगाई इतनी बढ़ गई है कि 200 रुपये लीटर खाने वाला तेल मिल रहा है। दिहाड़ी मजदूरी करके 300 रुपये रोज कमाने वाला गरीब आदमी कैसे अपना घर चलाएगा। फ्री का राशन अभी चुनावी फायदे के लिए दे रहे हैं जैसे ही चुनाव खत्म होगा वैसे ही फ्री का राशन मिलना बंद हो जाएगा।
चुनाव जीतने के बाद नेताजी लखनऊ चले जाते हैं फिर बस्ती की तरफ 5 साल मुड़कर भी नहीं देखते हैं 26 साल के युवा जयचंद भारती ने कहा की चुनाव जीतने के बाद नेताजी लखनऊ चले जाते हैं। फिर 5 साल बस्ती के तरफ एक बार भी मुड़कर नहीं देखते हैं। मौजूदा विधायक अनिल राजभर को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि 5 सालों में एक बार भी नहीं आए। वोट के लिए गरीब आदमी की पूछ सिर्फ चुनाव तक होती है।
सौजन्य : Dainik bhaskar
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