दलित अत्याचार, सुरक्षा दावों के विपरीत आंकड़े कह रहे विफलता की कहानी
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दमोह नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश के मुखिया अनुसूचित जाति व जनजाति के कल्याण की मंशा से अनेक योजनाओं का संचालन कराते हैं और इससे इस वर्ग के उत्थान व सुरक्षा की आशा की जाती है लेकिन इसके विपरीत आपराधिक मामले दलित वर्ग के उत्थान से जुड़ी नकारात्मक तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं। हालात यह है कि दलितों से जुड़े अपराधों में कमी के स्थान पर वृद्धि हुई है और वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में ऐसे अपराधों में वृद्धि देखी जा रही है और यह गंभीर मामलों में भी यह वृद्धि 130 गुना तक है। इसके बाबजूद ना तो इन अपराधों को रोके जाने की मंशा वर्ष 2021 में दिखी और ना ही इस वर्ष नजर आ रही है। ऐसे में कैलेंडर वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 के आंकड़े अपराधों के रोकथाम के लिए बनाई गई रणनीति पर ही सवाल खड़ा करता है।
गंभीर अपराध 13 गुना ज्यादा :
आंकड़ों को समझना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि गंभीर अपराधों की श्रेणी में भी काफी बड़ा उछाल देखने को मिला है। जिले में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों पर अधिक शोषण के मामले सामने आए हैं और यह मामले भी वह हैं जो रिकॉर्ड में दर्ज किए गए हैं। गंभीर प्रकृति के अपराधों में जिले में इस वर्ष 13 दुराचार के मामले दर्ज किए गए जिसमें अनुसूचित जाति वर्ग की 7 एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की 6 महिलाएं दुराचार की शिकार हुई हैं। वहीं पिछले वर्ष ऐसा एक ही अपराध सामने आया था। इसके अलावा शीलभंग के मामले में पुलिस आंकड़ो में ही गत वर्ष 2020 में मात्र 1 मामला सामने आया था लेकिन वर्ष 2021 में 23 महिलाएं इस प्रकृति के मामले की शिकार हुई हैं। इनमें भी अनुसूचित जाति वर्ग की 18 एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की 5 महिलाएं शामिल हैं। इन आंकड़ों से यह समझा जा सकता है कि पुलिस द्वारा इन मामलों में किस तरह की सक्रियता दिखाई जा रही है।
त्या की भी घटना आई सामने :
जहां गत वर्ष पूर्व में इस तरह के गंभीर श्रेणी के अपराधों में इस वर्ग के किसी भी व्यक्ति की हत्या दर्ज नहीं की गई थी लेकिन वर्ष 2021 में एक मामला अनुसूचित जनजाति वर्ग के एक व्यक्ति की हत्या पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके अलावा हत्या के प्रयास के वर्ष 2020 व 2021 वर्ष दोनों में ही एक-एक दर्ज किए गए है। अन्य मामलों में पिछले वर्ष जो संख्या महज 2 थी वह इस वर्ष 9 पर जा पहुंची है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि वर्ष 2021 में दलित वर्ग से जुड़े लोग अपराधियों के निशाने पर ज्यादा रहे या आपराधिक घटनाओं के अधिक शिकार हुए है।
सौजन्य : Nai dunia
नोट : यह समाचार मूलरूप से naidunia.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !