राजस्थान में नहीं थम रहा दलितों पर अत्याचार, कई मामले आए सामने
Jaipur: यूं तो भारत में दलितों के नाम पर सालों से राजनीति होती आई है. दलितों के विकास से लेकर तमाम वादे किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत राजस्थान में कुछ और ही बयां करती है. राजस्थान के आंकड़े और वायरल होते वीडियों चीख-चीख कर कह रहे हैं कि राजस्थान में दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं.
राजस्थान रजवाड़ों की धरती , लिहाजा दलितों के अत्याचार पर बहस भी यहीं ज्यादा होती है लेकिन अब भले ही राजतंत्र नहीं है लेकिन एक भीड़तंत्र लोकतंत्र पर हावी नजर आता है. ये तो महज वायरल हुई कुछ तस्वीरें हैं, जिनमें 60 फीसदी से अधिक वायरल वीडियो (Viral Video) दलितों के साथ अत्याचार के हैं. नागौर, हनुमानगढ, अलवर, जालौर की घटनाएं किसी से छिपी नहीं है. एनसीआरबी के आंकड़े भी पुलिस (Rajasthan Police) विभाग को आईना दिखाने के लिए काफी है.
साल 2019 में आंकड़ा दलित अत्याचार 8,591, 2020 में यही आंकड़ा 8,895 पर आ टिका रहा. लॉकडाउन में लोग घर घुसे रहे क्राइम कम हुआ लेकिन उसके बाद भी 2021 में दसवां महीना आते-आते आंकड़ा 7,500 की संख्या पार कर चुका है और अभी साल पूरा होने करीब 2 महीने बाकी हैं. पिछले 9 महीनों में 57 हत्याएं (Murder) और 51 रेप (Rape) केस हुए है, जिनमें से सिर्फ 8 में एफआर लगी है. अत्याचारों का यह ग्राफ 16.33 परसेन्ट के हिसाब से आगे बढ़ रहा है.
राजस्थान में दलित अत्याचार के खिलाफ विपक्ष भी सोशल मीडिया (Social Media) पर तो विरोध जता रहा है लेकिन सड़कों पर विपक्ष भी मौन है. आंकड़ों और सामने आते गंभीर दृश्यों को झुठलाया नहीं जा सकता. हालांकि बेशर्मी के साथ दलित अत्याचारों पर राजनीतिक दलों की आपसी पर्तिस्पर्धा जारी है. उधर पुलिस भी पॉलिटिकल प्रेशर में कहीं मुकदमें दर्ज कर रही है और कहीं नहीं. पेंडिंग केसों की संख्या 2,647 के पार है.
एडीजी क्राइम राजस्थान रवि प्रकाश (Ravi Prakash) ने दावा किया है कि ऐसे अपराधों के खिलाफ पुलिस त्वरित कार्रवाई करती है. कहीं घोड़ी पर ना चढ़ने देना तो कहीं मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ जाने से नाराजगी. कहीं बस सनक में पीट देना तो कहीं दबंगई में लाठी-डंडो से पीट पीटकर हत्या कर देना. ऐसे मामले प्रदेश को कई बार पूरे देश के सामने शर्मशार कर चुके है.
साभार : जी राजस्थान
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