नागालैंड की घटना पर सीएम रियो ने कहा, ‘आफ़्स्पा कठोर है, इसे हटाना ज़रूरी!’
नगालैंड में 14 नागरिकों की सेना द्वारा फायरिंग में हुई मौत के बाद से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इस बीच नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियु रियो ने कहा है कि सुरक्षा बल विशेष अधिकार क़ानून यानी आफ़्स्पा को हटाना ज़रूरी है, यह कठोर है। दुनिया भर में इसकी निंदा की जाती है।
रियो ने यह नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए 14 नागरिकों की अंतिम क्रिया के दौरान कहा है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि केंद्र यह कहता रहा है कि नगालैंड से अफस्पा (AFSPA) को हटाया नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि “केंद्र ने कहा है कि वह नगालैंड से अफस्पा नहीं हटा सकता। नगालैंड में AFSPA के निरंतर कार्यान्वयन का कोई मतलब नहीं है। राज्य में शांति है ”।
नगालैंड के मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूर्वोत्तर से अफ्सपा को वापस लेने की मांग नए सिरे से हो रही है। नगालैंड में कई नागरिक समाज संगठनों ने भी आफ़्स्पा को वापस लेने की अपनी मांग को फिर से शुरू किया है।
फोरम फॉर नगा रिकंसिलिएशन (FNR) ने कहा कि आफ़्स्पा, अपने स्वभाव से, “शांति विरोधी” है और राज्य सरकार को इसे निरस्त करने और नागरिक क्षेत्रों से सशस्त्र बलों को हटाने की सिफारिश करनी चाहिए।
नगा मदर्स एसोसिएशन (NMA) के अध्यक्ष अबेउ मेरु ने कहा, “… आफ़्स्पा के तहत जारी सैन्यीकरण और हत्याओं के खिलाफ हमारे विरोध की आवाज सुनी जाए।”
सुरक्षा बल के जवानों पर हुआ मामला दर्ज
नगालैंड पुलिस ने सोमवार को सेना के 21वें पैरा स्पेशल फोर्स के खिलाफ असैन्य नागरिकों पर गोलीबारी में कथित संलिप्तता के लिए हत्या का मामला दर्ज किया, जबकि कई आदिवासी संगठनों ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई के विरोध में बंद का आह्वान किया।
अधिकारियों ने बताया कि मोन कस्बे में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण है।
इस बीच, नगालैंड के मोन जिले में आम नागरिकों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मरने वालों की संख्या को लेकर सोमवार को भ्रम की स्थिति बनी रही।
शीर्ष आदिवासी संगठन, कोन्यक यूनियन ने दावा किया कि घटना में 17 लोग मारे गए, लेकिन बाद में संगठन ने मृतकों की संख्या को संशोधित कर 14 कर दिया।
हालांकि, पुलिस शुरू से दावा करती रही कि शनिवार और रविवार को हुई गोलीबारी की अलग-अलग घटनाओं में 14 लोग मारे गए।
नगालैंड पुलिस ने सेना के 21वें पैरा स्पेशल फोर्स के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की है। आईपीसी की धारा 302, 307 और 34 के तहत हत्या, हत्या के प्रयास और सभी के सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य से संबंधित मामला दर्ज किया गया है।
शिकायत में जिले के तिजिट पुलिस थाने ने कहा, ”चार दिसंबर को करीब साढ़े तीन बजे कोयला खदान के मजदूर एक वाहन से तिरु से अपने पैतृक गांव ओटिंग लौट रहे थे। ऊपरी तिरु और ओटिंग के बीच लोंगखाओ पहुंचने पर, सुरक्षा बलों ने बिना किसी उकसावे के वाहन पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप कई ग्रामीणों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।”
शिकायत में यह भी कहा गया कि घटना के समय कोई पुलिस गाइड नहीं था और न ही सुरक्षा बलों ने गाइड की मांग की थी।
इस बीच इस मामले के विरोध में नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) द्वारा सोमवार को बुलाया गया छह घंटों का बंद छात्रों व सुरक्षाबलों के बीच मामूली झड़प के बावजूद शांतिपूर्ण तरीके से बीत गया।
एनएसएफ अध्यक्ष केगवायहुन तेप और महासचिव सिपुनी एनजी फिलो ने यहां एनएसएफ सम्मेलन कक्ष में सोमवार को मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह बंद नागरिकों की हत्या के विरोध तथा पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता दिखाने के लिये आहूत किया गया था।
उन्होंने कहा कि एनएसएफ की संघ इकाइयों द्वारा संबंधित अधिकार क्षेत्र में बंद आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि कहीं से किसी भी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है और आमतौर पर नगा सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे तक एकजुटता में खड़े थे।
उन्होंने कहा, “इस बंद का एक मात्र उद्देश्य हमारे दुख, गुस्से और हमारी भावनाओं को प्रकट करना था…नगा लोग स्वतंत्र लोग हैं और हमारे पास जो है, उसकी रक्षा करने का हमें पूरा अधिकार है।”
बता दें कि आज गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में इस घटना पर बात की और कहा कि ग़लत पहचान की वजह से नागरिकों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि सेना को जानकारी मिली थी कि इस गाँव में चरमपंथी छुपे हुए हैं।
सौजन्य : न्यूज़ क्लिक
नोट : यह समाचार मूलरूप से https://hindi.newsclick.in/On-Nagaland-incident-C में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है|