सीएम बोले- केरल में घट रहे महिलाओं के खिलाफ हमले, UDF ने खारिज किया दावा
तिरुवनंतपुरम, पीटीआइ। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को कहा कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और संबंधित अपराधों की घटनाएं घट रही हैं और उनकी सरकार का उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है जहां किसी भी महिला का उत्पीड़न न हो। उन्होंने राज्य विधानसभा में शून्यकाल के दौरान बयान दिया जब विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुष्कर्म की कुछ हालिया घटनाओं को लेकर विजयन के नेतृत्व वाली वाम सरकार और गृह विभाग पर हमला करने की कोशिश की।
आंकड़ों का हवाला देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि 2016 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 15,114 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2020 में यह संख्या घटकर 12,659 हो गई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में 2,003 से 2020 में दुष्कर्म के मामलों की संख्या घटकर 1,880 हो गई है, उन्होंने कहा कि 2020 में केवल 3,890 हमले के मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 4,413 मामले दर्ज किए गए थे।
उन्होंने कहा कि दहेज से संबंधित उत्पीड़न के बाद होने वाली मौतों की संख्या 2020 में घटकर सिर्फ छह रह गई, जो 2017 में 12 रिपोर्ट की गई थी। विजयन ने कहा, ‘तथ्य यह है कि वर्ष 2016 और 2021 के बीच यौन उत्पीड़न और संबंधित अपराधों की संख्या में कमी दिखाई दे रही है। राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कमी आती दिख रही है। लेकिन, सरकार इससे संतुष्ट नहीं है। हमारा उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां किसी भी महिला को परेशान न किया जाए।’
उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच कराने में खुद हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। उन्होंने विधायक रोजी एम जान (कांग्रेस) द्वारा लगाए गए आरोपों पर भी सवाल उठाया, जिन्होंने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था कि महिलाओं के खिलाफ हमलों के मामले में दक्षिणी राज्य की स्थिति उत्तर भारत से भी बदतर रही।
हालांकि, विपक्ष ने आरोप लगाया कि पिछले तीन महीनों में केरल में सामूहिक दुष्कर्म की तीन घटनाएं हुईं और पुलिस और गृह विभाग महिलाओं के खिलाफ हमलों की जांच करने में विफल रहे। कुट्टियाडी में एक नाबालिग दलित लड़की सहित राज्य भर में महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म और अन्य अपराधों के हालिया मामलों को जोड़ते हुए कहा, वे सदन में इस मामले पर चर्चा करना चाहते थे। अध्यक्ष एम बी राजेश ने मुख्यमंत्री के जवाब के आधार पर विपक्ष को मौका नहीं दिया फिर विपक्षी सदस्यों ने बाद में वाकआउट किया।
साभार : दैनिक जागरण
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