बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ में आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को फाड़ा, बताया विवि के खिलाफ।
लखनऊ स्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में बुधवार को बाबा साहेब भीमराव की 22 प्रतिज्ञाओं को फाड़ दिया गया जिसके बाद विवि में तनाव उत्पन्न हुआ लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जिस महापुरुष के नाम पर और जिसके विचारों को पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी का निर्माण हुआ उसी की 22 प्रतिज्ञाओं के खिलाफ विवि प्रशासन कथित कार्य कर रहा है।
क्या है मामला ?
जानकारी के अनुसार शिवरात्रि के दिन विश्वविद्यालय में कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के द्वारा भांग पार्टी की गई , विद्यार्थी परिषद् के कार्यकताओं द्वारा कहा गया कि वे शिवरात्रि मना रहे है इस दौरान ढोल नगाड़े के साथ जलूस भी निकाला गया और जय श्री राम के नारे के साथ शिवरात्रि बनाई गयी।
जिसका विरोध करते हुए कुछ लड़को ने विश्वविद्यायल में कई जगह पर भीमराम आंबेडकर द्वारा 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में दी गई 22 प्रतिज्ञाओं का पोस्टर लगा दिया जानकारी है यह पोस्टर कथित रूप आंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन की तरफ से लगवाए गए हैं।
जिसके बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की ओर से जमकर हंगामा किया गया और आंबेडकर की इन 22 प्रतिज्ञाओं को फाड़ दिया गया। एबीवीपी ने इन्हें तत्काल पूरे परिषद से हटवाए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
क्या है 22 प्रतिज्ञाएं –
मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ.
मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ.
मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूंगा.
मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा.
मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा.
मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ.
मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा.
मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करूँगा.
मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा.
मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालु रहूंगा तथा उनकी रक्षा करूँगा.
मैं चोरी नहीं करूँगा.
मैं झूठ नहीं बोलूँगा.
मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा.
मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा.
मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और अपने दैनिक जीवन में दयालु रहने का अभ्यास करूँगा.
मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ.
मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है.
मुझे विश्वास है कि मैं (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा) फिर से जन्म ले रहा हूँ.
मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा.
उधर, विवाद के बाद हरकत में आए विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से प्रॉक्टोरियल बोर्ड की मीटिंग बुलाई गई है. प्रवक्ता डॉ. रचना गंगवार ने बताया कि इस पूरे प्रकरण पर आगे की कार्यवाही के संबंध में जल्द ही फैसला लिया जाएगा।
आंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन ने पोस्टर फाडे जाने का किया विरोध –
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञा फाड़े जाने के बाद अंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट यूनियन ने विरोध प्रदर्शन किया, यूनियन के छात्रों का कहना है कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय में बाबा साहब की प्रतिक्रियाओं को जिस तरह पढ़ा गया उससे साफ है कि यहां का प्रशासन अंबडेकर के आदर्शों के खिलाफ है।
अंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट यूनियन के छात्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी में जिस तरह धार्मिक और राजनैतिक प्रोग्रामों का आयोजन किया जा रहा है जिसमे यहां के फैकल्टी शामिल है जल्द ही यह जल्द ही इस विद्यालय को उस दिशा में ले जाने का प्रयास है जो सब को खटक रहा है.
AUDSU छात्रों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र दलित और पिछड़े समाज से आने वाले छात्रों के लिए 50% का आरक्षण हमेशा से लोगों को खटकता रहा है। इसलिए यूनिवर्सिटी में ऐसे कार्यक्रम किए जाते हैं जिससे तनाव उत्पन्न होते शिवरात्रि सहित आरएसएस के कार्यक्रमों का आयोजन लगातार बढ़ते जा रहे है।
इससे शैक्षणिक कार्य ही बाधित नहीं होता है बल्कि है बार प्राप्त आरक्षण को ख़त्म करने का प्रयास किया जा रहा है। पहले आरक्षित सीटों को फुल पेड सीट में परिवतर्न किया गया। अब आंबेडकर विरोधी अभियान चलाकर विश्विद्यालय को बर्बाद करने की साजिश की जा रही है।
सौजन्य : The netizen news
नोट : यह समाचार मूलरूप से thenetizennews.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !