‘कभी-कभी हमें कानून से ऊपर उठना पड़ता है’- दलित छात्र के IIT में दाखिले पर SC ने की टिप्पणी
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से दलित समुदाय के उस छात्र को गुरुवार को बड़ी राहत मिली जो अपने क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के काम नहीं करने के कारण अपनी फीस नहीं जमा कर सका और इस वजह से उसे आईआईटी बंबई (IIT Bombay) में दाखिला नहीं मिल सका. न्यायालय ने कहा, ‘अदालत को कभी-कभी कानून से ऊपर उठना चाहिए’ क्योंकि ‘कौन जानता है कि आगे चलकर 10 साल बाद वह हमारे देश का नेता हो सकता है.’
न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश वकील को निर्देश दिया कि वह आईआईटी, बंबई में दाखिले का ब्योरा हासिल करें और इस संभावना का पता लगाएं कि उस छात्र को कैसे प्रवेश मिल सकता है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा, ‘वह एक दलित लड़का है, जो बिना अपनी किसी गलती के दाखिले से चूक गया. उसने आईआईटी की एक परीक्षा पास की है और आईआईटी, बंबई में दाखिला लेने वाला था. ऐसे कितने बच्चे ऐसा करने में सक्षम हैं? अदालत को कभी-कभी कानून से ऊपर उठना चाहिए. कौन जानता है कि 10 साल बाद वह हमारे देश का नेता हो.’
पीठ ने आईआईटी, बंबई और संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण की ओर से पेश वकील सोनल जैन से कहा कि उन्हें 22 नवंबर तक छात्र को समायोजित करने की संभावना तलाशनी चाहिए और आईआईटी, बंबई में सीट की स्थिति के बारे में निर्देश लेना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘… लेकिन यह एक मानवीय मामला है और कभी-कभी हमें कानून से ऊपर उठना चाहिए.’ इसके साथ ही पीठ ने सरकार के वकील को निर्देश लेने के लिए कहा तथा आश्वासन दिया कि उसके आदेश को मिसाल नहीं माना जाएगा.
पीठ ने कहा कि वह अगले सोमवार यानी 2 नवंबर को आदेश पारित कर सकती है. प्रवेश परीक्षा में आरक्षित श्रेणी में 864वां रैंक हासिल करने वाले याचिकाकर्ता प्रिंस जयबीर सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता अमोल चितले ने कहा कि अगर उन्हें आईआईटी, बंबई में प्रवेश नहीं मिलता है, तो वह किसी अन्य आईआईटी संस्थान में भी दाखिला लेने को तैयार हैं.
सुप्रीम कोर्ट, बॉम्बेहाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ SLP पर सुनवाई कर रहा था. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को समयसीमा के बाद सीट की फीस का भुगतान करने की अनुमति देने में असमर्थता जताई थी. साथ ही उच्च न्यायालय ने किसी भी अन्य स्ट्रीम में उपलब्ध सीट पर दाखिला देने से इनकार कर दिया था.
सौजन्य : News 18
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