ओडिशा की आशा वर्कर का नाम दुनिया की 100 ताकतवर महिलाओं में शामिल, महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा
(फोर्ब्स की लिस्ट में दुनिया की 100 और भारत की 21 ताकतवार महिलाओं में आशा वर्कर नाम शामिल) Forbes Powerful Women 2021: मतिलता बताती हैं, “बिमार पड़ने पर गांव के लोग अस्पताल जाने के बारे में सोचते ही नहीं थे। मैं जब लोगों को अस्पताल जाने की सलाह देती तो वे मेरा मजाक उड़ाते थे…” Forbes Powerful Women 2021: ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले (Sundargarh) में आदिवासी बहुल एक गांव को काला जादू और अंधविश्वास (Andhwishwash) की परंपरा ने इस तरह जकड़ लिया कि लोग बिमार होने पर अस्पताल नहीं बल्कि झाड़ फूंक के लिए जाते थे। गांव के दुर्दशा और बदहाली देखते हुए गांव में एक मान्या प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यक्रता यानि आशा वर्कर (Asha worker) को नियुक्त किया गया। आशा वर्कर मतिलता कुल्लू के लिए कूप्रथा में जकड़े लोगों की मानसिकता बदलना आसान नहीं था। मगर उनके दृढ़विश्वास और कड़ी मेहनत का नतीजा ही है कि उन्हें फोर्ब्स द्वारा दुनिया की 100 ताकतवार महिलाओं (Forbes 100 Powerful Women) की सूची में शामिल किया गया है।
40 वर्ष की आशा कार्यकर्ता मतिलता कुल्लू को 15 साल पहले ओडिशा (Odisha Asha Worker) के सुंदरगढ़ जिले की बड़ागांव तहसील स्थित गर्गडबहल गांव में नियुक्ति मिली थी। तब उनके लिए इस गांव में काम करना आसान नहीं था। मतिलता बताती हैं, “बिमार पड़ने पर गांव के लोग अस्पताल जाने के बारे में सोचते ही नहीं थे। मैं जब लोगों को अस्पताल जाने की सलाह देती तो वे मेरा मजाक उड़ाते थे और हंसते थे। बिमार लोगों को झाड़ फूंक के बजाय डॉक्टरों के पास ले जाने की आवश्यकता को समझाने में मुझे कई साल लग गए।” ओडिशा में लगभग 47000 आशा कार्यकर्ताएं हैं, इनमें से एक मातिलता भी एक हैं। वह गांव में नियमित तौर पर नवजात और किशोर लड़कियों के टीकाकरण, प्रसव से पहले जांच, प्रसव के बाद की जांच, जन्म की तैयारी, स्तनपान और पूरक आहार पर महिलाओं को परामर्श, यौन संचारित संक्रमण सहित सामान्य संक्रमणों की रोकथाम जैसे मुद्दों पर काम करती हैं। गांव के लोगों के अलावा मातिलता अपने चार लोगों के परिवार की जिम्मेदारी निभा रही हैं।
मातिलता बताती हैं कि उनका दिन सुबह पांच बजे शुरू होता है। ड्यूटी पर जाने से पहले वह अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाती हैं, जिसमें परिवार के लोगों के साथ उनके मवेशी भी शामिल हैं। मवेशियों का खाना देकर वह अपने आशा कार्यकर्ता से जुड़े कामों को करती हैं। मतिलता बताती हैं कि, “कोरोना महामारी के दौरान उनकी जिम्मेदारियां अधिक बढ़ गई। इसके तहत कोरोना के लक्षण होने वाले लोगों की जांच करने के लिए उन्हें हर दिन 50-60 घरों में जाने में पड़ता था। कोरोना की पहली लहर के कम होने और टीकाकरण शुरू होने के बाद गांव वालों को टीकाकरण के लिए समझाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।” मतिलता कहती हैं, ” कोरोना की पहली लहर के दौरान लोगों में भय का माहौल था। हर दिन मैं घर से बाहर निकलती और कोविड संदिग्धों की तलाश कर उन परिवारों से मिलती। फिर स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सूचित करके लोगों का टेस्ट करवाती थी। लोग टेस्ट के लिए जाने से डरते थे क्योंकि पिछले साल कोरोना बिमारी होने पर लोग हीन भावना से देखते थे।” मतिलता ने बताया, “हमारा काम लोगों से जाकर मिलना होता था, लेकिन अधिकांश आशा वर्कर को पीपीई किट, मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर आदि उपलब्ध नहीं कराए गए थे।”
समाज के उत्थान के लिए काम कर रही आशा वर्कर मतिलता ने बताया कि राज्य में आशा वर्कर को 4500 रुपए हर महीने मिलते हैं। कड़ी मेहनत के बावजूद पारिश्रमिक नाममात्र है। कोरोना के दौरान राज्य सरकार ने 2000 रुपए का प्रोत्साहन राशि दिया था, लेकिन अब वो भी बंद कर दिया गया। अब फिर से उन्हें 4500 रुपए मासिक सैलर मिलता है। वर्तमान में 45 साल की कुल्लू ने अपने क्षेत्र से काला जादू जैसे सामाजिक अभिशाप को जड़ से खत्म कर दिया। उनकी इसी उपलब्धि के चलते उन्हें फोर्ब्स ने भारत की मशहूर बैंकर अरुंधति भट्टाचार्य और अभिनेत्री रसिका दुग्गल जैसी शख्सियतों के साथ 2021 में दुनिया की सबसे ताकतवर 100 शख्सियत और भारत की 21 महिलाओं की सूची में शामिल किया गया।
सौजन्य : जनज्वार
नोट : यह समाचार मूलरूप से https://janjwar.com/national/odisha-news-aasha-worke में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !