बिना परीक्षण के ही हो गई जमीन की रजिस्ट्री, नायब तहसीलदार और उप पंजीयक पर होगी कार्रवाई
रतलाम । आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचने के मामले को कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने ऐसी ही जमीन के नामांतरण को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। मामले में उप पंजीयक और रतलाम के नायब तहसीलदार के विरुद्ध कार्रवाई भी होगी।
भू-राजस्व संहिता की धारा 165 में आदिवासी व्यक्ति की जमीन गैर आदिवासी को बेचना प्रतिबंधित है। बावजूद रतलाम जिले में ऐसी जमीनों की खरीद-फरोख्त बड़े पैमाने पर होती है। इस काम में रतलामी जमीनी जादूगरों को महारथ हासिल है। ऐसे सौदों को लेकर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने सख्त रवैया अख्तियार किया है। उन्होंने रतलाम तहसील के ग्राम इसरथूनी स्थित आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचने के मामले में कार्रवाई की है। उन्होंने तहसीलदार द्वारा किए गए जमीन के नामांतरण को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का निर्देश दिया है।
मामले की शिकायत पर जांच कराई गई। बिना परीक्षण के ही जमीन की रजिस्ट्री करना पाया गया। इस पर कलेक्टर ने एक्शन लेते हुए संबंधित उप रजिस्ट्रार तथा रतलाम के नायब तहसीलदार के विरुद्ध कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि ऐसे ही कई अन्य मामलों में भी आगामी दिनों में कार्रवाई संभावित है। माना जा रहा है कि धारा 165 के उल्लंघन करने और उसमें लिप्त अन्य लोगों पर भी आंच आ सकती है।
गौरतलब है कि पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर दीप्ति गौड़ मुखर्जी द्वारा भी ऐसी जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई थी। नतीजन वे रतलाम के भू-माफियों की नजरों में खटने लगीं थीं और उन्होंने मुखर्जी के खिलाफ लामबंदी शुरू कर दी थी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ को देना पड़ी थी सफाई
बता दें कि, नवंबर 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा धारा 165 में प्रतिबंधित जमीनें गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति देने की चर्चा काफी चली थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ट्वीट कर स्थिति स्पष्ट की थी। उन्होंने बताया था कि मप्र में आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी नहीं खरीद सकते। उन्होंने एक्त में संशोधन की खबरों को भ्रामक बताया था। नाथ के अनुसार आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति कलेक्टर भी नहीं दे सकते।
सौजन्य : acntimes.com
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