विकलांग दलित की हिरासत में पिटाई से मौत, CM ने दिया सीबीसीआईडी जांच का आदेश
चेन्नई की एक महिला ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उसके विकलांग पति को पीट-पीट कर मार डाला, जिसके बाद तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मामले में सीबी-सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, 45 वर्षीय ए प्रभाकरन नाम के दलित शख्स के साथ बीते 12 जनवरी को पुलिसकर्मियों ने मारपीट की थी। शख्स की पत्नी का आरोप है कि उसका विकलांग पति पुलिस की पिटाई में मारा गया है। यह घटना तमिलनाडु के दो जिलों सलेम और नमक्कल जिले का बताया जा रहा है। प्रभाकरन की पत्नी पी हंसाला ने सलेम में मीडियाकर्मियों को पूरा घटनाक्र सुनाया।
क्या है मामला
महिला के अनुसार, 8 जनवरी की दोपहर करीब 3 बजे प्रभाकरन अपनी टेलरिंग मशीन पर ब्लाउज सिल रहा था। प्रभाकरन पैरों से विकलांग है। इस बीच एक महिला समेत चार पुलिस अधिकारी सादे कपड़ों में उनके घर में घुस आए। महिला पुलिस ने मुझे मारा जबकि पुरुषों ने मेरे पति को मारा। लेकिन उस समय हम यह भी नहीं जानते थे कि वे पुलिस अधिकारी थे। हंसाला ने आगे बताया कि उसके पति मदद के लिए चिल्लाते रहे, इस बीच पड़ोसियों का हुजूम जमा होने लगा। इस बीच उनके 12 साल के बेटे ने इस घटना को जब अपने कैमरे पर फिल्माना शुरू किया तो पुलिसकर्मियों ने उसका फोन छीन लिया।
तभी पुलिस की जीप नहीं बल्कि एक टैक्सी मौके पर आई। चार पुलिस अधिकारियों ने सादे कपड़ों में प्रभाकरण को टैक्सी में बिठा लिया। महिला अफसर के साथ हंसाला को पीछे की सीट पर बिठाया गया। दो पुलिसकर्मी दोपहिया वाहन पर सवार थे। यह तब हुआ जब दंपति को पता चला कि नमक्कल जिले के सेंदामंगलम की पुलिस उन्हें ले जा रही है। उन्हें सेंदामंगलम पुलिस क्वार्टर ले जाया गया।
न जेल में भेजा न अदालत में पेश किया
महिला ने बताया कि हमें न तो जेल ले जाया गया और न ही अदालत में। पुलिस ने हमें बताया कि वे हमारे लिए खाना खरीदेंगे और अगर हम कहेंगे तो हम उनका ख्याल रखेंगे। हंसला का कहना है कि उनपर सोने की चोरी करने का आरोप लगाया जा रहा है और इसी गुनाह को कबूलने के लिए उन्हें पीटा गया था। मेरे पति मेरी मदद के बिना नहीं चल सकते। तीन दिनों से पुलिस ने मुझे उसे खाना खिलाते हुए देखा है, जब उन्हें टॉयलेट का इस्तेमाल करना हो तो उनकी मैंने ही मदद की। ऐसे में सोचने की बात है कि हम ऐसा अपराध कैसे कर सकते हैं।
12 जनवरी की रात ही हो गई थी मौत
स्थानीय विकलांगता-अधिकार कार्यकर्ताओं ने बताया कि प्रभाकरन का स्वास्थ्य 11 जनवरी को ही बिगड़ना शुरू हो गया था और जब हंसाला जेल में थी तब उन्हें नमक्कल सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। 12 जनवरी को उन्हें सलेम के सरकारी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया जहां उसी रात उनकी मौत हो गई।
तीन पुलिस अधिकारी निलंबित
15 जनवरी को मामले में कार्रवाई करते हुए डीआईजी (सलेम रेंज) प्रवीण कुमार अबिनापु ने तीन पुलिस अधिकारियों सेंदमंगलम के सब-इंस्पेक्टर ए चंद्रन, पुदुछत्रम पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर एल पूनकोडी और तिरुचेनगोड ग्रामीण पुलिस स्टेशन से कुलंथीवेल नाम के एक पुलिस वाले को निलंबित कर दिया। उसी दिन प्रभाकरण का पोस्टमॉर्टम किया गया था।
सीएम स्टालिन ने दिए जांच के आदेश
सोमवार को अन्नाद्रमुक, भाजपा और माकपा के नेताओं ने भी कथित हिरासत में हुई मौत को लेकर प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया। जिसके बाद हरकत में आई स्टालिन सरकार ने मामले में तुरंत जांच के आदेश दिए। सीएम स्टालिन ने कहा, “मैंने इस मामले की सीबी-सीआईडी से जांच कराने का आदेश दिया है।” उन्होंने कहा कि उन्हें इस मौत के बारे में जानकर दुख हुआ। उन्होंने परिवार के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
सौजन्य : Live hindustan
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