पुलिस के घेरे में दूल्हा, डीजे पर थिरकते बाराती… दबंगों की गलियों से ऐसे गुजरी घोड़ी सवार कॉन्स्टेबल की बारात
छतरपुर : आजादी के 75 साल बाद भी गांवों में कई जगहों पर दलितों की बारात घोड़ी से नहीं निकल सकती है। एमपी के ग्रामीण इलाकों से आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं। दलित दूल्हे अब पुलिस की मदद से घोड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हनिया को लाने जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामले छतरपुर जिले के कुण्डलया गांव में सामने आया है। कुण्डलया गांव के एक दलित नौजवान और पुलिस आरक्षक दयाचंद अहिरवार की बारात पुलिस के पहरे में निकली है।
दयाचंद अभी टीकमगढ़ कोतवाली में आरक्षक के पद पर तैनात है। गांव में नौ फरवरी को आरक्षक की शादी हो रही थी। उस दिन परिवार, रिश्तेदार और समाज के लोगों में खुशी का माहौल था। बारात जाने से पहले रिवाज अनुसार पुलिस आरक्षक की गांव में घोड़ी पर बैठकर राछ फिरनी थी। उसके बाद लड़की पक्ष के यहां बारात जानी थी। लेकिन गांव में जैसे ही आरक्षक दूल्हा घोड़े पर बैठकर निकला तो दबंग लोग बौखला गए। इसके बाद बीच रास्ते में ही रोककर बोले गांव में दलित दूल्हा घोड़ी पर बैठकर नहीं निकल सकता है।
इसके बाद गांव में विवाद शुरू हो गया। मामला बिगड़ता देखकर परिवार के लोगों ने दूल्हे को मना लिया और घोड़ी बैठकर नहीं निकलने दिया। इसके बाद दूल्हा बारात लेकर चल गया है। वहीं, आरक्षक दूल्हे को यह रिवाज और दबंगई रास नहीं आई। उसने पुलिस विभाग में इसे लेकर अपने अधिकारियों से बात की। यह खबर जिले के प्रशासनिक महकमे में आग की तरफ फैल गई।
बारात लौटने के दूसरे दिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में गांव में आरक्षक की राछ घोड़ी पर बैठाकर निकाली गई। अब उसकी शादी रीति रिवाज के साथ संपन्न हुई है। वहीं, इस मौके पर कलेक्टर संदीप जी आर ने आरक्षक दूल्हे और दुल्हन को पुष्प गुच्छ भेंट कर बधाई दी। इसके साथ ही पुलिस ने एक आरोपी पर धारा 151 के तहत की कार्रवाई की है। गुरुवार 10 फरवरी को ग्राम कुण्डलया पूरे दिन पुलिस बल की तैनाती रही। इस दौरान कई बड़े अधिकारी भी गांव में मौजूद रहे।
सौजन्य : Navbharat times
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