20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत 1975 में वजीराबाद में भूमिहीनों को दी गई थी जमीन, उस पर बने मकान तुड़वा रही दिल्ली सरकार!
वज़ीराबाद शिव मंदिर के इलाके में कई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग पिछले 45 सालों से रह रहे हैं. 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत इन लोगों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 146 बीघा जमीन लीज पर दी थी. इन लोगों का कहना है कि पिछले 7 सालों से फ्लड विभाग इनके 20 से ज्यादा घर तोड़ चुका है.
नई दिल्ली : दिल्ली के वजीराबाद इलाके में 1975 में इंदिरा गांधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत भूमिहीनों को 146 बीघा जमीन दी थी. अब यहां रहने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों का कहना है कि दिल्ली सरकार उनके मकान लगातार तुड़वा रही है और इस ज़मीन पर भूमाफिया कब्ज़ा कर रहे हैं. वज़ीराबाद शिव मंदिर के इलाके में कई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग पिछले 45 सालों से रह रहे हैं. 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत इन लोगों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 146 बीघा जमीन लीज पर दी थी. इन लोगों का कहना है कि पिछले 7 सालों से फ्लड विभाग इनके 20 से ज्यादा घर तोड़ चुका है.
स्थानीय निवासी गंगाप्रसाद कहते हैं, ‘पता नहीं क्यों प्रशासन हम एससी-एसटी लोगों को परेशान करता है.विधायक जी भी हमारी बात नहीं सुनते.’यहां रहने वाले विकास का आशियाना भी बिना कोई नोटिस दिए उजाड़ दिया गया. विकास कहता है, ‘मेरा मकान एक महीने पहले ही टूटा है. उनका ये कहना है कि ये फ्लड और सिंचाई विभाग की लैंड है और हम गलत जगह पर बैठे हैं. हमने उनसे कइ बार ऑर्डर्स भी मांगे लेकिन कोई आर्डर नहीं दिखाया. कार्यवाही के पुलिस को आगे कर देते हैं. खोबराम का मकान जब धंस गया और उन्होंने इसे दुबारा बनाने की कोशिश की तो उसे नया कंस्ट्रक्शन बताकर तोड़ दिया गया. अब वे किराये पर रह रहे हैं.खोबराम बताते हैं, ‘बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है. हमारा एक छोटा भाई था, उसकी मौत हो गई. मैंने मकान बनाया था उसी दौरान सारा मकान तोड़ दिया गया. मकान की पर्ची और कागज़ हमारे पास हैं. अलीपुर ब्लॉक से 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत अलॉट हुए थे.’
65 साल की चंद्रकली की भी ऐसी ही ‘कहानी’ है. उनका मकान कुछ इस तरह सड़क से नीचे हो गया है जब उन्होंने इसे बनवाने की कोशिश की तो उन्हें रोक दिया गया. अब वो किराये पर रह रही हैं. चंद्रकली कहती हैं, ‘घर में कमरा था, वो धंस गया. अब उसे बनाएं कैसे. जब बनाने की कोशिश करते हैं ये लोग ढहाने आ जाते हैं. मैं किराये पर रह रही हूं.’ यह भी आरोप है कि यहां फ्लड विभाग एक एक करके मकान तोड़ रहा है जिससे कोई हंगामा न कर पाए.स्थानीय निवासी सुरेंद्र सिंह कहते हैं, इन्होंने पंगा डाला कि ये ज़मीन हमारी है. इस पर हम कोर्ट चले गए.फिर इन्होंने कहा कि हमने अपनी ज़मीन डिमार्क कर ली और इन्होंने बाउंड्री बना ली. इसमें हमारी 36 बीघा जमीन चली गई,उसमें हमारे 40-45 प्लाट चले गए. फिर सैटलमेंट हो गया. ‘ फिलहाल ये मामला तीस हजारी कोर्ट में चल रहा है, जहां फ्लड विभाग दावा कर रहा है कि ये ज़मीन हमारी है. वकील उमाशंकर ने कहा, ‘अभी मामला न्यायालय के सामने लंबित है. न्यायालय में मामला इसलिए लंबित है कि फ्लड डिपार्टमेंट वाले बार-बार आकर घर तोड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि ये मेरा खसरा नम्बर है. न्यायालय ने अब ये आदेश दिया है कि 30 दिसम्बर तक डिमार्क करके ये बताएं कि आपकी ज़मीन कहां हैं और जो इनको ज़मीन दी है, वह कहा हैं?’
सौजन्य : Ndtv
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