ईसाई या दलित? पंजाब के गुरदासपुर जिले में पहचान बना सवाल, समझें सियासी समीकरण
चंडीगढ़. गुरदासपुर जिला को पंजाब में सबसे ज्यादा ईसाई आबादी वाला इलाका कहा जाता है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य में ईसाई आबादी 1.26 फीसदी है, लेकिन टिकट वितरण के मामले में इस समुदाय के लोग कहीं नजर नहीं आते. साथ ही हाल के समय में ईसाई समुदाय से कोई भी विधायक पंजाब विधानसभा तक नहीं पहुंचा. जब राज्य में ईसाई समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को देखते हैं, तो कई बातें सामने निकलकर आती हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में ईसाई तीन वर्गों में हैं. पहले वे जिनके पूर्वजों ने ब्रिटिश राज के दौरान ईसाई धर्म अपना लिया था. दूसरे, आमतौर पर गरीब और अशिक्षित हैं, जिनपर डेरा का प्रभाव ज्यादा हैं. इसके बाद तीसरे और सबसे बड़े समूह में दलित हैं, जो ईसाई धर्म निभाते हैं, लेकिन उन्होंने आधिकारिक रूप से धर्मांतरण नहीं किया है. राज्य में ऐसा कोई भी नेता या चर्च नहीं है, जिसका प्रभाव पूरे समुदाय पर नजर आता हो.
आम आदमी पार्टी का हिस्सा बन चुके बहुजन समाज पार्टी के पूर्व महासचिव और ईसाई नेता रोहित खोखर बताते हैं कि समुदाय के 98 फीसदी लोग दलित बैकग्राउंड से हैं. उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया हो, लेकिन उन्हें जाति से छुटकारा नहीं मिला है. खोखर ने कहा, ‘सिख हो या ईसाई किसी भी धर्म से हों, जाति बनी रहती है.’ ऐसे समूह आरक्षण के हकदार हैं और यह बड़ा कारण है कि वे आधिकारिक रूप से धर्मांतरण नहीं कराना चाहते.
खोखर का मानना है कि मतदान के समय वे इस तरह तय करते हैं, ‘अगर धार्मिक उत्पीड़न का मुद्दा है, तो व्यक्ति ईसाई के तौर पर मतदान करेगा. अगर दलित अधिकार का मुद्दा है, तो वे दलित के तौर पर वोट दे सकते हैं.’ वहीं, दो महीने पहले तक कांग्रेस के गुरदासपुर जिलाध्यक्ष रहे रोशन जोसफ अब अकाली दल के साथ हैं. उनका कहना है कि समुदाय धीरे-धीरे कांग्रेस से दूर हो रहा है. जबकि, 2020 में अनवर मसीह के खिलाफ दर्ज मामले के बाद खोखर बताते हैं कि ईसाई अब अकालियों को तरफ से विश्वासघात महसूस कर रहे हैं.
अकाली सरकार ने 2014 में विक्रम सिंह मजीठिया के करीबी मसीह को अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में नियुक्त किया था. 2020 में उनकी एक बिल्डिंग से 197 किग्रा हेरोइन बरामद हुई थी. खोखर राज्य में ‘आप की लहर’ होने का दावा करते हैं और कहते हैं कि कांग्रेस की तरफ से दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने और अब उन्हें सीएम चेहरा बनाने की घोषणा से इसे थोड़ा नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘यह संभव है कि आप के पास जाने के लिए तैयार दलित वोट का कुछ हिस्सा कांग्रेस को जा सकता है.’
टिकट पाने में असफल रहे कई ईसाई नेताओं ने निर्दलीय लड़ने का फैसला किया है. इन्हीं नेताओं में डोमिनिक मट्टू का नाम शामिल है, जो डेरा बाबा नानक से चुनाव लड़ रहे हैं. मट्टू का कहना है कि उन्होंने आप और अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस के पास टिकट के लिए गए, लेकिन उन्हें लौटा दिया गया. अजनाला से निर्दलीय लड़ने वाले सोनू जाफर ने कहा की उन्हें भी टिकट देने से इनकार कर दिया गया.
खोखर का कहना है कि आरक्षण खोने के डर से कई लोग ईसाई के तौर पर रजिस्टर नहीं कराते. उन्होंने कहा, ‘यही कारण है कि ईसाई समुदाय को सरकारी डेटा में सटीक प्रतिनिधित्व नहीं मिलता. यह भी कारण है कि पार्टियां हमें टिकट नहीं देती.’
सौजन्य : Hindi news18
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