जय भीम जय भारत नारे की उत्पत्ति कब हुई, विश्लेषकों ने क्या कहा ?
जयभीम/विश्लेषण: देश में दलित समुदाय(Dalit Community) से संलिप्त राजनीतिक पार्टियां अक्सर जयभीम(Jay Bhim) जय भारत के नारे का इस्तेमाल करती है। अधिकांश जय भीम जय भारत के नारे का इस्तेमाल दलित समुदाय में अधिक होता है। दरअसल इस नारे का रहस्य 18वीं सदी से जुड़ा है।
इस खबर को लेकर आपके मन में कई तरह के सवाल चल रहे होंगे। सवाल के जबाव को विश्लेषित करते हुए बताया गया कि जय भीम के नारे की उत्पत्ति 1818 में मराठा पेशवाओं और ब्रिटिश इंडिया कंपनी(British India Company) के बीच हुए युद्ध से जोड़कर देखा जाता है। इस पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विवेक कुमार(Vivek Kumar) ने मंथन करते हुए कहा कि इस शब्द का प्रथम उच्चारण कोरेगांव (Koregaon) युद्ध के दौरान सुनाई दिया था।
उन्होंने कहा कि जंग के दौरान ब्रिटिश हुकूमत की तरफ से लड़ने वाले महार सिपाहियों ने भीमा पर आक्रमण कर दिया। भीमा पुणे सल्तनत का राजा था। उस दौरान भीमा नदी पार कर रहा था, तो उसके साथ सेनाओं ने भीमा(Bhima) को प्रोत्साहन देते हुए जय भीम के नारे लगाए। हालांकि युद्ध में भीमा को विजय(Victory) की प्राप्ति हुई। उसने ब्रिटिश हुकूमत से अपना शासन बचा लिया। वहीं से जय भीम का नारा अजेय का प्रतीक बन गया।
दूसरा कारण दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर(Bhimrao Ambedkar) हर वर्ष भीमा शासित नगरी में जाते थे। जिससे इस नारे का विस्तार बढ़ता गया।
मालूम हो, भीमा और ब्रिटिश सेना के बीच युद्ध पुणे जिले के कोरेगांव में हुआ था। विवेक ने बताया कि 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी(Independent Labor Party) का आगाज हुआ, उस दौरान अंबेडकर का जन्म दिवस(Birthday) मुंबई चॉल इलाके में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में जय भीम के स्वरोच्चारण से कार्यक्रम स्थल गूंज गया था। जिसके बाद से अबतक दलित समुदाय में इस नारे की गर्जना सुनाई देती है। सीधा कहे तो दलित समुदायिक पार्टी इस नारे को अपनाकर अजेय की पराकाष्ठा रखने लगी है।
साल 1956 में सविंधान(Constitution) के रचनाकार डॉ. भीमराव अंबेडकर का स्वर्गवास हो गया। उनके अंतिम संस्कार में लाखों लोगों का हुजूम उमड़ा था। अंतिम विदाई जयभीम जय भारत के नारे से दी गई। वहीं से इस नारे की लोकप्रियता बढ़ती गई।
उल्लेखनीय है, जय भीम का नारा जय हिंद से पुराना बताया गया है। इस विषय पर विश्लेषण करते हुए दलित समुदाय के विद्वत कंवल भारती(Kamval Bharti) ने कहा कि हिंदी प्रदेशों में 1960 के दशक के बाद काफी लोकप्रियता देखने को मिली। इसका श्रेय महान काव्यकार बिहारीलाल “हरित” (Biharilal Harit) को जाता है। दिल्ली(Delhi) में जयभीम को प्रारंभिक स्वरूप देने वाले बिहारीलाल है। जमनदास(Jamandas) को लिखे पत्र में भारती ने कहा कि जयभीम की उत्पत्ति में पीटी रामटेके(Piti Ramteke) ने विशिष्ट शोधार्शन किया। शोध के प्रमुख बाबु हरदास एनएन(Babu Hardas NN) है।
साल 2000 में इस शोध को प्रकाशित भी किया गया। इस शोध में जयभीम नारे का स्पष्टीकरण और वृतांत बताया गया है। दरअसल हरदास विधायक का पदभार भी संभाल चुके है। उन्हें विधायक बनने के बाद रामपति(Rampati) से अभिवादित किया गया था। इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उन्हें सलाम एलेकुन के बारे में समझाया था। जिसके बाद से हरदास ने दृढ़ संकल्पित होकर जय भीम का प्रचालन करने का वीणा उठाया। उनका संकल्प धीरे-धीरे लोगों के मन को प्रभावित करने लगा, और एक दिन दलित समुदाय का सबसे प्रभावी नारा बन गया। जिसके बाद जय भीम का संस्थापक हरदास को बनाया गया।
1939 में संस्थापक बनने के बाद हरदास का निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार में जय हिंद की बजाह जय भीम का स्वरोच्चारण किया गया।
सौजन्य: chetna manch
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